फल और सब्जियां महंगी : ‘कारोबारी बोले- जीएसटी जीरो लेकिन बाकी खर्चा तो बढ़ा ही है’
Shefali Srivastava 10 July 2017 2:19 PM GMT
लखनऊ। जीएसटी लागू होने के बाद अब बाजारों में इसका असर दिखने लगा है। कहीं बढ़े हुए टैक्स पर विरोध हो रहा है तो कहीं टैक्स कम होने पर भी बढ़ते दामों से व्यापारी परेशान हैं।
कुछ ऐसा ही हाल सब्जी-फल बाजारों का भी है। ताजे फलों और सब्जियों को जीएसटी में जीरो फीसदी टैक्स स्लैब में रखा गया है, लेकिन पिछले एक हफ्ते में ही दाम बढ़ गए हैं। सब्जी फल विक्रेताओं का मानना है कि खराब मौसम और ट्रांसपोर्टेशन के दाम बढ़ने से सब्जियों के दामों में असर पड़ा है। नरही में सब्जी विक्रेता विजय बहादुर लाल बताते हैं, ‘पिछले एक हफ्ते में टमाटर, प्याज, लौकी और तरोई के दाम बढ़ गए हैं। दाम बढ़ने से दुकान पर ग्राहक की संख्या भी घटी है। टमाटर के दाम 80 रुपए किलो होने से अब जो लोग पहले आधा या किलो एक किलो टमाटर खरीदते थे वहीं अब 250 ग्राम ही टमाटर खरीदते हैं। इस वजह से हमारा माल पूरे दिन में बिक नहीं पाता है और बची हुई सब्जियां फेंकने के अलावा और कोई चारा नहीं है।’
जीएसटी में बेहद जरूरी चीजों को जीरो फीसदी टैक्स स्लैब में रखा गया है, लेकिन चूंकि जीएसटी इनडायरेक्ट टैक्स है तो इसमें टैक्स जहां लगता है उसका असर कहीं और होता है। गेहूं पर जीरो फीसदी टैक्स है। जीएसटी या सीएसटी कुछ नहीं है लेकिन अगर ट्रक के दाम बढ़ गए, ट्रांसपोर्टेशन या पेट्रोल के दाम बढ़ गए तो गेहूं के दाम अपने आप इजाफा हो जाएगा।अरुण कुमार, रिटायर्ड इकोनॉमिक्स प्रोफेसर, जेएनयू
नरही में ही दूसरे सब्जी विक्रेता प्रेम कश्यप बताते हैं, “हम रोज गल्ला मंडी सब्जियां खरीदने जाते हैं, लेकिन इन दिनों खराब मौसम की वजह से मंडियों में माल आ ही नहीं रहा है। बारिश की वजह से माल वाहक ट्रक रास्ते में ही फंसे हुए हैं। सरकार ने भले ही सब्जियों को जीरो फीसदी टैक्स स्लैब में रखा हो लेकिन पेट्रोल, डीजल और ट्रांसपोर्टेशन के दाम बढ़ने से सब्जियां भी महंगी होंगी ही।”
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इस बारे में पिछले दिनों जेएनयू के रिटायर्ड इकोनॉमिक्स प्रोफेसर अरुण कुमार ने बताया था, ‘जीएसटी में बेहद जरूरी चीजों को जीरो फीसदी टैक्स स्लैब में रखा गया है, लेकिन चूंकि जीएसटी इनडायरेक्ट टैक्स है तो इसमें टैक्स जहां लगता है उसका असर कहीं और होता है। गेहूं पर जीरो फीसदी टैक्स है। जीएसटी या सीएसटी कुछ नहीं है लेकिन अगर ट्रक के दाम बढ़ गए, ट्रांसपोर्टेशन या पेट्रोल के दाम बढ़ गए तो गेहूं के दाम अपने आप इजाफा हो जाएगा।’
हमें मंडियों से सब्जियां मंगाने के लिए चार बार टैक्स देना पड़ता है। मंडियों में व्यापारियों को करीब 20 रुपए टैक्स देने के बाद सामान बाहर लाकर इकट्ठा करने वाले पल्लेदार को 20 रुपए, फिर गेट टोकन 10 रुपए और उसके बाद माल बाजार तक लाने में किराया 200- 250 रुपए देना पड़ता है। इस तरह हमें तो जीएसटी का कोई लाभ नहीं मिला।सुशील रावत , निशातगंज सब्जी मार्केट
मंडी भी अभी भी देना पड़ता है ‘टैक्स’
निशातगंज सब्जी मार्केट के सुशील रावत बताते हैं कि जीरो पर्सेंट टैक्स स्लैब के बाद भी अभी भी हमें मंडियों से सब्जियां मंगाने के लिए चार बार टैक्स देना पड़ता है। मंडियों में व्यापारियों को करीब 20 रुपए टैक्स देने के बाद सामान बाहर लाकर इकट्ठा करने वाले पल्लेदार को 20 रुपए, फिर गेट टोकन 10 रुपए और उसके बाद माल बाजार तक लाने में किराया 200- 250 रुपए देना पड़ता है। इस तरह हमें तो जीएसटी का कोई लाभ नहीं मिला। हमें इसकी कोई लिखित रसीद भी नहीं मिलती है। सब्जियां महंगी होने से सुशील काफी परेशान हैं वो बताते हैं, “सुबह से एक भी सब्जी नहीं बिकी। बारिश के मौसम में और महंगाई के चलते ग्राहक बाजार आने से बच रहा है।”
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विदेशी फलों पर लग रहा है टैक्स
गोमतीनगर हुसड़िया चौराहे स्थित फल बाजार में विक्रेता अबु शाहमा और इरफान बताते हैं, “पिछले एक हफ्ते में फलों के दाम भी बढ़े हैं और खासकर बाहर से आने वाले फलों पर टैक्स भी बढ़ाकर देना पड़ रहा है।”
एक हफ्ते में बढ़े फल के दाम
पहले अब
अमेरिकन सेब 140-150 रुपए किलो 160-180 रुपए किलो
कीवी 22 रुपए प्रति पीस 27 रुपए प्रति पीस
खजूर 140 रुपए पैकेट 150 रुपए पैकेट
माल्टा 100 रुपए किलो 120 रुपए किलो
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सब्जियों के दाम
पहले अब
टमाटर 60 रुपए किलो 80 रुपए किलो
तरोई 20 रुपए किलो 40 रुपए किलो
लौकी 10-15 रुपए किलो 30 रुपए किलो
प्याज 12-14 रुपए किलो 16-20 रुपए किलो
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