अनहोनी से निपटने के लिए विधायकों को ट्रेनिंग नहीं
Abhishek Pandey 18 July 2017 10:06 AM GMT
लखनऊ। संसद भवन में सांसदों को सुरक्षा एजेंसियां मॉकड्रिल कर आपात हालत से निपटने के बारीकियों की जानकारी देती हैं, लेकिन इससे बिल्कुल उलट यूपी विधानसभा में सुरक्षा एजेंसियों की मॉकड्रिल में सदन का कोई भी विधायक नहीं शामिल हुआ।
हर वक्त खुद को जान का खतरा बताकर माननीय बड़ी-बड़ी सुरक्षा का प्रोटोकॉल लेकर आम जनता से मिलते हैं, लेकिन जब उनकी सुरक्षा के संबंध में सुरक्षा एजेंसियां मॉकड्रिल करती हैं तो वही मंत्री और विधायक इसमें शामिल नहीं होते। सुरक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक, किसी भी आतंकी घटना या आपदा के वक्त यूपी विधानसभा के विधायकों को नहीं मालूम कि उन्हें कैसे खुद को बचाना है।
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बीते दिनों विधानसभा में विस्फोटक पदार्थ मिलने के बाद ही मॉकड्रिल जैसी कवायद शुरू की गई है। इस मॉकड्रिल में केवल सुरक्षा एजेंसियां ही शामिल हुई, जिन्हें आतंकी घटना के वक्त स्थिति को कैसे संभाला जाना चाहिए की बारीकियां बताई गई हैं। लेकिन उनका क्या जिनके लिए यह मॉकड्रिल की पूरी कवायद करवाई गई। विधानसभा में मॉकड्रिल के मुद्दे पर आईजी एसटीएस असीम अरूण का कहना है, “विधानसभा में विस्फोटक पदार्थ मिलने के बाद ही मॉकड्रिल की कवायद की जा रही है, लेकिन विधायकों के मॉकड्रिल में शामिल होने के संबंध में कुछ नहीं कह सकता। यह निर्णय विधानसभा के स्पीकर ही ले सकते हैं।“
मंत्री और विधायकों को बिल्कुल नहीं पता कि खुद को आतंकी घटना के वक्त कैसे बचाया जा सके। बता दें कि वर्ष 2001 में देश की संसद पर बड़ा आतंकी हमला हुआ था, जिसमें अपनी जान की बाजी लगाकर सुरक्षा कर्मियों ने आतंकियों से लोहा लिया। इस आतंकी घटना में किसी भी सांसद पर संसद भवन के बाहर और अंदर तैनात सुरक्षा कर्मियों ने किसी भी सांसद पर आच नहीं आने दी थी।
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इस हमले के बाद संसद के स्पीकर की पहल पर सांसदों को आतंकी घटना होने पर खुद को बचाने का मॉकड्रिल करवाया गया। इस मॉकड्रिल में सभी सांसदों ने भाग लिया। उन्हें आतंकी और आपदा की घटना के दौरान किन दरवाजों और कहां छुप कर खुद को बचाना है, संबंधित बारीकियों की जानकारी दी गई। बावजूद इसके देश भर के कुछ विधानसभाओं में इससे कोई सीख नहीं ली गई।
हालांकि बिहार विधानसभा में आग के वक्त बचने की मॉकड्रिल करवाई गई थी, जिसके बाद वहां भी सुरक्षा संबंधित कोई मॉकड्रिल आगे चल कर नहीं करवाई गई। अगर बात करें यूपी विधानसभा की तो यहां सबसे अधिक विधायक चुन कर आते हैं, जिनकी संख्या 403 हैं। इस हालात में अगर यह विधायक किसी भी खतरे में विधानसभा के अंदर अगर फंस गए तो शायद ही खुद को बचा पाने में सफल रहे। इसके पीछे सबसे बड़ी वजह विधायकों को मॉकड्रिल अभ्यास में शामिल करवाना।
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‘खास बनने की सोच नहीं हो’
यूपी के पूर्व डीजीपी एमसी द्विवेदी बताते हैं, “सबसे पहले विधायकों और मंत्रियों को सुरक्षा जांच से ही गुजरना चाहिए, इसके बीच में विधायकों के अंदर खास बनने की सोच नहीं आनी चाहिए। विधानसभा स्पीकर को विस्फोटक पदार्थ मिलने के बाद एटीएस की मॉकड्रिल में मंत्री और विधायकों को शामिल होने का पत्र लिखना चाहिए था। इससे फायदा सुरक्षा एजेंसियों को अधिक होता, क्योंकि मॉकड्रिल की पूरी कवायद मंत्री और विधायक के सुरक्षा के लिए ही कार्रवाई जा रही थी, फिर वह लोग इसमें शामिल नहीं हुए।“ संसद भवन में सांसदों को खुद को बचाने की पूरी ट्रेनिंग दी जाती है।
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