खुले नाले ने ली एक और मासूम की जान 

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खुले नाले ने ली एक और मासूम की जान प्रतीकात्मक चित्र 

लखनऊ। ‘‘अरे मेरा बेटा कहां गया, किसी ने देखा हो तो बता दो, अभी तो यहीं पर खेल रहा था’’ यह कह कर एक बेबश माँ का रो-रो कर बुरा हाल है। महिला के दो वर्ष के लाडले की मौत नाले में गिरने से हो गयी है।

पुलिस ने तो यह कह कर पल्ला झाड़ लिया कि बच्चा खेलते खेलते नाले में गिर गया और उसी में डूबकर उसकी मौत हो गयी। पर इसका जवाब कौन देगा कि गरीबों के बच्चों के लिए मौत की दुकान बने इन खुले नालों के लिए कौन् जिम्मेदार है? आखिर हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी अब तक खुले नालों को बंद क्यों नही किया गया? जब घटना होती है तो दो एक दिन सभी अधिकारी तेजी दिखाते हैं पर समय के साथ सभी किनारा कर लेते हैं।

राजधानी के बाजार खाला क्षेत्र में रहने वाले मजदूर लक्ष्मण संत कबीर नगर के रहने वाले है। यहां पर किराये के मकान में रह कर मजदूरी करके अपने परिवार का खर्च चलाते है। लक्ष्मण जहां पर रहते है उस घर के ठीक सामने खुला नाला है और वहीं पर अक्सर अन्य परिवारों के बच्चे भी खेला करते है। गुरूवार को भी बच्चे वहां पर खेल रहे थे और उसमें लक्ष्मण का दो वर्षीय आनन्द बच्चा भी था। काफी देर तक जब आनन्द के घरवालों को वह नहीं दिखा तो उन्होंने उसकी तलाश शुरू की पर काफी ढूंढने पर भी बच्चे का कोई पता नही चला तो लक्ष्मण ने इसकी जानकारी पुलिस को दी। करीब डेढ घण्टे बाद पुलिस को जानकारी मिली कि नेहरू नगर में नाले में एक बच्चे की लाश पड़ी है। पुलिस ने लक्षमण को वहां पर बुलाया और जब उसने शव देख तो उसकी चीख निकल गयी वह उसके बेटे आनन्द की ही लाश थी।

पुलिस ने पंचनामा भरकर शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। एसएचओ नाका के अनुसार बच्चा खेलते खेलते सम्भवत: नाले में गिर गया और उसी में उूबकर उसकी मौत हो गयी और वह बह कर दूर चला गया। मृतक बच्चे के परिजन सदमें में हैं और वे बार बार यही कह रहे हैं कि अगर यह पता होता तो उसे बाहर ना खेलने देते।

        

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