जर्जर आयुर्वेद अस्पताल: सरकार के पास बजट नहीं है लेकिन यहां मरीजों की लाइन रहती है

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जर्जर आयुर्वेद अस्पताल: सरकार के पास बजट नहीं है लेकिन यहां मरीजों की लाइन रहती हैआधारभूत सुविधाओं को तरसता आयुर्वेदिक अस्पताल, सरकारें नहीं देती ध्यान। (फोटो: गाँव कनेक्शन)

नीरज द्विवेदी, स्वयं कम्युनिटी जर्नलिस्ट

जसपुरापुर (कन्नौज)। सरकार हर बार बजट में स्वास्थ्य केंद्रों और अस्पतालों को हाइटेक बनाने की बात कहती है लेकिन आयुर्वेदिक को बढ़ावा देने पर शायद ही ध्यान जाता है। कन्नौज में इसी तरह एक आयुर्वेदिक अस्पताल में काफी साल से दूर-दूर से मरीज आते हैं लेकिन यह अस्पताल जरूरी आधारभूत सुविधाओं से ही महरूम है।

‘झोलाछाप बिना इंजेक्शन के बात नहीं करते हैं। महंगी दवाएं देते हैं। यहां एक रुपए के पर्चे पर फ्री दवाएं मिलती हैं। 20 दिन पहले पेट दर्द हुआ था। तब से दवा ले रहे हैं। काफी आराम भी है।’ यह कहना है बर्छज्जापुर गाँव निवासी 70 वर्षीय मोहम्मद शरीफ का।

कन्नौज जिला मुख्यालय से करीब 13 किमी दूर बसे गाँव जसपुरापुर सरैया में राजकीय आयुर्वेदिक अस्पताल चल रहा है। यह मरीजों के लिए वरदान साबित हो रहा है। सोमवार को यहां आए सरैया गाँव निवासी रामकिशन राठौर (55 वर्षीय) ने बताया, ‘बुखार की दवा लेने आए हैं। आयुर्वेद की दवा खाने से आराम है। अपनी बीबी-बच्चों का इलाज भी यहीं कराते हैं। कम पैसे में सही दवा मिल जाती है।’ बर्छज्जापुर गाँव की आलिया बेगम (60 वर्षीय) कहती हैं, ‘मुझे बुखार आया है। यहां की दवा से ही मुझे फायदा होता है।’

जिंदगी गुजर गई है इस अस्पताल में। जिले में तीन-चार ही नए अस्पताल भवन बने हैं। उनके पास जुखाम, खांसी, स्कीन, बुखार, पेट रोग के ज्यादा मरीज आते हैं। घुटनो में दर्द के भी मरीज आते हैं। फर्रूखाबाद जिले से पूरी प्रक्रिया संचालित होती है। कन्नौज और फर्रूखाबाद में करीब 40 अस्पताल आयुर्वेद के चल रहे होंगे। पांच-छह साल और बचे हैं। विभाग में पद भी सृजित नहीं हुए हैं। कार्यवाहक और अटैचमेंट के रूप में काम चलाया जा रहा है। फिलहाल वह अकेले ही तैनात हैं।
डॉ. हरिओम शर्मा

कार्यवाहक चिकित्साधिकारी डॉ. हरिओम शर्मा का कहना है, ‘वर्ष 2001 से वह इस अस्पताल में तैनात हैं। पहले इसका नाम जिला परिषदीय चिकित्सालय था। अब नाम बदलकर राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय कर दिया गया है।’ वह आगे बताते हैं, ‘यह वित्तविहीन और पदविहीन अस्पताल है। सरकारें इसको नजरअंदाज करती रही हैं। यहां कई आधारभूत सुविधाएं भी नहीं हैं।दवाएं फर्रूखाबाद जिले से आती हैं। 10-12 किमी दूर के करीब 50 मरीज रोज आते हैं। रविवार को बंद रहता है। वह कहते हैं कि फीवर, पेट से संबंधित बीमारी और टीबी आदि से संबंधित बीमारियों का इलाज एक रुपए के पर्चे में होता है।’

जिला योजना में प्रस्ताव भेज दिया है। शासन से स्वीकृति मिले तो काम चले। जितने भी अस्पताल हैं वह दान या नि:शुल्क भवन में चल रहे हैं। जसपुरापुर का अस्पताल पदविहीन है। अटैच से काम चल रहा है। कन्नौज में 19 और फर्रूखाबाद में 21 अस्पताल हैं।
डॉ. अनिल कटियार, क्षेत्रीय आयुर्वेदिक/यूनानी अधिकारी

ये हैं प्रमुख दिक्कतें

  • भवन में बिजली की सुविधा नहीं है।
  • पीने के पानी व्यवस्था नहीं।
  • कमरा जर्जर है दो कक्ष में पूरा अस्पताल चल रहा है।

       

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