बेटी बचाओं बेटी पढ़ाओ की जमीनी हकीकत से यही लगता है कि ये दावा हवा-हवाई है

Ajay MishraAjay Mishra   13 Oct 2017 8:56 PM GMT

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बेटी बचाओं बेटी पढ़ाओ की जमीनी हकीकत से यही लगता है कि ये दावा हवा-हवाई हैमनीशा शंखवार (छात्रा )

कन्नौज। मैं पढ़ना चाहती हूं पर स्कूल से मेरा नाम काट दिया गया है। फीस नहीं दे पाई क्यों कि घर की आर्थिक स्थिति बहुत ज्यादा खराब है। मेरे पापा इस दुनिया से चार साल पहले दुनिया छोड़ कर चले गए, मेरी मां अब काम करने जाती है। 14 साल की मनीशा शंखवार इस तरह रोते हुए बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ की असलियत बता देती है।

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नगर पालिका परिषद कन्नौज के मोहल्ला भगवानपुर निवासी दसवीं की पूर्व छात्रा मनीषा बताती है कि पापा शिव कुमार मजदूरी और खेती का काम करते थे। कभी-कभी इलेक्ट्रानिक का काम कर परिवार का भरण-पोषण करते थे। उनके जाने के बाद अब मां हैं जो घरों में काम करने जाती हैं। छोटा भाई मोहित 11 साल का है। प्राथमिक स्कूल कुतलूपुर में वह पढ़ने जाता था। मनीषा आगे बताती है कि बड़ा भाई शोभित (17) टेंपो की दुकान पर अजय मिस्त्री के यहां काम करता है। मनीशा ने बताया कि पिछले साल फीस जमा हुई की थी फिर आर्थिक तंगी के कारण फीस न जमा कर पायी। स्कूल में फीस मांगी गई और कहा गया कि जमा करो नहीं तो नाम काट दिया जाएगा।

पड़ोस के ही 64 वर्शीय नाथूराम कहते हैं कि इस लड़की के परिवार को लाभ मिलना चाहिए। किसी भी सरकारी योजना का लाभ नहीं मिलता है। मोहल्ले में दलाल अफसरों को आने नहीं देते हैं। नाथूराम आगे बताते हैं जब से इस लड़की के पिताजी का स्वर्गवास हुआ, बहुत दिक्कत हो गई है। रहने को अच्छा घर नहीं है, फूलों की माला बनाकर गुजारा करती है।

इस मामले में जब डीआईओएस विमलेश विजयश्री से पूछा गया कि छात्राओं की शिक्षा क्या निःशुल्क है तो उन्होंने कहा कि हां बिल्कुल है। इसके बाद छात्रा के नाम काटे जाने के सवाल पर बोलीं कि कुछ जरुरी फीस होती है वह काॅलेज को देनी पड़ती है। इसमें बोर्ड परीक्षा फीस भी होती है। शिक्षण शुल्क नहीं लगती है।

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गोमती देवी गर्ल्स इंटर काॅलेज, कन्नौज

गोमती देवी गर्ल्स इंटर काॅलेज, कन्नौज स्कूल प्रधानाचार्या दिव्या बताती हैं कि सब काम आॅनलाइन है अब हम लोग कुछ कर भी नहीं सकते हैं। इलाहाबाद बोर्ड परीक्षा के रजिस्ट्रेशन हो चुके हैं। ऐसे में मनीशा का पूरा साल बेकार चला गया है। दिव्या आगे कहती है कि कहने को फीस माफ हुई है। केवल ट्युशन की फीस माफ होती है। अगर किसी छात्रा को दिक्कत है तो बताए, हम लोग खुद पढ़ने वाले स्टूडेंट्स की फीस जमा कर देते हैं। विद्यालय में भी कई लोग हैं जो फीस दे देते हैं।

सरकार का बेटी पढ़ाने का अभियान कैसा

सरकारें बेटियों को आगे बढ़ाने और पढ़ाने की बात करती हैं। उनके लिए कई योजनाओं को चलाने का दावा करती हैं। लेकिन इन कुछ जमीनी हकीकत से यही लगता है कि ये दावा हवा-हवाई हैं। असलियत सरकारी दावे से बिल्कुल उलट है। साथ ही छात्राओं की शिक्षा निःशुल्क करने का दावा भी कोरा है।

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