शिक्षामित्रों के आन्दोलन ने फिर पकड़ी तीव्रता, सरकार के विरोध में किये प्रदर्शन

Meenal TingalMeenal Tingal   7 Sep 2017 7:54 PM GMT

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शिक्षामित्रों के आन्दोलन ने फिर पकड़ी तीव्रता, सरकार के विरोध में किये प्रदर्शनसपा सरकार में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव।

लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए शिक्षामित्रों ने एक बार फिर अपना आन्दोलन शुरू कर दिया। शिक्षामित्रों ने 10 हजार रुपये मानदेय लेने से इंकार करते हुए आन्दोलन को जारी रखने की चेतावनी भी सरकार को दी है। शिक्षामित्रों ने कहा कि यह तब तक किया जाएगा जब तक दिये गये प्रत्यावेदन पर निर्णय नहीं ले लिया जाता है।

बीते मंगलवार 5 सितंबर को मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में शिक्षामित्रों का मानदेय बढ़ाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई थी। इसके विरोध में बुधवार को आन्दोलन के तहत शिक्षामित्रों ने उत्तर प्रदेश के कई जिलों में बेसिक शिक्षा अधिकारी के कार्यालय पर प्रदर्शन किया तो कहीं केबिनेट की बैठक में मंजूर हुए प्रस्ताव की प्रतियां भी जलायीं गयीं।

आन्दोलन में शामिल उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र संघ, आदर्श शिक्षक वेलफेयर एसोसेएशन, संयुक्त सक्रिय शिक्षक शिक्षामित्र समिति व दूरस्थ बीटीसी शिक्षक संघ इस आन्दोलन में एकजुट है। सभी संघ प्रमुखों का कहना है कि सरकार ने हम लोगों से आधा दर्जन बार वार्ता की और आश्वासन दिया, वेतनमान पर सहमति बनी, लीगल ओपेनियन गठित कमेटी द्वारा मांग की गयी, एकरूपता प्रत्यावेदन मांगा गया, यह सब किसलिए मांगा गया, क्या केवल धोखा देने के लिए?

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प्रदेश सरकार ने अपनी पूर्व घोषणा को यथावत रखते हुए मंगलवार को शिक्षक पद पर समायोजित किये गए 1.37 लाख शिक्षामित्रों को एक अगस्त 2017 से उनके मूल पद शिक्षामित्र पर वापस करने का फैसला किया। इसी तारीख से प्रदेश के 165157 शिक्षामित्रों का मासिक मानदेय 3500 रुपये से बढ़ाकर दस हजार रुपये करने का निर्णय किया था।

उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र संघ के प्रदेश अध्यक्ष गाजी इमाम आला ने कहा, दो बार मुख्यमंत्री जी से वार्ता हुई और उसमें आश्वासन दिया गया, पांच बार अपर मुख्य सचिव व गठित कमेटी से वार्ता की गयी मगर नतीजा शून्य निकला। अब बहुत अपमान हो चुका है अब न तो वार्ता होगी और न ही आश्वासन चाहिये। हम लोग रिजल्ट आने तक आन्दोलन जारी रखेंगे।

कल हुई कैबिनेट की बैठक में शिक्षामित्रों को शिक्षकों की भर्ती में वेटेज (भारांक) देने के लिए भी नियमावली में संशोधन के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गयी थी। शिक्षामित्रों को शिक्षक भर्ती में प्रत्येक वर्ष की सेवा के लिए 2.5 अंक और अधिकतम 25 अंक तक, इनमें से जो भी कम हो, वेटेज दिया जाएगा।

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आदर्श शिक्षा मित्र वेलफेयर एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष जितेन्द्र शाही ने योगी सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए कहा कि यह फैसला बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा कि सरकार के इस फैसले से हम शिक्षामित्र संतुष्ट नहीं है। हम लोगों को ‘समान काम, समान वेतन’ से कम पर कुछ भी मंजूर नहीं है। श्री शाही ने कहा कि सारे प्रदेशों में शिक्षामित्रों को 12 महीने का मानदेय दिया जा रहा है। हिमाचल प्रदेश में 21, 500, राजस्थान में 20 हजार रुपये, दिल्ली में 30 हजार और महाराष्ट्र में 40 हजार रुपये मानदेय है लेकिन यूपी में ये 10 हजार पर ही अटक गए हैं।

दूरस्थ बीटीसी शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अनिल यादव ने कहा कि हम लोगों के साथ बहुत अन्याय हुआ है। हम लोग इसका विरोध करते रहेंगे जब तक हमारे हक में फैसला नहीं आ जाता। अपना विरोध दर्शाने के क्रम में हम लोगों ने कई जिलों में गिरफ्तारियां दी हैं और देते रहेंगे। इसके साथ ही उन प्रतियों को भी जला कर अपना विरोध दर्शाया है जिसमें 10 हजार मानदेय देने के प्रस्ताव को कल केबिनेट की बैठक में मंजूर किया गया था।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव।

आदर्श शिक्षा मित्र वेलफेयर एसोसिएशन के जिला उपाध्यक्ष राजेश कुमार ने कहा कि हम लोगों ने आज बीएसए ऑफिस पर बैठकर शांतिपूर्ण रूप से काली पट्टी बांधकर प्रदर्शन किया है। आज हम लोगों की संख्या तीन सौ के लगभग रही लेकिन कल से हम बाइस सौ शिक्षामित्र एकजुट होकर प्रदर्शन करेंगे। हमारी कोशिश होगी कि हम लोगों को उग्र रूप न धारण करना पड़े क्योंकि हम लखनऊवासियों को किसी तरह की परेशानी में डालना नहीं चाहते। उन्होंने कहा, हम लोगों के बारे में सरकार को सोचना चाहिये कम से कम बीस-पच्चीस हजार रुपये तो वेतन के रूप में देने ही चाहिये। इस मंहगाई के दौर में बच्चों को भला किस तरह से पालेंगे। जब तक हम लोगों के बारे में सरकार नहीं सोचती हम लोग अपना आन्दोलन जारी रखेंगे।

   

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