“देश बचाओ, देश बनाओ’’ यात्रा पर निकले अखिलेश, उमड़ा सैलाब

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“देश बचाओ, देश बनाओ’’ यात्रा पर निकले अखिलेश, उमड़ा सैलाबरैली के दौरान समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव लोगों का अभिवादन स्वीकार करते

लखनऊ। क्रांति दिवस के अवसर पर बुधवार को समाजवादी पार्टी ‘देश बचाओ, देश बनाओ‘ दिवस के रूप में मना रही है। इस अवसर पर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने लखनऊ से फैजाबाद तक विशेष बस पर सवार होकर यात्रा कर रहे हैं। फैजाबाद पहुंचकर वह राजबली स्मारक पब्लिक इंटर कालेज, मड़ना, पूरा बाजार में स्वतंत्रता सेनानी एवं पूर्व विधायक राजबली यादव की पुण्यतिथि पर आयोजित सम्मेलन एवं प्रतिमा अनावरण के कार्यक्रम में भाग लेंगे।

क्रांति दिवस पर समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं की तरफ से राजधानी लखनऊ सहित प्रदेश के सभी जिला मुख्यालयों पर जनसभाओं का आयोजन कर भाजपा सरकार की जनविरोधी नीतियों एवं सांप्रदायिक राजनीति क विरोध किया जा रहा है। यह जानकारी समाजवादी पार्टी के मुख्य मुख्य प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने दी।

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उन्होंने बताया कि भारत की आजादी के लिए और अंग्रेजों की गुलामी से मुक्ति के लिए पहली जनक्रांति 1857 में हुई थी। 1885 में कांग्रेस की स्थापना के वर्षों बाद उसमें लोकमान्य तिलक का प्रवेश हुआ और जनअसंतोष की आवाज उभरने लगी। सन 1919 में गांधी जी के असहयोग आंदोलन और सत्याग्रह ने लाखों लोगों को आकृष्ट किया। गांधी जी पहले ऐसे नेता थे जिनकी भारत के किसानों, गरीबों, वंचितों सहित समाज के हर वर्ग में पैठ बनी।

राजेन्द्र चौधरी ने कहा कि गांधी जी ने अपने आंदोलनों से जनता को संगठित किया। अपने लंबे राजनीतिक संघर्ष से गांधी जी ने जनता के उत्साह को विशेषकर नौजवानों को आजादी के अन्तिम संघर्ष के लिए तैयार कर लिया था।

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सपा के मुख्य प्रवक्ता ने बताया कि भारत की आजादी के साथ ही कुछ प्रबुद्ध युवा नेतृत्व ने विचारधारा के आधार पर राजनीति चलाने का मन बना लिया था। इस देश की माटी और परम्पराओं से चूंकि समाजवादी विचारधारा की ज्यादा निकटता थी इसलिए देश में समाजवादी आंदोलन को बल मिला। जय प्रकाश नारायण, डॉ. राममनोहर लोहिया और आचार्य नरेन्द्र देव ने इस आंदोलन की कमान संभाली।

राजेनद्र चौधरी ने बताया कि आज देश के समक्ष जो समस्यायें और चुनौतियां हैं उनके समाधान का रास्ता सिर्फ समाजवादी विचारधारा के पास ही है। जेपी-लोहिया की समाजवादी रीति-नीति पर चलने का काम राजनैतिक दल के रूप में समाजवादी पार्टी ही कर रही है। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के नेतृत्व में समाजवादी पार्टी व्यवस्था परिवर्तन के आंदोलन को आगे बढ़ाने को संकल्पित है।

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समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव यह मानते हैं कि सामाजिक-आर्थिक राजनीतिक लोकतंत्र के प्रमुख तंत्र हैं इसलिए वे समाजवादी व्यवस्था और समतामूलक समाज के निर्माण पर बराबर जोर देते रहते हैं। वे डा. लोहिया के इस सिद्धांत के कायल हैं कि गैरबराबरी मिटनी चाहिए तो संभव बराबरी लक्ष्य होना चाहिए। उनकी सप्तक्रान्ति समानता, राष्ट्र और लोकतंत्र के उन्नयन की कुंजी मानी जा सकती है। अखिलेश यादव ने अपने मुख्यमंत्रित्वकाल में सामाजिक न्याय की दिशा में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए थे। उन्होंने पिछड़ों और वंचितों के सम्मान पूर्वक जीने के लिए विशेष अवसर प्रदान करने का कार्य किया। यादव मानते हैं कि सामाजिक प्रगति के साथ व्यक्ति और समाज की आर्थिक प्रगति भी होनी चाहिए तभी लोकतंत्र फल फूल सकता है।

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आखिर किसानों की हितों की रक्षा का नीतियों, नेतृत्व और नियत से गहरा सम्बंध है। किसान ही भारत का प्राण है। प्राणहीन समाज में कोई जीवन नहीं हो सकता। ऐसी स्थिति में विचारधारा के आधार पर नीतिगत बंटवारा आवश्यक हो चला है। गांव, कृषि और किसान की आवाज की चिंता खुद चैधरी चरण सिंह जी ने राष्ट्रीय फलक पर उठाई थी। बाद में उनके अनुयायी समाजवादी आंदोलन के साथ जुड़ गए। आज वे अखिलेश यादव की अगुवाई में उसी रास्ते पर चलने का प्रयास कर रहे है। युवा पीढ़ी की चिंता भी अखिलेश जी ही करते नजर आते है। वे मानते हैं कि समाजवाद का रास्ता ही शोषण विहीन समाज का निर्माण कर सकेगा। लोकतांत्रिक व्यवस्था की ताकत ही आर्थिक विषमता और सामाजिक गैरबराबरी मिटाने में सफल हो सकती है। लोकतंत्र के लिए आवश्यक है कि सभी प्रकार की सत्ता का विकेन्द्रीकरण हो। इसमें ही अगस्त क्रांति की सार्थकता निहित है।

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