यूपी में शौचालय निर्माण पर आसमान से नज़र 

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यूपी में शौचालय निर्माण पर आसमान से नज़र स्वच्छ भारत मिशन, उत्तर प्रदेश के निदेशक विजय किरण आनंद

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में शौचालय निर्माण में धांधली को रोकने के लिए अब सेटेलाइट से नजर रखी जाएगी। एक बार एक जगह की पूरी डिटेल वेबसाइट पर दर्ज करने के बाद से फर्जीवाड़े की गुंजाइश नहीं रहेगी।

उत्तर प्रदेश स्वच्छता मिशन ने एक अनोखा तरीका अपनाया है। इसमें बनने वाले शौचालयों की जियो टैगिंग की जाएगी, ताकि इंटरनेट पर सही सही जानकारी दर्ज हो सके। इसमें यह जानकारी फीड की जाएगी कि किस देशांतर और अक्षांतर पर शौचालय बना है। यही नहीं, ऑनलाइन मॉनीटरिंग भी की जाएगी।

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स्वच्छ भारत मिशन, उत्तर प्रदेश के निदेशक विजय किरण आनंद ने 'गाँव कनेक्शन' को बताया, "हम स्कूलों और आंगनबाड़ियों में बच्चों के अनुकूल शौचालय बनवा रहे हैं, ताकि छोटे बच्चों में शुरू से ही शौचालय उपयोग करने की आदत आए। स्कूलों में शौचालयों की सफाई के लिए सफाई कर्मचारी को निर्देशित किया गया है," आगे बताया, "बनने वाले शौचालयों की जियो टैगिंग की जाएगी ताकि धांधली रोकी जा सके।"

मुख्य सचिव राजीव कुमार ने विभागीय अधिकारियों के साथ बैठक की

स्वच्छता ही सेवा अभियान में अव्वल आने के बाद यूपी ने व्यक्तिगत शौचालय निर्माण में भी देश में पहला स्थान प्राप्त किया है। देश के 34 राज्यों में 18,24,549 निर्मित शौचालयों में से उत्तर प्रदेश के 3,52,950 शौचालयों का निर्माण कराने में प्रथम स्थान प्राप्त किया। यही नहीं प्रदेश के छह जिले शामली, बिजनौर, गाजियाबाद, हापुड़, मेरठ व गौतमबुद्ध नगर खुले में शौच मुक्त हो चुके हैं। इसके अलावा प्रदेश के 13,092 गांव भी ओडीएफ घोषित हो चुके हैं।

मुख्य सचिव राजीव कुमार ने मंगलवार को स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) अभियान के अन्तर्गत प्रदेश के जनपदों को ओडीएफ किये जाने के लिए विभागीय अधिकारियों के साथ बैठक की। उन्होंने निर्देश दिये कि प्रदेश में पंजीकृत निर्माण श्रमिकों को खुले में शौच से मुक्त करने के लिए जनपदवार सर्वे कराकर निर्माण श्रमिकों के लिये शौचालयों का निर्माण कराया जाये। उन्होंने प्रदेश के गंगा किनारे स्थित 25 जनपदों के 1605 ग्रामों में 3 लाख 98 हजार शौचालयों का निर्माण कराकर वर्तमान वर्ष में ओडीएफ कराये जाने पर प्रसन्नता व्यक्त की।

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अपर मुख्य सचिव, पंचायती राज चंचल कुमार तिवारी ने बताया,“ स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के तहत खुले में शौच मुक्ति के लिए प्रदेश के हर जिले में सीएलटीएस विधा पर स्वच्छाग्रहियों का चयन एवं प्रशिक्षण प्रदान कर व्यवहार परिवर्तन के लिए ग्रामों का स्वामित्व दिया जा रहा है।”

निदेशक विजय किरण आनंद ने कहा, “ग्रामीण क्षेत्रों में सभी प्राथमिक व अपर प्राथमिक विद्यालयों में यद्यपि शौचालयों का निर्माण किया जा चुका है, लेकिन उनमें समुचित स्वच्छता सुविधाओं की अनुपलब्धता के कारण कुछ छात्राएं बीच में ही पढ़ाई छोड़ देती हैं। इस दृष्टिकोण से सभी विद्यालयों में शौचालयों को चाइल्ड फ्रेन्डली बनाने की कार्यवाही प्रारंभ कर दी गई है।”

उन्होंने बताया कि परिवार रजिस्टरों के डिजिटाइजेशन का कार्य विभाग द्वारा आरंभ किया जा चुका है। प्रथम चरण में पांच जिलों -मेरठ, गाजीपुर, इटावा, बांदा, बहराइच को पायलट के रूप में चिन्हित करते हुये कार्यवाही प्रारंभ की जा चुकी है।

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