उपेक्षा का दंश झेल रहा गाँव पाली का पीएचसी

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उपेक्षा का दंश झेल रहा गाँव पाली का पीएचसीबिना रख-रखाव के गंदगी से अटी पड़ी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की बिल्डिंग

मेरठ। सरकार बार-बार स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर करने के दावे कर रही है, लेकिन आज भी कई क्षेत्र ऐसे हैं जो स्वास्थ्य सेवाओं से पूरी तरह महरूम हैं। वहां के लोगों कोझोलाछाप पर निर्भर रहना पड़ता है। वहीं कई क्षेत्र ऐसे हैं, जहां सरकार ने पैसे खर्च कर अस्पताल तो बना दिया, लेकिन तीन-तीन साल तक बिल्डिंग डाक्टर्स व नर्सिंगस्टाफ के इंतजार में खंडहर में तब्दील हो चुकी है।

जनपद मुख्यालय से करीब 40 किमी दूर हस्तिनापुर ब्लाक के गाँव पाली में वर्ष 2014 में दस कमरों का पीएचसी तैयार किया गया था, जिससे ग्रामीणों को एक आसजगी थी कि अब शायद उन्हें झोलाछाप डाक्टर्स पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। लेकिन अस्पताल की बिल्डिंग बने तीन साल बीत गए, आज तक विभाग ने उसमें स्टाफ वचिकित्सक तैनात करना जरूरी नहीं समझा। अस्पताल की बिल्डिंग पूरी तरह खंडहर में तब्दील हो चुकी है।

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गाँव पाली निवासी भंवर सिंह (57वर्ष) बताते हैं,“ बमुश्किल से आस जगी थी कि अब तो हारी-बीमारी के लिए गाँव में ही अस्पताल है, लेकिन क्या करें अस्पताल में डाक्टर ही नहीं आते हैं।

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वहीं गाँव दरियापुर निवासी हातम सिंह (61वर्ष) बताते हैं,“ छोटी बीमारी के लिए भी मवाना भगना पड़ता है। ये अस्पताल चालू हो जाता तो कई गाँव के लोगों को सुविधाहो जाती।”

ठेकेदार प्रेम सिंह बताते हैं, “ उस वक्त यह अस्पताल 34 लाख की लागत से बनाया गया था। अस्पताल में 10 कमरे के साथ लंबा बरांडा है, जिसे विभाग द्वारा 20 बेड काअस्पताल सुनिश्चित किया था, लेकिन बनने के बाद आज तक किसी ने सुध नहीं ली। ”

ग्राम प्रधान राजेन्द्र पहलवान बताते हैं, “कई बार मुख्य चिकित्सा अधिकारी से इस विषय में बात हो चुकी है, लेकिन आज तक कोई समाधान नहीं हुआ। अब तो गाँववालों ने भी आस छोड़ दी है।”

‘’ गाँव पाली का मामला संज्ञान में है, जिले में डाक्टर्स और नर्सिंग स्टाफ की भारी कमी है। धीरे-धीरे जैसे नई तैनाती होगी तो वहां भी स्टाफ रख दिया जाएगा।’’ ड़ॉ. विरेन्द्र पाल सिंह, सीएमओ

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