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हादसा नहीं, हत्या: हेडफ़ोन लगाये था ड्राईवर, कानून तोड़ती स्कूल वैन ट्रेन से कुचली, यूपी केे कुशीनगर में 13 बच्चों की मौत

रेल हादसा

कानों में हेडफोन लगा कर बात कर रहे एक स्कूल वैन ड्राईवर ने आती ट्रेन पर ध्यान नहीं दिया और दस साल से कम उम्र के अट्ठारह स्कूली बच्चों से ठूंसी गयी वैन उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में एक मानव रहित क्रासिंग पर ट्रेन द्वारा कुचल दी गयी। तेरह बच्चों की तुरंत मौत हो गयी और चार बच्चे गंभीर रूप से घायल हैं।

ये हादसा पूर्वी उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जिले में विशुनपुरा थाना क्षेत्र के बहपुरवा रेलवे क्रासिंग पर हुआ। रेलवे क्रॉसिंग पर सामने से आ रही सीवान से गोरखपुर जाने वाली ट्रेन से (ट्रेन नंबर 55075) बच्चों से भरी एक मैजिक वैन टकरा गई।

उत्तर प्रदेश में देश के सबसे ज्यादा ऐसी रेलवे क्रासिंग हैं जहां कोई चौकीदार नहीं है।

गोरखपुर के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. एसके तिवारी ने गाँव कनेक्शन को बताया, “बच्चों की हालत को देखते हुए बच्चों को गोरखपुर मेडिकल कॉलेज न भेजकर उन्हें लखनऊ के मेडिकल कॉलेज और लखनऊ के पीजीआई भेजा जायेगा।

डिवाइन पब्लिक स्कूल के बच्चे सफ़ेद कमीज़, सफ़ेद पैंट और लाल और पीले रंग की टाई पहने थे। ट्रेन से टकराने के बाद पीले रंग की स्कूल वैन सड़क के किनारे झाड़ियों में जा गिरी।

अभी तक इस हादसे में 13 बच्चों की मौत हो चुकी है और एक ड्राईवर और चार बच्चे गंभीर रूप से घायल है। वैन में कुल 18 बच्चे बैठे थे।

डॉ. एसके तिवारी, मुख्य चिकित्सा अधीक्षक, गोरखपुर

“अभी तक इस हादसे में 13 बच्चों की मौत हो चुकी है और एक ड्राईवर और चार बच्चे गंभीर रूप से घायल है। वैन में कुल 18 बच्चे बैठे थे, ” डॉ. तिवारी ने बताया।

देश भर में बिना चौकीदार वाली रेलवे क्रॉसिंग की कुल संख्या 9,340 है, जिनमें से सर्वाधिक 1985 क्रॉसिंग गुजरात में हैं। रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा ने 2014 में राज्यसभा को एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी थी। उन्होंने बताया कि बिना चौकीदार वाले रेलवे क्रॉसिंग यूपी में 1357, राजस्थान में 940, बिहार में 898, तमिलनाडु में 611 और पश्चिम बंगाल में 582 है।

सुप्रीम कोर्ट ने जारी कर रखी हैं ये गाइडलाइन

स्कूली बसों के बढ़ते हादसों के बाद सुप्रीम कोर्ट ने ये निर्देश जारी किये थे, लेकिन इनका अधिकांशतः पालन नहीं होता है।

  • बसों में स्कूल का नाम व टेलीफोन नंबर लिखा होना चाहिए।
  • बसों का उपयोग स्कूली गतिविधियों व परिवहन के लिए ही किया जाएगा।
  • वाहन पर पीला रंग हो जिसके बीच में नीले रंग की पट्टी पर स्कूल का नाम होना चाहिए।
  • वाहन चालक को न्यूनतम पांच वर्ष का वाहन चलाने का अनुभव होना चाहिए। बसों में जीपीएस डिवाइस लगी होनी चाहिए ताकि ड्राइवर को कोहरे व धुंध में भी रास्ते का पता चल सके।
  • सीट के नीचे बस्ते रखने की व्यवस्था।
  • बस में अग्निशमन यंत्र रखा हो।
  • बस में कंडक्टर का होना भी अनिवार्य।
  • बस के दरवाजे तालेयुक्त होने चाहिए।
  • बस में प्राथमिक उपचार के लिए फस्ट ऐड बॉक्स उपलब्ध हो।
  • बसों की खिड़कियों में आड़ी पट्टियां (ग्रिल) लगी हो।
  • स्कूली बस में ड्राइवर व कंडक्टर के साथ उनका नाम व मोबाइल नंबर लिखा हो।
  • बस के अंदर सीसीटीवी भी इंस्टॉल होना चाहिए ताकि बस के अंदर की दुर्घटना के बारे में पता लगाया जा सके
  • स्कूली वाहन के रूप में चलने वाले पेट्रोल ऑटो में पांच, डीजल ऑटो में आठ, वैन में 10 से 12, मिनी बस में 28 से 32 और बड़ी बस में ड्राइवर सहित 45 विद्यार्थियों को ही सवार कर सकते हैं।
  • किसी भी ड्राइवर को रखने से पहले उसका वेरिफिकेशन कराना जरूरी है।
  • बस चालक के अलावा एक और बस चालक साथ में होना जरूरी।
  • चालक का कोई चालान नहीं होना चाहिए और न ही उसके खिलाफ कोई मामला हो।
  • बसों में बैग रखने के लिए सीट के नीचे व्यवस्था होनी चाहिए।
  • बसों में टीचर हो, जो बच्चों पर नजर रखे।

सीएम ने व्यक्त किया दुख

सीएम योगी आदित्‍यनाथ ने इस हादसे पर दुख व्‍यक्‍त किया है। उन्‍होंने प्रशासन को राहत व बचाव कार्य में जुटने का निर्देश दिया है। साथ ही सीएम ने मृतकों और घायल बच्‍चों के परिजनों 2-2 लाख रुपए की आर्थ‍िक मदद की घोषणा की है। सीएम ने गोरखपुर के कमिश्‍नर को जांच के आदेश भी दिए हैं।

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