भू-माफिया का खेल: तालाब को बनाया खेत, नहर पर तबेला

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भू-माफिया का खेल: तालाब को बनाया खेत, नहर पर तबेलागाजियाबाद में भू-माफिया ने सरकारी ज़मीन पर बना दी थी कॉलोनी।

स्वयं प्रोजेक्ट टीम

लखनऊ। सरकारी जमीन से अतिक्रमण को हटाने और भू-माफियाओं पर कार्रवाई के लिए अभियान जारी है, लेकिन एंटी भूमाफिया फोर्स को सबसे अधिक कार्रवाई तालाबों से अतिक्रमण हटवाने में करनी पड़ेगी।

ग्रामीण क्षेत्रों में सबसे अधिक अतिक्रमण किस जमीन पर है, और अतिक्रमण किस तरह से किया गया है यह जानने के लिए ‘गाँव कनेक्शन’ ने दस जिलों में पड़ताल की तो पता चला कि दबंगों का डर और गाँव में दुश्मनी होने से बचने के लिए किसी मामले में नहीं पड़ना चाहते। भू-माफिया तालाब में खेती कर रहे हैं, तो कहीं सरकारी जमीन पर तबेला बना दिया।

औरैया जिला मुख्यालय से 11 किलोमीटर दूर भटपुरा गाँव में छिपिया तालाब पर भू-माफिया का कब्जा है और अब यहां खेती होती है। ग्राम प्रधान प्रेमिला पाल कहती हैं, “कब्जा जमाने वाले राजनीतिक पहुंच वाले हैं। इसलिए प्रशासन कुछ नहीं कर पा रहा। तालाब पर कई सालों से कब्जा चला आ रहा है। पहले के प्रधान ने उसे खाली नहीं कराया तो हम कहां से करा दें। फिर गाँव के लोगों से दुश्मनी थोड़ी न करनी है।”

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राजस्व विभाग का दावा है कि उसने करीब 15 हजार हेक्टेयर सरकारी जमीन को भू-माफिया के कब्जे से मुक्त करा लिया है, लेकिन खुद विभाग का दावा है कि प्रदेश में एक लाख हेक्टेयर सरकारी जमीन पर अब भी भू-माफिया काबिज हैं। विभाग का दावा है कि प्रदेश से 732 भू-माफिया की लिस्ट बनाई गई है, जिसके तहत 27 भू-माफिया पर गुंडा एक्ट लगा दिया गया है।

मुख्यमंत्री के गृह जनपद गोरखपुर में जिला स्तरीय व तहसील स्तर पर एंटी भू-माफिया टास्क फोर्स गठित तो की गई है, लेकिन जमीन को दबंगों के कब्जे से मुक्त कराने में तेजी नहीं आ पा रही है।

पिपराइच ब्लाक के गाँव रक्षवापार में दबंग रामदौड़ निषाद ने पंचायत भवन की जमीन पर कब्जा कर घर बनवा लिया। मामले की शिकायत तहसील दिवस में की गई, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। रक्षवापार के रहने वाले सुदामा मिश्रा (60वर्ष) कहते हैं, “पंचायत भवन की जमीन पर दबंगों ने कब्जा कर लिया है। ग्राम प्रधान भी इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं।”

इस बारे में जिलाधिकारी राजीव रौतेला ने कहा, “सरकारी भूमि से अवैध कब्जा हटाने के लिए सभी विभागों के अधिकारियों को निर्देश दिए हैं। इसमें किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।”

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वहीं उन्नाव में 5480 हेक्टेयर जमीन पर भू-माफिया का कब्जा है। उप जिलाधिकारी सदर, उन्नाव ने बताया, “यदि भू—माफिया कब्जा नहीं छोडेंगे तो उनके विरूद्ध कड़ी कार्रवाई की जाएगी। अभी तक 17 जगह पर कब्जामुक्त कराया जा चुका है। सबसे पहले तालाब और चकरोड से कब्जा हटवाया जाएगा।”

वहीं, एटा जिले के मारहरा ब्लॉक के चाठी रफीपुर और अहमद नगर बमनोई में चारागाह की 750 बीघा जमीन पर गैरकानूनी पट्टा करवाकर दबंग काबिज हैं, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद प्रशासन इसे खाली नहीं करवा पाया है, जबकि स्थानीय ग्रामीण तहसील दिवस पर कई बार इसकी शिकायत कर चुके हैं।

सबसे ज्यादा कब्जा

राजस्व विभाग के मुताबिक सबसे ज्यादा अवैध कब्जे सिंचाई विभाग, वन विभाग, शिक्षा, ग्राम समाज, पीडब्ल्यूडी और पंचायत की जमीन पर हैं।

गोरखपुर जिलाधिकारी राजीव रौतेला, “सरकारी भूमि से अवैध कब्जा हटाने के लिए सभी विभागों के अधिकारियों को निर्देश दिए हैं। इसमें किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।”

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नदी, नाला व चारागाह हर जगह भू-माफिया का कब्जा

गाजियाबाद। राज्य सरकार के आदेश के बाद प्रशासन ने कई भू-माफिया के खिलाफ मुकदमे दर्ज किए हैं। इन सब के बीच जो आंकड़े मिल रहे हैं वो चौकाने वाले हैं।गाजियाबाद में एंटी भू-माफिया टास्क फोर्स का भी असर नहीं दिख रहा, अबतक मिली अवैध कब्जों की रिपोर्ट कुछ ऐसा ही इशारा कर रही है। डीएलआरसी विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार, जनपद की तहसीलों और निकायों समेत अन्य विभागों की एक हजार बीघे से ज्यादा जमीन पर भू-माफिया का कब्जा है।

ऐसा तब है जबकि करीब 200 बीघे जमीन से कब्जे हटाने का दावा प्रशासनिक अफसर कर रहे हैं। भू-माफिया की नजर नगर निगम और जीडीए की जमीन पर सबसे ज्यादा है। वहीं जिले की तहसीलों में लोनी क्षेत्र में भू-माफिया का खासा वर्चस्व नजर आ रहा है। बाजार भाव का आंकलन करें तो यह सरकारी संपत्ति अरबों रुपए की बैठेगी, जिस पर माफिया मौज उड़ा रहे हैं। जिले में एंटी भू-माफिया टास्क फोर्स का गठन कर डीएम मिनिस्ती एस. ने सभी विभागों से सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जे का ब्योरा तलब किया।

एंटी भू-माफिया टास्क फोर्स को विभागों से सौंपी गई अवैध कब्जों की रिपोर्ट चौकाने वाली है। भू-माफिया के चंगुल में फंसी 1000 बीघे सरकारी जमीनों में से बड़ा हिस्सा तहसीलों का है। जिले की तीनों तहसीलों में अभी भी तकरीबन 180 बीघा जमीन भू-माफिया के कब्जे में है। इनमें सबसे ज्यादा लोनी तहसील की है। लोनी तहसील में लगभग 175 बीघा सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा है। इसके अलावा सदर तहसील में पांच बीघा सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा चिन्हित किया गया है।

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मोदीनगर तहसील की बात करें तो यहां करीब 25 बीघा सरकारी जमीन से अवैध कब्जा हटाने का दावा प्रशासन ने किया है। मत्स्य विभाग की करीब 21 बीघा जमीन पर भू-माफिया काबिज हैं। एंटी भू-माफिया टास्क फोर्स को जनपद की सभी नौ निकायों से जो रिपोर्ट मिली है। उसमें नगर निगम की जमीन पर सबसे ज्यादा कब्जा है। शहर में अलग-अलग स्थानों पर नगर निगम की लगभग 151 बीघा जमीन पर भू-माफिया अवैध रूप से काबिज है। जमीन लुटाने के मामले में निकायों में दूसरा नंबर निवाड़ी नगर पंचायत का है। यहां निकाय की तकरीबन 182 बीघा जमीन पर भूमाफिया ने अवैध कब्जा कर रखा है।

इनके अलावा लोनी नगर पालिका में 12 बीघा, मोदीनगर नगर पालिका में 13 बीघा, मुरादनगर नगर पालिका में 50 बीघा, डासना नगर पंचायत में एक बीघा, फरीदनगर नगर पंचायत में 45 बीघा, नगर पंचायत पतला में 38 बीघा सरकारी जमीन पर अवैध कब्जाधारी हैं।

अपर जिलाधिकारी प्रशासन ज्ञानेंद्र सिंह ने बताया कि लगभग सभी विभागों की सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जा चिन्हित कर लिया गया है। अवैध कब्जाधारियों के खिलाफ अभियान चलाया जा रहा है। काफी जमीन कब्जामुक्त करा ली गई है। अबतक लगभग 200 एफआईआर दर्ज कराई जा चुकी हैं। अतिक्रमणकारियों को नोटिस भी भेजे गए हैं। जल्द ही सारी जमीन कब्जामुक्त करा ली जाएगी।

ग्रामीणों का आरोप, तालाब पाट रहे दबंग

शाहजहांपुर/तिलहर। प्रशासन जहां एक ओर भारी-भरकम बजट खर्च कर सिंचाई के लिए तालाबों के निर्माण में लगा हुआ है। वहीं दूसरी ओर कुआंडाडा स्थित तालाब पर दबंग मिट्टी डालकर कब्जा कर रहे हैं।

ज्ञात हो कि नगर तिलहर से दोदराजपुर होते हुए कुआंडांडा जाने वाले मार्ग पर स्थित करीब दो एकड़ के तालाब को कुछ क्षेत्रीय लोगों ने पाटना शुरू कर दिया था, जब इसकी शिकायत जिला प्रशासन से की गई तो डीएम नरेन्द्र सिंह ने नगरपालिका व तहसील के कर्मचारियों व अधिकारियों को मौका मुआयना करने के निर्देश दिए थे व शिकायत सही पाए जाने पर अधिकारियों ने तालाब के पटान को प्रतिबंधित कर दिया था। अब क्षेत्रीय लोगों का आरोप है कि तालाब को फिर से पाटे जाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।

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कुआंडांडा निवासी गयादीन वर्मा (45 वर्ष) बताते हैं, “वह बचपन में इस तालाब के किनारे गाय, भैंस चराने जाते थे यह काफी बड़ा तालाब था जो अब लोगों ने पाटना शुरू कर दिया है और कुछ तो पाट भी लिया है।”वहीं दिलीप कुमार (42 वर्ष) ने बताया, “तालाब को बहुत तेजी से दबंगों द्वारा पाटा जा रहा है। इसमें कुछ बड़े लोग भी शामिल हैं जब इनसे दबंगों के नाम पूछे तो इन्होंने साफ मना कर दिया।”

अवैध कब्जा हटाने के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति

गोरखपुर। जिले में सरकारी जमीनों से अवैध कब्जा हटाने का प्रशासन का दावा हवाहवाई साबित हो रहा है। हालांकि प्रशासन की ओर से जिलास्तर व तहसील स्तर पर एंटी भू-माफिया टास्क फोर्स का गठन किया गया है। टास्क फोर्स की ओर से अभी सिर्फ गरीबों को निशाना बनाया गया है, जबकि दबंगों के कब्जे से सरकारी जमीन अभी बरकरार हैं। जिला स्तर पर एडीएम प्रशासन के नेतृत्व में टास्क फोर्स का गठन किया गया है।

एंटी भू-माफिया टास्क फोर्स के सक्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि चार दिन पहले जिलाधिकारी राजीव रौतेला ने सभी विभागों के जिम्मेदार अफसरों के साथ बैठक कर जमीनों को कब्जा मुक्त कराने के कड़े निर्देश जारी किए थे। इस बैठक में डीएम ने कहा था कि जिन विभागों ने अभी तक अवैध कब्जा हटाने के लिए कार्य योजना तैयार नहीं की वे तत्काल योजना बनाकर अमल शुरू कर दें। दिलचस्प बात यह रही कि जिलाधिकारी द्वारा बुलाई गई बैठक में अधिशाषी अधिकारी मुडेरा बाजार और पीपीगंज अनुपस्थित थे।

भू-माफिया के कब्जे में रेठ नदी का किनारा

बाराबंकी। राजधानी से सटे बाराबंकी जिले के लखनऊ-बाराबंकी सीमा पर स्थित औद्योगिक क्षेत्र कुर्सी से गुजरने वाली रेठ नदी के किनारों पर भू-माफिया ने कब्जा कर नाला बना दिया है। जिलाधिकारी बाराबंकी अखिलेश तिवारी का कहना है, “रेठ नदी को नाला बनाने वाले भू-माफिया के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने के लिए मौके पर जांच टीम भेजी गई थी।

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टीम ने सर्वे कर नदी के प्रदूषित पानी को भी जांच के लिए लैब भेजा है, साथ ही प्रदूषण विभाग द्वारा भी इस सम्बन्ध में फैक्टि्रयों के मालिकों को नोटिस भेजा गया है सभी रिपोर्ट आने के बाद बड़ी कार्रवाई की जाएगी।”डीएम ने बताया कि जिले में लगभग दो हजार हेक्टेयर से भी ज्यादा जमीन भू-माफिया के कब्जे में हैं, जिसमें से अभी तक छह सौ हेक्टेयर अवैध कब्जे की जमीन को भू-माफिया के चंगुल से मुक्त करवा लिया गया है।

दबंगों के चंगुल से सरकारी जमीन छुड़ाने में प्रशासन नाकाम

इलाहाबाद। प्रदेश में सरकारी जमीन पर काबिज दंबगों को हटाने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आदेश जारी किया था। उरुवा ब्लाक मुख्यालय से 20 किलोमीटर उत्तर दिशा में बसे परनपुर गाँव में नदी के किनारे स्थित सरकारी जमीन पर गाँव के केवट समाज के लोग सब्जियां उगाने का काम करते हैं, लेकिन इसके लिए उन्हें गाँव और क्षेत्र के दबंगों को 10 से 15 हज़ार सालाना देना पड़ता है, ऐसा नहीं करने पर उन्हें उस जमीन पर खेती करने से मना कर दिया जाता है। मेजा एसडीएम जवाहरलाल श्रीवास्तव ने बताया कि कार्रवाई जारी है जल्द ही सभी सरकारी जमीन अवैध कब्जे से मुक्त करा लिया जाएगा।

सरकारी नाले की पटरी पर डेयरी संचालकों का कब्जा

मेरठ। योगी सरकार भू-माफिया के खिलाफ भले ही अभियान चलाकर कार्रवाई कर रही हो, लेकिन हकीकत उससे बहुत परे है। मेरठ शहर के बीच से निकलने वाले नाले पर करीब तीन किमी तक डेयरी संचालकों का कब्जा है। संचालकों ने नाले की दर्जनों एकड़ जमीन पर कब्जा जमाया है, लेकिन दबंग डेयरी संचालकों के सामने पुलिस प्रशासन बौना साबित हो रहा है।

मेरठ शास्त्रीनगर की पॅाश कालोनी से होते हुए काली नदी तक करीब तीन किमी लंबा नाला है। जिसे डेयरी संचालकों ने अपनी जागीर समझ रखा है। पूरे नाले पर टीनशेड डालकर दूध की डेयरी चला रहे हैं। यहां से निकलना भी मुश्किल है, कुछ लोगों की शिकायत पर कई बार प्रशासन ने नाले को कब्जा मुक्त कराने की कोशिश की, लेकिन दबंगों के सामने टीम को बैरंग लौटना पड़ा।

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सरकारी भूमि पर कब्जा कर तालाब को बना दिया खेत

दिबियापुर/औरैया। जिले में सरकारी भूमि पर भू-माफिया ने किस तरह से कब्जा जमाया है, इसका उदाहरण छिपिया नामक तालाब बयां कर रहा है, जिसे खेत बनाकर फसल उगाई जा रही है। तालाब को कब्जे से मुक्त कराने के लिए कई बार शिकायत की जा चुकी है, लेकिन किसी अधिकारी ने अभी तक ध्यान नहीं दिया।

जिला मुख्यालय से 11 किलोमीटर दूर विकास खंड भाग्यनगर की ग्राम पंचायत उमरी के गाँव भटपुरा में छिपिया नाम का एक तालाब है, जिस पर भू-माफिया ने अपना कब्जा जमा लिया है। उमरी गाँव की प्रधान प्रमिला पाल (50 वर्ष) का कहना है, “तालाब पर कई वर्षों से कब्जा चला आ रहा है। पहले के प्रधान ने उसे खाली नहीं कराया तो हम कहां से करा दें।”

चिन्हित किए जा रहे भू-माफिया

उन्नाव। सरकारी जमीन पर कब्जा करने वाले भू-माफिया को चिन्हित किया जा रहा है, जिसमें जनपद के विभिन्न तहसीलों में आधा दर्जन ऐसे भू-माफिया चिन्हित किए गए हैं, जिन्होंने 5480 हेक्टेयर भूमि पर कब्जा कर रखा है।

उधर, सदर तहसील में 218 हेक्टेयर जमीन पर 150 लोगों ने कब्जा जमा रखा है, जिसमें 250 लोग ऐसे हैं जिन्होंने कई जगहों पर कब्जा कर रखा है। प्रशासन ने आधा दर्जन भू-माफिया के विरुद्ध कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। उप जिलाधिकारी सदर ने बताया, “यदि भू-माफिया कब्जा नहीं छोड़ेंगे तो उनके विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाएगी। अभी तक 17 जगहों से कब्जा हटवाया गया है।”

डीएम के आदेश के बाद भी नहीं हटा अवैध कब्जा

डुमरियागंज-सिद्धार्थनगर। सरकारी जमीन का पट्टा करने की शिकायत पर डीएम ने उसे निरस्त कर खाली करवाने का निर्देश दिया था। मगर दो साल बीत जाने के बाद भी अभी तक कब्जा खाली नहीं करवाया गया है।

लटिया गाँव निवासी वासुदेव ने डीएम को दिए अपने शिकायती पत्र में बताया था कि ग्राम प्रधान की मिलीभगत से नौ सितम्बर 1996 को उसके गाँव में स्थित गाटा संख्या 574 गडही की जमीन को चार लोगों को एक-एक बिस्सा जमीन आवास के लिए आवंटित कर दिया गया था। डुमरियागंज एसडीएम राजेन्द्र प्रसाद ने बताया, “पूर्व के एसडीएम ने तीन महीने पहले कब्जा हटाने का निर्देश दिया था। वह अभी छह दिन पहले आए हैं। शिकायती पत्र फिर से मिलने पर तत्काल कार्रवाई करवाई जाएगी।”

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आठ ब्लाकों के अधिकतर तालाबों पर दबंगों का कब्जा

एटा। जनपद में दबंगों का कब्जा चारागाह के पट्टों व सरकारी तालाबों से लेकर पंचायत भवन तक पर है। सरकारी भूमि को दबंगों से कब्जा मुक्त कराने के लिए जिला प्रशासन अभियान तो चला रहा है, लेकिन तहसील कर्मचारियों की हीलाहवाली के चलते अभियान सफल नहीं हो पा रहे हैं। जनपद के आठ ब्लाकों के अधिकतर सरकारी तालाबों पर दबंग कब्जा जमाए बैठे हैं।

बताया जाता है कि लगभग 750 बीघा चारागाह की जमीन पर दबंग कब्जा किए हुए हैं। वहीं निधौलीकलां विकासखंड़ के गाँव समोखर, बहटा, कुंदनपुर, ओरनी सहित दर्जनों गाँवों में लगभग 100 बीघे चारागाह तो नोजलपुर में तकरीबन 90 बीघा खलिहान पर दबंग कब्जा जमाए बैठे हैं। इसी तरह सरकारी तालाबों को कब्जा मुक्त कराना जिला प्रशासन के लिए चुनौती बना हुआ है। शीतलपुर ब्लॉक की ग्राम पंचायत बरौली के पंचायत भवन पर कब्जा जमा हुआ है।

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एसडीएम सदर सुनील कुमार पांडे ने बताया अभियान चलाकर सरकारी भूमि को कब्जा मुक्त किया जा रहा है। अभी हमारी टीम निधौलीकलां जा रही है। वहां सरकारी जमीन को कब्जा मुक्त किया जाना है। मारहरा विकासखंड क्षेत्र में जहां भी चारागाह की जमीन पर कब्जा है उसे मुक्त कराया जाएगा।

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