यूपी में नेताओं की सुरक्षा करने वाले ऐसे क्यों रहते है ?
Ashutosh Ojha 12 Jun 2017 8:00 PM GMT
लखनऊ । जरा सोचिये जिस शहर में प्रदेश का मुख्यमंत्री रहता हो, प्रदेश का राज्यपाल रहता हो, प्रदेश के बड़े बड़े आलाकमान अफसर भी रहते हो और इन सभी को सुरक्षा देने वाले पीएसी के जवान 45 डिग्री तापमान में राजधानी लखनऊ में बिना किसी पंखा, कूलर के झुलस रहे हो तो आप इसे क्या कहेंगें।
हम बात कर रहे है लखनऊ में विधायक आवास की जो बहुखंडी के नाम से भी लखनऊ शहर में जाना जाता है। उस पूरी कॉलोनी में कम से कम दो सौ विधायक रहते है, और उनकी सुरक्षा में चार ट्रक पीएसी के जवान उसी बिल्डिंग के बेसमेंट में रहते है। जिनका काम अपनी ड्यूटी के अनुसार बारी बारी से विधायकों , मंत्रियों को सुरक्षा देना है।
शरीर जला देने वाली इस भयंकर गर्मी में ये जवान खुद को जैसे तैसे नेताओं की सेवा के लिए तैयार रखते है। आईये हम आपको उनकी कुछ सिलसिलेवार समस्याओं से रूबरू करवाते है।
रहने की समस्या -
ये सभी जवान जहां पर अभी रहते है वहां सिर्फ पचास से साठ लोहे ही चारपाई पड़ी है, इसके साथ इनको जरूरत का कोई भी संसाधन नहीं मिला है। इन जवानों को इस जलती गर्मी में सिवाये भोजन के कुछ नहीं मिलता। जहां पर ये चारपाई पड़ी है उसके चारों तरफ कुछ नहीं है। कोई गेट नहीं कोई ताला नहीं। मतलब कोई भी आये कोई भी जाए।
दैनिक क्रिया की समस्या -
वहाँ उपस्थित कुछ जवानों से हमने बात की, उनमें से हर किसी ने हमें अपनी समस्या तो बताई लेकिन नाम न छापने की शर्त भी रखी। उन्हीं में से एक जवान ने हमें बताया कि हम लगभग साठ की संख्या में यहाँ जवान रहते है लेकिन हमारे पास यहाँ सुबह सौंच क्रिया आदि करने के लिए बड़ी समस्या होती है। हमें कभी कभी खुले में भी जाना पड़ता है, कहने को यहाँ चार शौचालय है। नहाने के लिए हमारे पास कोई बाथरूम भी नहीं है । हमें सबके सामने ऐसे खुले में ही स्नान भी करना पड़ता है।
पानी की समस्या -
नाम न छापने की शर्त पर एक जवान ने बताया कि हमें पानी जो पीने के लिए मिलता है उसको आप हाथ में ले कर देखिये आपको वो पानी इतना प्रदूषित मिलेगा कि आप उसके पानीं से नहाना भी पसंद नहीं करेंगें। इतने जवानों में सिर्फ एक ही पानी की टंकी है और इसी टंकी में पूरा बहुखंडी पानी पीता है। अब आप ही बताईये हम लोग ड्यूटी किस तरह से करते होंगें।
पंखा न कूलर -
राजधानी में हो रही इस प्रचंड गर्मीं में आप तापमान का आंकड़ा तो रोज सुनते ही होंगे। गौर करने वाली बात ये है कि इस गर्मीं में इन जवानों के पास एक भी पंखा नहीं है। इन जवानों की हालत इतनी खराब है कि आप इनके रहन सहन को देख कर यही बोलेंगें कि इससे अच्छा तो भैंस का तबेला ही होता है। सुनने में ये बुरा जरूर लगता है लेकिन यही सच्चाई है इन जवानों की।
असलहों के रखरखाव में लापरवाही -
ये जवान जहां रहते है वहीं पर इन जवानों के असलहे खुले में ही रखे रहते है। इन असलहों की संख्या कम से कम पचास से साठ होती ही है। गौर करने वाली बात ये है कि इन लापरवाहियों से हमें भारी नुक्सान भी हो सकता है लेकिन शायद अभी सरकारी तंत्र किसी अनहोनी के होने के इंतजार में है। अगर सरकार इन लापरवाहियों पर गौर नहीं करती, तो शायद लखनऊ आने वाले दिनों में बहुत बड़ी मुसीबत में पड़ सकता है।
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