घरेलू चीनी उद्योग की चक्रीय प्रवृत्ति के कारण पेराई सत्रों के अंत में मिलों पर किसानों का भारी बकाया जमा हो जाता है। देश के सबसे बड़े चीनी उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश में यह एक बड़ी समस्या है। नीति संबंधी समस्याओं के कारण राज्य में गुड़ और खांडसारी इकाइयों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। यही वजह है कि गन्ना किसानों के पास अपनी उपज को चीनी मिलों को बेचने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। अधिकांश चीनी मिलों का मालिकाना हक बड़े औद्योगिक समूहों के हाथों में है और उन पर किसानों का भारी बकाया है।
अभी घरेलू चीनी बाजार में आवक ज्यादा है और खुदरा कीमतें गिर रही है। ऐसी स्थिति में चीनी मिलें घटते मुनाफे और नकदी प्रवाह की चुनौतियों का हवाला देकर तय समय सीमा के भीतर किसानों का बकाया चुकाने में असमर्थता जता रही हैं। चीनी मिलों का दबदबा तोड़ने के लिए उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने गुड़ और खांडसारी उद्योग को फिर से खड़ा करने का फैसला किया है।
इससे स्थानीय स्तर पर उद्यमिता को बढ़ावा मिलेगा, रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को पंख लगेंगे। उत्तर प्रदेश में गन्ने का रकबा साल दर साल बढ़ता जा रहा है और इस वर्ष भी इसमें 100,000 हेक्टेयर का इजाफा होने का अनुमान है। ऐसे में सरकार अगले पेराई सत्र 2018-19 के लिए स्पष्ट योजना चाहती है। इससे आंशिक रूप से गन्ना क्षेत्र की समस्याओं से निपटने में मदद मिलेगी।
एक समय उत्तर प्रदेश में करीब 5,000 खांडसारी इकाइयां थीं जो अब घटकर महज 157 रह गई हैं। राज्य में गुड़ एवं खांडसारी इकाइयों को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार ने पिछले सप्ताह दो अहम फैसले किए। इनके तहत नए लाइसेंसों के लिए करीबी चीनी मिल से दूरी 15 किमी से घटाकर 8 किमी कर दी गई है और गुड़ बनाने पर सभी तरह के शुल्क हटा दिए गए हैं। गुड़ और खांडसारी इकाइयों की खासियत यह है कि वे किसानों को मौके पर भुगतान करती हैं। दूसरी तरफ चीनी मिलों में उन्हें कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है और उन्हें भुगतान के लिए 14 दिन का समय दिया गया है।
इसके अलावा योगी सरकार चीनी उद्योग में ब्राजील का मॉडल अपनाने पर विचार कर रही है जहां गन्ने का इस्तेमाल आनुपातिक रूप से चीनी और एथेनॉल बनाने में किया जाता है। इसका निर्धारण बाजार की ताकतों जैसे कुल भंडार, कीमत, मांग, आपूर्ति आदि पर निर्भर करता है। इससे चीनी क्षेत्र में अनिश्चितता की स्थिति से निपटने में मदद मिलेगी।
उत्तर प्रदेश के गन्ना मंत्री सुरेश राणा ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया कि राज्य सरकार ने ब्राजील के मॉडल का अध्ययन किया है ताकि इसे राज्य में अपनाया जा सके। इससे किसानों को बंपर उत्पादन की स्थिति में अपनी फसल बेचने के लिए एक वैकल्पिक जरिया मिलेगा। राज्य सरकार अपनी बंद पड़ी मिलों को फिर से शुरू करने की प्रक्रिया में है। साथ ही कम क्षमता वाली इकाइयों को एकीकृत चीनी परिसरों में अपग्रेड किया जा रहा है।
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