बांध परियोजनाओं में सामने आया करोड़ों का घोटाला, साजिशन बढ़ाई गई लागत

Rishi MishraRishi Mishra   9 Jun 2017 8:45 PM GMT

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बांध परियोजनाओं में सामने आया करोड़ों का घोटाला, साजिशन बढ़ाई गई लागतकचनौदा बांध, ललीतपुर। फाइल फोटो

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में बाढ़ राहत के नाम पर कई जगह घोटाले सामने आए हैं। मानसून नजदीक आने के साथ ही जब बाढ़ राहत परियोजनाओं की समीक्षा की गई, तो जगह जगह समस्याएं सामने आई हैं। बांधों की लागत बढ़ाई गई, जिससे एक ओर तो सरकारी धन का अपव्यय हुआ। दूसरी ओर आधी अधूरा परियोजनाओं से बाढ़ राहत की संभावना भी क्षीण है। सबसे पहला घोटाला एरच बांध परियोजना में सामने आया है, जिसमें एक अधिशासी अभियंता को निलंबित भी किया जा चुका है। इसे देखते हुए अब सभी निर्माणाधीन बांध परियोजनाओं की जांच करायी जा रही है।

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प्रमुख सचिव सिंचाई सुरेश चन्द्रा ने बताया कि सिंचाई मंत्री धर्मपाल सिंह के निर्देश पर एरच बांध परियोजना की जांच बैठाई गई थी। एके सिंह मुख्य अभियन्ता बरेली, एसके शर्मा मुख्य अभियन्ता गंगा मेरठ और राजपाल सिंह अधीक्षण अभियन्ता अनुश्रवण प्रकोष्ठ मुख्यालय लखनऊ की तीन सदस्यीय समिति ने जांच की थी। प्रमुख सचिव ने बताया कि जांच रिपोर्ट में परियोजना की लागत में अनावश्यक वृद्धि पायी गयी। ठेकेदार ने खुदाई से प्राप्त राक को अनियमित रूप से निर्गत किया। डिजाइन को लेकर आवश्यक सर्वेक्षण, परीक्षण अनुबन्ध किये जाने से पहले नहीं कराये गये। जिससे राजकोष में अधिष्ठान व्यय/सेंटेज चार्जेज जमा नहीं किया गया। ठेकेदार को अनियमित रूप से अग्रिम भुगतान किया गया।

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मौदहा बांध पर पौधरोपण के विशेष कार्य को इस परियोजना पर अनियमित रूप से पारित किया गया। वन भूमि और ग्राम समाज की भूमि की उपलब्धता के बिना ही कार्य शुरू कर दिया गया। चन्द्रा ने बताया कि इन अनियमितताओं में दोषी पाये जाने पर विनय कुमार श्रीवास्तव तत्कालीन अधिशासी अभियन्ता, सिंचाई निर्माण खण्ड-2, ललितपुर, तत्कालीन मुख्य अभियन्ता, (बेतवा परियोजना), झांसी, तत्कालीन अधीक्षण अभियन्ता, सिचाई निर्माण मण्डल, महोबा, तत्कालीन अधिशासी अभियन्ता, सिंचाई निर्माण खण्ड मऊरानीपुर (सम्प्रति सेवा निवृत्त) के अनुशासनिक कार्रवाई की गई है।

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तत्कालीन अधिशासी अभियंता आलोक सिन्हा और तत्कालीन अधिशासी अभियन्ता, सिंचाई निर्माण खण्ड मऊरानीपुर के विरुद्ध उप्र. सरकारी सेवक (अनुशासन एवं अपील) नियमावली, 1999 के नियमावली-7 के अन्तर्गत कार्रवाई गई है। उनको निलम्बित कर दिया गया है। इसके अलावा सेवानिवृत्त सहायक अभियंता अजित कुमार मेहरोत्रा पर भी विभागीय कार्रवाई की जाएगी।

प्रमुख सचिव ने बताया कि सिचाई मंत्री के निर्देश पर पुनरीक्षित परियोजना में अपनायी गयी हाइड्रोलाजी एवं तदनुरूप निर्गत संरचना के मानचित्रों/परिकल्पन का पुनः परीक्षण सिंचाई विभाग के नियंत्रणाधीन परिकल्प संगठन लखनऊ से कराये जाने का निर्देश दिया गया है। उन्होंने बताया कि इस गड़बड़ी के सामने आने के बाद प्रदेश भर की सभी निर्माणाधीन बांध परियोजनाओं की जांच शुरू की गई है।

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