पीलीभीत की सहकारी चीनी मिल को चलाने की कवायद तेज 

पीलीभीत की सहकारी चीनी मिल को चलाने की कवायद  तेज पूरी तरह से जर्जर हो चुकी है चीनी मिल।

नीतीश तोमर (स्वयं कम्युनिटी जर्नलिस्ट)

पीलीभीत। पिछले कई वर्षों से बंद पड़ी उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड राज्य की सीमा पर स्थित किसान सहकारी चीनी मिल, मझोला उत्तराखंड राज्य बनने से पहले 1964 में प्रदेश की तीसरी चीनी मिल थी। इस चीनी मिल की स्थापना से इस क्षेत्र के हजारों किसानो ने अपने खेतों में अधिक गन्ने की फसल पैदा करना शुरु कर दिया था। उस समय यह मिल ख़ूब चलती थी, पर आज इस चीनी मिल में टूटी खिड़कियों और जर्जर मशीनों के अलावा कुछ भी नहीं बचा है।

मिल की स्थापना के समय प्रदेश की मुख्यमंत्री सुचेता कृपलानी ने इस चीनी मिल को क्षेत्र के गन्ना किसानों की खेती को जीवनदान बताया था। लेकिन उत्तर प्रदेश चीनी मिल फेडरेशन के उच्च अधिकारियों और प्रदेश सरकार की उदासीनता के कारण वर्ष 2008 में यह चीनी मिल बंद हो गई।

ये भी पढ़ें- सहकारी चीनी मिलों की बदलेगी सूरत, आपके बंजर खेतों का भी होगा सुधार

विधानसभा चुनाव से एक वर्ष पहले प्रदेश में स्थित सपा सरकार ने कैबिनेट की बैठक बुलाकर बंद पड़ी इस मिल को दुबारा चलाने का फैसला लिया था। मगर इसके आगे कोई कार्यवाही नहीं हो सकी। अब प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने पर बंद पड़ी चीनी मिल को चलाने की कवायद पुनः शुरु हो चुकी है।

इस बारे में पीलीभीत के जिला गन्ना अधिकारी राजेश्वर यादव से बताते हैं, "इस मिल को चलाने की कवायद पिछली सरकार के समय से ही शुरु हो गई थी। लेकिन मौजूदा सरकार के समय में इस चीनी मिल को दोबारा चलाने का गंभीरता से विचार चल रहा है। जिसके तहत प्राइवेट सेक्टर के उद्योगपति भी इस फैक्टरी का सर्वे कर चुके हैं।"

ये भी पढ़ें-सहकारी चीनी मिल बंद होने से किसान सड़क पर

"इस वर्ष यह फैक्ट्री चलने की कोई संभावना नहीं है। यदि सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो इस वर्ष फैक्ट्री में सुधार कार्य एवं मशीनों का उच्चीकरण किया जाएगा और अगले वर्ष क्षेत्र के किसानों को यह बंद पड़ी चीनी मिल दोबारा चालू कर तोहफे के रुप में सौंप दी जाएगी।" उन्होंने आगे बताया।

इसी के तहत गोरखपुर के एक निजी ग्रुप ने चीनी मिल को चलाने में अपनी रुचि दिखाई है। इसी कड़ी तहत इस ग्रुप के सुधीर जायसवाल के नेतृत्व में एक टीम चीनी मिल का निरीक्षण करने मझोला पहुंची। जिनके साथ पीलीभीत शहर विधायक संजय गंगवार व खटीमा के विधायक पुष्कर सिंह धामी भी मौजूद थे। इस प्राइवेट ग्रुप द्वारा बंद पड़ी चीनी मिल को चलाने की इच्छा से यह प्रतीत होता है कि आने वाले दिनों में वर्षों से बंद पड़ी चीनी मिल पुनः चालू हो सकती है। इस मिल के चलने से हजारों गन्ना किसानों को अपनी फसल बेचने के लिए उचित स्थान प्राप्त हो जाएगा।

ये भी पढ़ें- कभी 10 लाख लोगों का पेट पालने वाली एशिया की दूसरी सबसे बड़ी चीनी मिल आज कूड़े में

न्यूरिया हुसैनपुर के किसान अब्दुल वाहिद (50 वर्ष) चीनी मिल शुरु होने के बारे में बताते हैं, "यदि यह चीनी मिल चालू हो जाती है तो क्षेत्र के किसानों के समय और धन दोनों की बचत होगी और उनका गन्ना समय से चीनी मिल में चला जाएगा।"

ताजा अपडेट के लिए हमारे फेसबुक पेज को लाइक करने के लिए यहां, ट्विटर हैंडल को फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें।

गन्ना किसानों को राहत पीलीभीत समाचार किसान आय समचार हिंदी समाचार यूपी समाचार Farmers cooperative sugar mil improvement factory machines upgraded 

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.