‘खेत में जाती हूं टॉयलेट, शर्म लगती है’

Ajay MishraAjay Mishra   5 Nov 2017 9:34 PM GMT

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‘खेत में जाती हूं टॉयलेट, शर्म लगती है’प्राथमिक स्कूल गंगधरापुर में मौजूद छात्र-छात्राएं।  फोटो: अजय मिश्रा

गाँव कनेक्शन, स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

कन्नौज। समय करीब दोपहर दो बजे। स्थान प्राथमिक स्कूल गंगधरापुर। यहां पढ़ने वाला कक्षा तीन का छात्र अजय स्कूल की शिक्षिका के कार्यालय में पहुंचता है और हाथ जोड़कर कहता है कि मैम, बाथरूम लगी है, जाना है। शिक्षिका दीप्ती दुबे बाहर जाने की अनुमति दे देती हैं।

जिले के कई परिषदीय स्कूलों में शौचालय नहीं हैं और कुछ में अधूरे पड़े हैं और मरम्मत की बाट जोह रहे हैं। इससे छात्र-छात्राएं खुले में जाने को मजबूर हैं। स्टाफ भी परेशान होता है।

'बाहर जाने में खराब लगता है'

सदर कन्नौज ब्लॉक क्षेत्र से करीब चार किमी दूर प्राथमिक विद्यालय गंगधरापुर में पढ़ने वाली कक्षा पांच की छात्रा मानसी यादव बताती हैं, ‘‘जब हमारा पेट खराब होता है या टॉयलेट लगती है तो खेतों में जाना पड़ता है। स्कूल में शौचालय होना चाहिए। बाहर जाने में खराब लगता है।’’

कई महीने हो गए

कक्षा चार की छात्रा मानवी कहती है, ‘‘स्कूल में शौचालय न बने होने की वजह से खेत में जाना पड़ता है। दिन में कम से कम एक बार तो जाना ही पड़ता है।’’ इसी स्कूल के कक्षा चार के ही छात्र नितेष बताते हैं, ‘‘अभी तक स्कूल में शौचालय की सुविधा शुरू नहीं हुई है। हम लोग कई महीनों से स्कूल के बाहर ही शौचालय के लिए जाते हैं।’’

निर्माण शुरू हुआ था, मगर बंद हो गया

गंगधरापुर प्राथमिक स्कूल में अधूरा पड़ा शौचालय।

सहायक अध्यापिका दीप्ती दुबे बताती हैं, ‘‘मई 2017 में शौचालय का निर्माण शुरू हुआ था, मगर अगस्त से बंद है। शौचालय में पानी की व्यवस्था नहीं है। अधूरा होने की वजह से बच्चे बाहर जाते हैं। 87 बच्चे पंजीकृत हैं। हम लोगों को भी गाँव के घरों में बने लोगों के यहां जाना पड़ता है।’’ दीप्ती आगे बताती हैं, ‘‘प्रधान से कई बार कहा गया, लेकिन सुनवाई नहीं हो रही है। शौचालय में दरवाजे भी सही से नहीं लगे हैं। सफाई कर्मचारी आता नहीं है, जिससे गंदगी हम लोगों और बच्चों को साफ करनी पड़ती है।’’

बोले, चार-पांच दिन में शुरू हो जाएगा काम

इस बाबत प्रधान सीमा कटियार का काम देखने वाले नन्दू कटियार विद्यालय पहुंचते हैं। उनका कहना है कि ‘‘चार-पांच दिन में काम शुरू हो जाएगा। भुगतान हो नहीं रहा है। जब शौचालय निर्माण हो जाएगा तभी पैसा मिलेगा।’’ वहीं, डीपीसी शिवम द्विवेदी बताते हैं, ‘‘स्कूलों का निरीक्षण चल रहा है। हम खुद इस मामले को देखेंगे।’’

स्कूलों में पेयजल और शौचालय बन रहे हैं। प्रधान और सचिव को जिम्मेदारी दी गई है। निर्मल भारत अभियान के तहत काम हो रहा है। प्रधानों को सख्त निर्देश भी दिए गए हैं।
अवधेश बहादुर सिंह, सीडीओ, कन्नौज

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