सिद्धार्थनगर : मुख्यमंत्री जी ऐसी बसें चलाई वो अच्छा है, लेकिन इन बस अड्डों पर पानी का भी इंतजाम करवा दीजिए  

Deepanshu MishraDeepanshu Mishra   12 May 2017 5:14 PM GMT

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
सिद्धार्थनगर : मुख्यमंत्री जी ऐसी बसें चलाई वो अच्छा है, लेकिन इन बस अड्डों पर पानी का भी इंतजाम करवा दीजिए  बांसी बस स्टेशन।

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

बांसी (सिद्धार्थनगर)। पिछले दिनों उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दो दर्जन से ज्यादा वातानुकूलित बसों को हरी झंडी दिखाई। लोगों ने फैसले की सराहना भी करते हुए कहा कि इस गर्मी में यात्रियों का सफर आसान हो जाएगा, लेकिन प्रदेश में तमाम बस अड्डे ऐसे हैं जहां पीने का पानी तक नहीं है। यात्रियों की मांग है कि सरकार इस तरफ भी ध्यान दें।

नेपाल की तराई में बसे सिद्धार्थनगर जिला मुख्यालय से लगभग 50 किलोमीटर दूरी पर स्थित बांसी बस अड्डे की हालत देखने लायक है। इस बस अड्डे में बनी बिल्डिंग पूरी तरह से जर्जर है। लोगों को इस बस अड्डे पर तमाम तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।

इस बस अड्डे पर लोगों के पीने के लिए शुद्ध पानी तक की कोई व्यवस्था नहीं है। उसी बस अड्डे पर बांसी से नौगढ़ का सफर करने आये बंशीलाल वर्मा (45 वर्ष) बताते हैं, "हम यहां से नौगढ़ तक का सफर ज्यादातर करते हैं। काफी दिक्कतें होती हैं। इतनी गर्मी पड़ रही पीने के पानी की सही व्यवस्था नहीं है। बस आकर ऐसे धूप में खड़ी हो जाती है, हम ही जानते है कि कैसे सफ़र करते हैं।"

देश-दुनिया से जुड़ी सभी बड़ी खबरों के लिए यहां क्लिक करके इंस्टॉल करें गाँव कनेक्शन एप

ये अकेले बांसी बस अड्डे की परेशानी नहीं है, जिला मुख्यालय नौगढ़ बस अड्डे की हालत इससे भी ज्यादा खराब है। इस गर्मी में यात्रियों को पीने का पानी तक नहीं मिल रहा है। नौगढ़ से गोरखपुर सफर कर रहे रोहित गुप्ता बताते हैं, "हर सुबह यहां से गोरखपुर के लिए बस पकड़ता हूं, यहां की हालत बहुत खराब है। अगर किसी बस के बारे में पता करना हो तो कोई जानकारी देने वाला नहीं कि कब कौन सी बस मिलेगी।"

उत्तर प्रदेश परिवहन निगम के हिसाब से 7668 बसें 2.5 बिलियन किलोमीटर में चलती हैं और 1.3 मिलियन लोगों को ले जाती हैं।

बीते आठ तारीख को मुख्यमंत्री ने कई बसों का उद्घाटन किया और अच्छी तरह की बसों का संचालन किया। बात यह कि केवल बस चला देने से ही काम खत्म नहीं हो जाता बल्कि उन्ही बस अड्डों की हालत पर भी एक बार सोचना होगा।

यही हाल जिले के बढ़नी बस अड्डे की है। यहां से हर दिन हजारों की संख्या में यात्री सफर करते हैं, लेकिन बस अड्डा न होने से यात्रियों को परेशानी होती है। सिद्धार्थनगर के बढ़नी कस्बे के नेपाल बार्डर पर होने से यहां से दिल्ली लखनऊ, कानपुर, कोलकाता, राजस्थान सहित भारत के अन्य महानगरों की यात्रा करते हैं। इतना ही नहीं, बढ़नी कस्बे से रोजाना हजारों की संख्या में यात्रियों को आना-जाना होता है। इसमें नेपाल के यात्रियों की संख्या सबसे अधिक होती है।

इसके बावजूद भी अभी यहां स्थाई बस अड्डे का निर्माण नहीं हुआ, जबकि यहां से सभी महानगरों के लिए सीधे बसों का संचालन होता है। बस अड्डे के न बनने से सारी बसें बढ़नी रेलवे स्टेशन के सामने ही खड़ी रहती हैं। इससे हर दिन लोगों को घंटों जाम में फंसे रहना होता है।

बढ़नी के रहने वाले रमेश मद्धेशिया (35 वर्ष) दिल्ली में नौकरी करते हैं। वो कहते हैं, "कई बार ऐसा होता है कि हमें बस पकड़नी पड़ती है, बस अड्डा न होने पर बस ड्राइवर बस ही नहीं रोकते है। दिन में तो ठीक रहता है, लेकिन रात में बहुत परेशानी होती है।"

यात्रियों की सुविधाओं के नाम पर कुछ नहीं

यहां पर यात्रियों की सुविधाओं के नाम कुछ भी मुहैया नहीं है। यात्री खुले आसमान के नीचे खड़े होकर बस का इन्तजार करते हैं। ऐसे में सबसे अधिक परेशानी ठंड व बरसात के दिनों में होती है। यहां से निकलने वाली रोडवेज की बसें स्टेशन के सामने मुख्य मार्ग पर खड़ी होती हैं। जिससे पूरा कस्बा जाम का शिकार होता है।

ताजा अपडेट के लिए हमारे फेसबुक पेज को लाइक करने के लिए यहां, ट्विटर हैंडल को फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें।

       

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.