स्मार्ट सिटी की राह में रोड़ा- ध्वस्त ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम

Abhishek PandeyAbhishek Pandey   28 Jun 2017 5:18 PM GMT

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स्मार्ट सिटी की राह में रोड़ा- ध्वस्त  ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टमलखनऊ में आए दिन रहती है ट्रैफिक की समस्या (फोटो: प्रमोद अधिकारी)

लखनऊ। यूपी में ध्वस्त होती ट्रैफिक व्यवस्था को सुधारने के लिए पिछली सरकार में आईटीएमएस (इंटीग्रेटेड ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम) और स्मार्ट सिटी सर्विलांस प्रोजेक्ट को लागू कर प्रदेश में 12 शहरों को स्मार्ट सिटी की दौड़ में शामिल होने की योजना सरकारी फाइलों में धूल फांक रही है। इस ओर मौजूदा सरकार का भी ध्यान नहीं जा रहा।

हालांकि सीएम योगी आदित्यनाथ को मुख्य सचिव की अगुवाई में एडीजी और एडीजी ट्रैफिक ने इस संबंध में प्रजेंटेशन दिया था, जिसे मौजूदा सरकार ने गंभीरता से लेते हुए जल्द लागू करने की बात कही थी। आईटीएमएस और स्मार्ट सिटी सर्विलांस प्रोजेक्ट योजना के तहत प्रदेश में ट्रैफिक सिस्टम हाईटेक तकनीक से लेस होना था, जिससे प्रदेश भर के चौराहे ट्रैफिक जाम से मुक्त हो सके। इंट्रीग्रेटेड ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम के तहत शहर के कई चौराहों को हाईटेक किया जाना था।

इस योजना को लागू करने के लिए पीडब्लूडी और सेतु निगम को भी एक प्रस्ताव तैयार करने के लिए कहा गया था। इसके तहत चौराहों पर सेंसर ट्रैफिक सिग्नल के साथ चौराहों पर उच्च गुणवत्ता वाले कैमरे, वीडियो वैन और ड्रोन कैमरे का भी यूज किया जाना था, जिसकी अब तक शुरुआत तक नहीं हो पाई है। बावजूद इसके यह योजना पांच वर्षों से अधिकारियों के टेबल पर घूम रही है, जिसे लागू कर पाने में यूपी सरकार अबतक नाकाम साबित होती दिख रही है।

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यह व्यवस्था जल्द प्रदेश में लागू होगी और इस ओर सरकार व ट्रैफिक विभाग काम कर रहा है। सीएम योगी आदित्यनाथ को आईटीएमएस पर पूरा एक प्रेजेंटेशन दिया गया है, जिसे लागू करने के बाद प्रदेश में ट्रैफिक व्यवस्था को सुधारा जाएगा।
प्रशांत कुमार ,एडीजी ट्रैफिक

वहीं आईटीएमएस योजना में जिलों के डीएम, एसएसपी, एसपी ट्रैफिक, पीडब्लूडी, लेसा और नगर निगम के अधिकारियों को मिलकर यह रिपोर्ट बनानी थी कि, कैसे शहर की ट्रैफिक व्यवस्था को दुुरुस्त किया जा सकता है। जहां स्मूथ ट्रैफिक के लिए चौराहे पर यूनीक पोल और बिजली के खंभों को चिन्हित कर उन्हें ट्रांसफर करने का प्लान बनाना था। इस प्रस्ताव में स्थानीय जरूरतों के हिसाब के जरूरी संशोधन करने का भी निर्देश दिया गया था। जिससे चारों ओर से फ्री यूटर्न, जेब्रा लाइन तक डिवाइडर का विस्तार और ऑटो रिक्शा के लिए सुरक्षित पार्किंग कर जाम की समस्या से आम लोगों को निजात दिया जा सकता है।

वहीं इंट्रीग्रेटेड ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम की लखनऊ शहर के लिए कुल लागत लगभग 121 करोड़ रुपये थी जिसके तहत उच्च गुणवत्ता के कैमरे, सेंसर पर काम करने वाले स्मार्ट सिग्नल चौराहों पर लगाए जा सके। इसके अलावा स्मूथ ट्रैफिक के लिए ड्रोन कैमरे, मोबाइल वीडियो वैन की व्यवस्था भी की जानी थी और साथ ही पहले चरण में तीन माह में 97 चौराहों पर और दूसरे चरण में छह माह में 80 चौराहों पर काम शुरू होना था, जिसे लेकर अबतक कोई शुरुआत तक नहीं हुई है। वहीं इस मुद्दे पर एडीजी ट्रैफिक प्रशांत कुमार ने बताया है कि, यह व्यवस्था जल्द प्रदेश में लागू होगी और इस ओर सरकार व ट्रैफिक विभाग काम कर रहा है। उन्होंने आगे बताया कि सीएम योगी आदित्यनाथ को आईटीएमएस पर पूरा एक प्रेजेंटेशन दिया गया है, जिसे लागू करने के बाद प्रदेश में ट्रैफिक व्यवस्था को सुधारा जाएगा।

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इस कन्सलटेंसी कंपनी को दिया गया था प्रोजेक्ट

बीते वर्ष 2016 में तत्कालीन मुख्य सचिव ने वीडियो कांफ्रेंसिग के माध्यम से प्रदेश की ट्रैफिक व्यवस्था में आमूल चूल परिवर्तन के लिए पीडब्ल्यूसी कन्सेलटेंसी कंपनी को प्रोजेक्ट दिया था। 12 जनपदों में तीन चरणों में आईटीएमएस और स्मार्ट सिटी सर्विलांस प्रोजेक्ट को लागू किया जाएगा, जो अक्टूबर 2016 से मूर्त रूप लेने लगेगा की बात कही थी। प्रोजेक्ट के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए ट्रैफिक पुलिस की व्यवस्था जल्द से जल्द कराई जाए, आवश्यकता पड़ने पर नई भर्ती भी करायी जाए। यह तीन चरणों में होगा जिसमें इंटीग्रोटिड फेस, इंटेलीजेंस फेस व ऑप्टीमाइज फेस होगा, कार्य के लिए धन का प्रबंध नगर निकाय की अवस्थापना निधी, विकास प्राधिकरण, लोक निर्माण विभाग, भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण और पुलिस विभाग द्वारा किया जाना था।

12 जनपदों में ट्रैफिक व सर्विलांस सेन्टर बनाए जाने की थी योजना

  • 931 चौराहों पर होना था सुधार
  • 621 ट्रैफिक सर्विलांस कैमरा लगाए जाना था
  • 2604 फिक्स कैमरा
  • 732 पीटीजैड कैमरा
  • 639 एएनडीआर कैमरा
  • 576 पीए सिस्टम
  • 84 इमरजेन्सी कॉल बॉक्स
  • 21 वीडियो एनालिस्ट

यह आएगा खर्च

491.6 करोड़- आईटीएमएस के अन्तर्गत

163.6 करोड़- स्मार्ट सिटी सर्विलांस प्रोजेक्ट

46 करोड़- प्रतिवर्ष आईटीएमएस

68.3 करोड़- प्रतिवर्ष तथा स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट

स्मार्ट सिटी योजना

शहर के लिए पहल, जिसमें कम से कम एक स्मार्ट समाधान शहरभर में लागू किया जा सके।

  • क्षेत्र का कदम-दर-कदम विकास
  • पुनर्विकास
  • हरितक्षेत्र
  • पर्याप्त पानी की जरूरत
  • ठीक तरह से बिजली की आपूर्ति
  • सार्वजनिक परिवहन सेवा को बेहतर बनाना
  • शहरी विकास
  • शहरी गरीबों के लिए सस्ती आवास योजना
  • शहर को डिजिटल युक्त करना
  • वृक्षा रोपण कर पर्यावरण को सुरक्षित करना
  • बेहतर स्वास्थ्य और शिक्षा का इंतजाम
  • आम नागरिकों के लिए बेहतर काननू व्यवस्था
  • ट्रैफिक सिस्टम को इंटीग्रेटेड करना

         

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