जमीन पर ढूढ़े नहीं मिल रहे कागजों पर लगे पौधे, सामाजिक कार्यकर्ता ने मुख्यमंत्री को चिट्ठी लिखकर की जांच की मांग

केंद्रीय रोजगार गारंटी परिषद के पूर्व सदस्य और सामाजिक कार्यकर्ता संजय दीक्षित ने यूपी के मुख्यमंत्री को चिट्ठी लिखकर बुंदेलखंड में साल 2008 में कराए गए पौधरोपण की जांच की मांग की है। दीक्षित का आरोप है कि जो आंकड़े रिपोर्ट में अधिकारी भेजते हैं वे कुछ और होते हैं जबकि जमीन पर कुछ और।
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लखनऊ (उत्तर प्रदेश)। “पिछले एक डेढ़ दशक में पूर्ववर्ती सरकारों में जो पेड़ जनता के पैसों से लगाये गये, जिसे दिखाकर अधिकारियों ने प्रमोशन लिया, वे पेड़ गये कहां? वे पेड़ अब कहां हैं? ” केन्द्रीय रोजगार गारंटी परिषद के पूर्व सदस्य और सामाजिक कार्यकर्ता संजय दीक्षित सवाल पूछते हैं।

सामाजिक कार्यकर्ता संजय दीक्षित ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को खत लिखकर बुंदेलखंड के सात जिलों में साल 2008 में लगाए गए करोड़ों पेड़ों के संबंध जांच की मांग की है। दीक्षित का आरोप है कि हर साल पेड़ लगाए जा रहे हैं, कागजों में जीवित भी दिखाए जा रहे हैं, लेकिन जमीन पर पेड़ मौजूद नहीं हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री से बुंदेलखंड में 2008 में रोपित पौधों का भौतिक सत्यापन मानसून से पहले कराने की मांग की है। क्योंकि अगले दो-ढाई महीने बाद फिर से मॉनसून के दौरान करोड़ों पौधे लगाए जाएंगे।

संजय दीक्षित ने गांव कनेक्शन को बताया, “जुलाई 2008 में बुंदेलखंड क्षेत्र के सात जनपदों में मनरेगा के तहत वन विभाग द्वारा विशेष पौधरोपण अभियान के तहत 4.5 करोड़ पौधों का रोपण 45 दिन के अंदर कराया गया था। इस संदर्भ में मैंने 2008 से 2012 तक लगाए हुए कितने वृक्ष जीवित बचे इसका विस्तार से विवरण मांगा, जो मुझको कुछ जनपदों से प्राप्त हुआ है। मैंने जमीन पर जाकर इन जनपदों में चेक किया तो जालौन में वन विभाग द्वारा जिन स्थानों पर रोपण किया दर्शाया गया है वहां 3% भी वृक्ष मौजूद नहीं है। ऐसा ही हाल दूसरी जगहों का भी है।”

सरकार की मंशा के अनुरूप बुंदेलखंड क्षेत्र में शीशम, इमली, नीम, जामुन, पाकड़ आदि के पेड़ लगाए गए थे। अगर पेड़ मर भी गए होंगे तो इन तेरह वर्षों में वहां पर निश्चित रूप से नया पौधरोपड़ हुआ होगा। हर सरकार 25 से 30 करोड़ पेड़ लगाती है और उनकी बाकायदा जीपीएस मॉनिटिरिंग की जाती है। ये जो जंगल आज बुन्देलखंड में खड़ा है उन्ही वृक्षों का जंगल है।- मनोज सिंह, अपर मुख्य सचिव ग्राम्य विकास, यूपी

सामाजिक कार्यकर्ता संजय दीक्षित का खत।

दीक्षित के मुताबिक विभाग से मिली जानकारी के अनुसार 2008 में पौधरोपण कार्यक्रम के तहत 7882 हेक्टेयर में 8458832 रोपित वृक्षों की संख्या बताई गई और जीवित पौधों की संख्या 5836442 बताई गई है। साथ ही सफलता प्रतिशत 59% बताया गया।

मुख्यमंत्री को लिखे खत में उन्होंने इसे आम जनता के पैसों से किया गया एक बड़ा सुनियोजित घोटाला बल्कि पर्यावरण की दृष्टिकोण से भी अत्यंत गंभीर बताया है।

गांव कनेक्शन ने इस बारे में उत्तर प्रदेश के अपर मुख्य सचिव ग्राम्य विकास मनोज सिंह से भी बात की है। उन्होंने बताया, “मुझे इस मुद्दे की जानकारी है। संजय दीक्षित द्वारा मुझे पहले भी अवगत कराया गया था। उस समय भी नेशनल लेवल मॉनीटिरिंग दिल्ली की एक टीम ने आकर की भी थी। उस समय मैं कमिश्नर रूरल डवलपमेंट के पद पर कार्यरत था। साथ ही फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया ने भी जांच की थी और रिपोर्ट दी थी कि बुंदेलखंड में वन क्षेत्र बढ़ा है।”

वे आगे कहते हैं, “सरकार की मंशा के अनुरूप बुंदेलखंड क्षेत्र में शीशम, इमली, नीम, जामुन, पाकड़ आदि के पेड़ लगाए गए थे। अगर पेड़ मर भी गए होंगे तो इन तेरह वर्षों में वहां पर निश्चित रूप से नया पौधरोपण हुआ होगा। हर सरकार 25 से 30 करोड़ पेड़ लगाती है और उनकी बकायदा जीपीएस मानिटिरिंग की जाती है। ये जो जंगल आज बुन्देलखंड में खड़ा है उन्ही वृक्षों का जंगल है।”

उत्तर प्रदेश सरकार ने वर्ष 2008 में बुंदेलखंड क्षेत्र में 10 करोड़ पौधों की रोपण की विशेष योजना बनाई थी, जिसके तहत वन विभाग को 4.5 करोड़ पौधों का रोपण करना था। एक जुलाई 2008 को इस संबंध में मुख्य सचिव द्वारा बुंदेलखंड के समस्त जनपदों के अधिकारी एवं उन विभागों के प्रमुख सचिव एवं अधिकारियों को सूचित किया गया। जिनके द्वारा यह रोपण कराया जाना था। वन विभाग की 17 अगस्त 2008 तक की रिपोर्ट के अनुसार विभाग में बुंदेलखंड के समस्त 7 जनपद में 4.52 करोड़ पौधरोपण कर दिया था। अर्थात लक्ष्य से भी अधिक पौधरोपण किया।

संजय दीक्षित के मुताबिक उरई रेंज में जहां 2012 में 205100 पौधों को जीवित दर्शाया गया था वहां 10 साल पुराने 1000 पेड़ भी नहीं हैं। फोटो वाया संजय दीक्षित

हकीकत और कागजों में फर्क

उरई रेंज में बोहदपुरा पौधरोपण स्थल था जहां 300 हेक्टेयर में 293,000 वृक्ष लगाने का दावा किया था। संजय दीक्षित के मुताबिक 2008 में वन विभाग ने और 2012 में 205,100 वृक्ष को जीवित दर्शाया है, जबकि मौजूदा हाल में इस जंगल में 1000 भी जीवित वृक्ष नहीं है, जिनकी उम्र 10 साल के करीब हो।

दीक्षित ये भी बताते हैं कि जालौन में ही दूसरे जंगल कदौरा रेंज में बरही/तिरही में वन विभाग ने 2008 में 75 हेक्टेयर में 82,500 पौध लगाने की बात बताई थी और 2012 में 56,100 वृक्ष जीवित बताए हैं। इस पूरे जंगल में 500 वृक्ष भी मौजूद नहीं है, जो 10 साल पुराने हो। कालपी रेंज के काशीरामपुर जंगल में वन विभाग ने 2008 में 33,000 पौध लगाने की बात कही है और 2012 में 22,605 वृक्ष जीवित दर्शाए हैं। लेकिन मुझे पूरे जंगल में 500 वृक्ष भी मौजूद नहीं मिले।”

45 दिनों में 4.5 करोड़ लगाए गए पौधे

एक जुलाई 2008 को प्रमुख सचिव द्वारा वन विभाग को 4.5 करोड़ पौधरोपण करने का लक्ष्य दिया गया था, जिसके लिए 17 अगस्त 2008 को वन विभाग ने जो रिपोर्ट प्रेषित की है उसके अनुसार बांदा जिले में 5.59 लाख, हमीरपुर जिले में 77 लाख , महोबा जिले में 34 लाख, चित्रकूट जिले में 77 लाख , जालौन में 71.50 लाख, झांसी में 71.50 लाख, ललितपुर जिले 115 लाख पौधे लगाए जा चुके थे।

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