ये पुलिस इंस्पेक्टर कर रहा ऐसा काम, सुनकर आप भी करेंगे तारीफ

Mithilesh DharMithilesh Dhar   8 Jan 2018 4:15 PM GMT

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ये पुलिस इंस्पेक्टर कर रहा ऐसा काम, सुनकर आप भी करेंगे तारीफइंस्पेक्टर सुनील दत्त दूबे

"जब मैं दसवीं में फर्स्ट डिविजन पास हुआ तो अपने पिता जी के पास दौड़ते हुए गया और उनके पैर छूकर कहा कि मैं अच्छे नंबरों से पास हो गया। लेकिन मेरी खुशी से पिता जी के चेहरे पर कोई एक्सप्रेशन नहीं था। उन्होंने कहा कि तुम अच्छे नंबरों से नौकरी तो पा जाओगे लेकिन क्या किसी को खुशी दे पाओगे। जीवन में ऐसा काम करना जिससे किसी के चेहरे पर खुशी मिले।"

ये बात 1995 की है। तब इंस्पेक्टर सुनील दत्त दुबे ने 10वीं की बोर्ड परीक्षा पास की थी। उनके पिता की दी हुई सीख पर सुनील चल पड़े और अब तक सैकड़ों परिवारों के चेहरे पर खुशी बिखेर चुके हैं।

पुलिस का नाम सुनते ही हमारे जेहन में सबसे पहले उनकी नकारात्मक छवि उभर आती है। हम हमेशा उनके अमानवीय पहलुओं को ढूंढने की कोशिश करते हैं। लेकिन उत्तर प्रदेश में भदोही में तैनात एक पुलिसकर्मी ऐसा भी है जिसकी पहल से सैकड़ों परिवारों के चेहरे खिल गए।

हम फिल्मों और वास्तविकता में भी खाकी की हनक बिखेरने वाले तमाम पुलिस इंस्पेक्टर देखते और सुनते हैं। दुनिया में कालीन नगरी से मशहूर भदोही के गोपीगंज थाने में तैनात इंस्पेक्टर सुनील दत्त दूबे ने एक अनोखा शतक अपने नाम किया है। सुनील अब तक 100 गुमशुदा बच्चों को उनके माता-पिता से मिला चुके हैं।

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1995 में मेरठ से हुआ शुरू हुआ सफर

अब तक 100 गुमशुदा बच्चों की बरामदगी कर चुके सुनील का यह सफर वर्ष 1995 में मेरठ से शुरू हुआ था। ताजा मामला के तहत गोपीगंज के पूरेटीका गावं में रहने वाले नन्हकू बिन्द का 13 वर्षीय बेटा अविनाश उर्फ़ गौरी घर से लापता हो गया। अक्टूबर से लापता अविनाश को बूढ़ा बाप पहले खुद तलाशता रहा फिर 8 दिसंबर को गोपीगंज कोतवाली में मुकदमा लिखा दिया। नाउम्मीद हो चुके नन्हकू को सुनील ने वह खुशी दे दी जिस की उसे उम्मीद ही नहीं थी। पुलिस ने अविनाश को शांतिपुर इलाके में एक संस्था के आफिस से बरामद किया।

1989 बैच के डायरेक्ट सब इंस्पेक्टर के तौर पर भर्ती हुए सुनील दत्त दूबे ने अविनाश को बरामद कर मेरठ, बागपत, प्रतापगढ़, इलाहाबाद, कौशाम्बी, जौनपुर, मिर्ज़ापुर, सोनभद्र और भदोही में “आपरेशन तलाश” के जरिये 100 बच्चों को बरामद करने का रिकार्ड बना दिया है। सुनील ने भदोही में 90 के स्कोर से नॉट आउट पारी शुरू की तो शतक बना कर पूरी हुई। अधिकतर बरामद बच्चे दिव्यांग और 18 साल से कम उम्र के हैं।

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आठ जिलों के 33 थानों पर तैनाती

मूलत: इटावा जिले के निवासी सुनील दत्त दुबे पूर्वाचल के जौनपुर, मिर्जापुर, सोनभद्र भदोही समेत कुल आठ जिलों के 33 थानों पर तैनाती पा चुके हैं और वर्तमान में वह गोपीगंज थाने पर इंस्पेक्टर के रूप में तैनात हैं। सुनील ने पिछले दिनों गोपीगंज के ही हीराचक डेहरिया गांव निवासी गुमशुदा दो सगी बहने खुशी उर्फ स्वीटी सिंह (12) व परी सिंह (9) पुत्री उमाशंकर उर्फ छट्ठू सिंह को बरामद कर अब तक आठ जिलों के गुमशुदा कुल 100 बच्चों की बरामदगी करने का आंकड़ा पार किया था।

इस बारे में सुनील कहते गाँव कनेक्शन को बताते हैं " वे मेरठ के पूर्व एएसपी रणविजय सिंह से काफी प्रेरित रहे हैं, जिन्होंने अब तक तकरीबन चार सौ के करीब मामलों में सफलता का कीर्तिमान बनाया है। इस तरह के केस में मेरी रुचि रहती है। इस दौरान बच्चों के लिए कार्य करने वाली तमाम संस्थाओं में हेल्पलाइन, टचलाइन से जुड़े लोगों का सराहनीय सहयोग मिलता रहा है।

दरअसल निठारी कांड के बाद देश भर में बच्चों की गुमशुदगी दर्ज करने की सख्त हिदायत जारी हुई। जिस के बाद से यूपी में भी बच्चों के लापता होने पर गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज की जाती है। एनसीआरबी के रिकार्ड को माने तो यूपी से प्रतिदिन 8 नाबालिग बच्चे गायब होते हैं। इन में से औसतन तीन बच्चे बरामद ही नहीं होते जबकि गायब होने वाले नाबालिगों में करीब 34 फीसदी लडकियां होती हैं।

यूपी में रोज गायब होते हैं आठ बच्चे

नेशनल क्राइम रेकॉर्ड ब्यूरो 2016 के आंकड़े बताते हैं कि यूपी में हर रोज औसतन आठ बच्चे लापता हो रहे हैं। इनमें से तीन कभी नहीं मिलते। गायब बच्चों में 33.5 प्रतिशत लड़कियां हैं। 2015 में जहां 2266 बच्चे लापता हो गए थे, वहीं 2016 में यह संख्या बढ़कर 3308 पहुंच गई। इनमें लड़के और लड़कियों की संख्या क्रमश: 1625 और 1683 थी।

यूपी का हाल

  • साल 2016 में यूपी से कुल 2903 बच्चे लापता हुए थे।
  • इनमें 1465 लड़कियां और 1438 लड़के थे।
  • पूर्व के लापता 2266 बच्चों को मिला दें तो यह संख्या 5169 हो जाती है।
  • इनमें 2529 लड़कियां और 2640 लड़के हैं।

देश का हाल

  • 2016 में कुल 63407 बच्चे लापता हुए।
  • इनमें 41067 लड़कियां और 22340 लड़के थे।
  • पूर्व के 48162 बच्चों सहित कुल संख्या 1,11,569 पहुंच जाती है।
  • इनमें 70394 लड़कियां और 41175 लड़के हैं।

(आंकड़ें नेशनल क्राइम रेकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार)

      

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