नाबार्ड उत्तर प्रदेश क्षेत्रीय कार्यालय द्वारा आज 25 जनवरी 2018 को वर्ष 2018-19 के लिए राज्य ऋण संगोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसका उद्घाटन उत्तर प्रदेश के वित्त मंत्री राजेश अग्रवाल किया। क्रेडिट सेमिनार की अध्यक्षता करते हुए अग्रवाल द्वारा नाबार्ड स्टेट फोकस पेपर 2018-19 का विमोचन किया गया।
नाबार्ड ने वर्ष 2018-19 के लिए उत्तर प्रदेश के लिए 237801 करोड़ रुपए के लागत की ग्रामीण ऋण योजना का आकलन किया है। यह राशि, राज्य के मौजूदा वर्ष की ऋण संभावना से 14 प्रतिशत अधिक है। इस योजना के तहत कृषि के लिए लागत 166004 करोड़ रुपए, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम के लिए रु.40521 करोड़, और शिक्षा, ग्रामीण आवास, निर्यात ऋण आदि के लिए रु. 31276 करोड़ का आकलन है।
राजेश अग्रवाल ने अपने भाषण में राज्य में वर्ष 2022 तक किसानों की आमदनी को दोगुना करने के लिए नाबार्ड की प्रतिबद्धता का स्वागत करते हुए इस वर्ष के थीम “पर ड्रॉप मोर क्रॉप” के चयन की प्रशंसा की। उन्होने किसानों को सरल ऋण सुविधा उपलब्ध करने की आवश्यकता पर भी बल दिया।
नाबार्ड मुख्य महाप्रबंधक एके पंडा ने अपने सम्बोधन में कृषि और ग्रामीण विकास के लिए नाबार्ड कि प्रतिबद्धता को दोहराते हुए बैंकों से कृषि मूल्य संवर्धन क्षेत्र में बढ़ चढ़ कर ऋण प्रवाह बढ़ाने कि बात काही। उन्होने उत्तर प्रदेश सरकार से किसानों तथा ग्रामीण अर्थ व्यवस्था से जुड़े हुए विभिन्न मुद्दों जोसे एपीएमसी और लैंड लीजिंग एक्ट में संशोधन हेतु ध्यान आकर्षित कराया। पंडा ने नाबार्ड द्वारा स्वयं सहायता समूह, किसान उत्पादक कमपनियों, किसान क्लब जैसे कार्यक्रमों में व्यापक स्तर पर चल रहे डिजिटलाइजेशन के बारे में भी सभी अतिथियों को बताया।
इस मौके पर नाबार्ड द्वारा बैंकों को दुग्ध उत्पादन, मुर्गी पालन, बकरी पालन आदि क्षेत्र में ऋण प्रवाह बढ़ाने के लिए क्षेत्र विकास स्कीम का भी विमोचन राजेश अग्रवाल द्वारा किया गया। नाबार्ड के तकनीकी अधिकारियों द्वारा ड्रिप सिचाई प्रणाली का फल एवं सब्जी उत्पादन में बड़े स्तर पर उपयोग, दुग्ध विकास सहित क्षेत्रीय स्तर के ज्वलंत मुद्दों पर पावर पॉइंट प्रेजेंटेशन दिया गया और विभिन्न कार्य बिन्दुओं को विचार के तौर पर प्रस्तुत किया गया।