प्रधानमंत्री के वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के बहाने सामने आई थानों की अव्यवस्था

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प्रधानमंत्री के वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के बहाने सामने आई थानों की अव्यवस्थासीसीटीएनएस कार्यालय के दरवाजे से ही उसकी स्थिति का जायजा लगाया जा सकता है।

लखनऊ। डिजिटल क्रांति के दौर में यूपी पुलिस आज भी अपना ज्यादातर कार्य कागजों पर ही कर रही है, जबकि इस काम को सरल करने के मकसद से प्रदेश में अप्रैल 2011 को यूपी के सभी जिलों के थानों को सीसीटीएनएस (क्राइम एंड क्रिमनल ट्रैकिंग नेटवर्क एंड सिस्टम) से जोड़ने की योजना की शुरुआत हुई थी।

इसी कवायद में बुधवार दोपहर 3 बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूपी के लखनऊ और मुरादाबाद के दो थानों को चिन्हित कर सीसीटीएनएस के विषय पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग का कार्यक्रम एनआईसी ( नेशनल इंफोरमेशन सेंटर) के तत्वाधन में रखा गया था, लेकिन इस कार्यक्रम को महज इसलिए आनन-फानन में यूपी पुलिस के अधिकारियों ने रद्द कर दिया, क्योंकि उनके थानों में पीएम के इस कार्यक्रम को लेकर संसाधनों की कमी थी। कार्यक्रम को हजरतगंज स्थित योजना भवन में डीजीपी और प्रमुख सचिव गृह के तत्वाधनों में भेज दिया।

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एनआईसी के यूपी हेड दिवान सिंह के मुताबिक, पीएम नरेंद्र मोदी बुधवार का देशभर के सीसीटीएनएस कार्यालयों से रूब-रू होने का कार्यक्रम था, जिसमें यूपी की राजधानी लखनऊ और मुरादाबाद जिले के थानों को चुना गया था। सबकुछ तय सीमा के हिसाब से ठीक-ठाक चल रहा था और पीएम को इन थानों पर सीसीटीएनएस कार्यालय के प्रभारियों से कार्य परिक्षण के विषय पर वीडिया कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से भाग लेना था, लेकिन अचानक किन्ही वजहों से इस कार्यक्रम को आनन-फानन में शिफ्ट कर योजना भवन में करवा दिया गया। जिसकी अगुवाई थानेदार के स्थान पर प्रदेश के डीजीपी सुलखान सिंह, प्रमुख सचिव गृह, एडीजी तकनीकि और अन्य आलाधिकारियों के पर्यवेक्षण में करवाया गया।

सीसीटीएनएस कार्यालय के अंदर की फोटो।

दिवान सिंह ने बताया कि, पीएम नरेंद्र मोदी योजना भवन में तीन बजे प्रदेश में सीसीटीएनएस के बेहतर उपयोग और इससे होने वाले लाभ के विषय में अधिकारियों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से कार्यक्रम में भाग लेंगे। वहीं कार्यक्रम को अचानक योजना भवन में शिफ्ट करने के विषय पर एसएसपी लखनऊ से बात करने का प्रयास किया गया तो, उन्होंने इस पर कुछ बोलने से इंकार कर दिया।

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बगैर इंचार्ज चल रहा हजरतगंज का सीसीटीएनएस कार्यालय

जिस सीसीटीएनएस कार्यालय में पीएम नरेंद्र मोदी को दिल्ली से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बुधवार को जुड़ना था, वहां 15 दिनों से कोई इंचार्ज ही नहीं पोस्ट है। इससे माना जा सकता है कि, जब प्रदेश की राजधानी की कोतवाली का यह हाल है तो, पूरे प्रदेश भर में क्या हाल होगा। हजरतगंज कोतवाली में बने सीसीटीएनएस कार्यालय में करीब चार सिपाही मौजूदा समय में तैनात हैं, जो पूरा कार्य बगैर किसी इंचार्ज के देख रहे हैं। बात करें, पीएम के वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग कार्यक्रम की तो, दो सिपाही दोपहर 1 बजे तक कार्यालय ही नहीं आये थे। इन सबको देखते हुए आलाधिकारियों ने तत्काल एनआईसी के दिल्ली और यूपी हेड को पूरी सूचना दी, जिसके बाद पूरे कार्यक्र्म को बड़े अधिकारियों से बातचीत कर योजना भवन में शिफ्ट कर दिया गया।

अधिकारियों को नहीं पता पीएम का कार्यक्रम

पीएम के वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग कार्यक्रम की सूचना शासन स्तर पर तो थी, पर जिस कोतवाली में यह कार्यक्रम आयोजित किया गया था, वहां कोतवाल से लेकर सीओ तक को इस विषय में कुछ पता नहीं था। वहीं एसपी पूर्वी सर्वेश मिश्रा ने तो अबतक चार्ज भी नहीं संभाला। इन सब बातों के मद्देनजर ही पीएम के कार्यक्रम को शायद शिफ्ट किया गया। हालांकि बड़े अधिकारियों का इस पर यह तर्क है कि, हजरतगंज कोतवाली में स्थित सीसीटीएनएस कार्यालय का कमरा छोटा था और संसाधनों की कमी थी, जिसकी सूचना अधिकारियों को दे दी गई थी। फिलहाल योजना भवन में कार्यक्रम क्यों शिफ्ट हुआ अचानक इस पर हर अधिकारी बोलने से कतरा रहा है।

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क्या है सीसीटीएनएस

सीसीटीएनएस (क्राइम एंड क्रिमनल ट्रैकिग नेटवर्क एंड सिस्टम) योजना की शुरूवात यूपी में 2011 के अप्रैल में मायावती सरकार ने किया था। जिसका मकसद प्रदेश के सभी थानों को इंटरानेट के माध्यम से जोड़ना था, जिससे एक क्लिक पर किसी भी केस का विवरण मिल जाये। वहीं एसपी सीसीटीएनएस ने बताया कि इससे कागजी कार्रवाई कम हो जाती है और यह यूपी पुलिस का अपना साफ्टवेयर है, जो बीएसएनएल के माध्यम से चलाया जाता है। सीसीटीएनएस में किसी भी एफआईआर को तत्काल देख जा सकता है कि, उस केस का मौजूदा समय में क्या स्टेटस है। इस साफ्टवेयर से यूपी के सभी थाने आपस में इंटरनेट के जरिए जुड़े हैं। यह एक पोर्टल का प्रकार है, जो ऑन लाइन और ऑफ लाइन भी कार्य करता है, क्योंकि इसके इस्तेमाल में इंटरनेट की जरुरत नहीं पड़ती है।

सीसीटीएनएस के फायदे

  • रिकार्ड में हेराफेरी होना मुश्किल।
  • पेपर लेस कार्य हो जाता है।
  • कागज को बार-बार फोटो कॉपी नहीं कराना।
  • क्यू मेल से चलता है।
  • इस साफ्टवेयर को हैक नहीं किया जा सकता है।
  • इसमें इंटरनेट की जरुरत नहीं पड़ती है।
  • कोर्ट के कार्यों में तेजी आ जाती है।
  • किसी भी अपराधी का तत्काल डिटेल मिल जाता है।
  • किरायेदार की जांच भी इस साफ्टवेयर पर अपलोड किया जा सकता है।
  • घर के नौकर की विवरण देख जा सकता है।

आखिरी बार 2013 में हुई थी ट्रेनिंग

प्रदेश में सीसीटीएनएस का थानों स्तर पर कार्य करने वाले सिपाहियों की ट्रेनिंग अंतिम बार 2013 के मई माह में हुई थी, जिसके बाद सूत्रों की मानें तो अबतक पुलिसकर्मियों को ऐसा किसी तरह प्रशिक्षण नहीं दिया गया, जिससे यूपी के सभी थाने जल्द से जल्द पेपर लेस हो जाये और एक क्लिक पर किसी भी केस का विवरण तत्काल मिल जाये।

      

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