लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के सीएसआईआर-केन्द्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान (सीमैप) की ओर से 04 मई को अलग-अलग जिलों के उन्नत सांबा मसूरी धान के बीज वितरित किए गए।
इस अवसर पर डॉ. शेखर चि. मांडे, महानिदेशक, सीएसआरआई एवं सचिव, डीएसआईआर ने कहा, “सीएसआईआर की प्रयोगशालाओं में होने वाले अनुसंधान को आम आदमी तक पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है ताकि आम जन मानस की जिंदगी में खुशहाली लायी जा सके और बीज वितरण का यह प्रयास उसी दिशा में एक कदम है।”
इस उन्नत धान प्रजाति के बीजों को सीएसआईआर-सेंटर फॉर सेल्युलर एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी (सीसीएमबी), हैदराबाद एवं आईसीएआर-इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ राइस रिसर्च (आईआईआरआर), हैदराबाद के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित किया गया है।
समारोह में लगभग 350 किसानों को यह बीज वितरित किये गए, जहां बाराबंकी, सीतापुर, फैजाबाद, अंबेडकरनगर, गोरखपुर, गाजियाबाद और राज्य के अन्य जिलों के किसानों ने भाग लिया। प्रत्येक किसान को 10 किलोग्राम धान के बीज मुफ्त में वितरित किए गए।
इससे पहले सीएसआईआर-सीमैप के प्रभारी निदेशक डॉ. अब्दुल समद ने महानिदेशक सीएसआईआर को पुष्प गुच्छ देकर सीएसआईआर-सीमैप में स्वागत किया और अपने भाषण में सीएसआईआर-सीमैप द्वारा आम लोगों के जीवन में सुधार के लिए की गई विभिन्न पहलों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने विशेष रूप से मिंट क्रांति, आर्टेमिसिया उत्पादन, बीजीआर -34 और सीएसआईआर-अरोमा मिशन के योगदान का जिक्र किया।
सीएसआईआर-सीसीएमबी के निदेशक डॉ. राकेश मिश्रा ने कहा, “यह नई किस्म, सांबा महसूरी चावल का उन्नत संस्करण है, जो कि धान की कई बीमारियों के प्रति प्रतिरोधी है और इस समय उपलब्ध, लोकप्रिय सांबा धान की किस्म की तुलना में बेहतर उपज देती है।” उन्होंने यह भी बताया कि इस धान की प्रजाति में लगभग 50 का ग्लाइसीमिक इंडेक्स (जीआई) है जो कि इसे मधुमेह रोगियों के सेवन के लिए उपयुक्त बनाता है।
इस अवसर पर सीएसआईआर के महानिदेशक, डॉ. शेखर चि. मांडे ने सीएसआईआर-सीमैप में रुद्राक्ष का पेड़ लगाया। कार्यक्रम में डॉ. आलोक धवन, निदेशक, आईआईटीआर, डॉ. एस के बारिक, निदेशक, एनबीआरआई, डॉ. तपस के. कुण्डु, निदेशक, सीडीआरआई, डॉ. आलोक कालरा, डॉ. विभा, डॉ. हितेंद्र पटेल, ई. मनोज सेमवाल एवं अन्य वैज्ञानिक भी समारोह में उपस्थित रहे।