यूपी : 70 लाख नौकरी देने का था वादा, मगर 70 दिन में 25 हजार भर्ती पर लगाई रोक

Rishi MishraRishi Mishra   29 May 2017 8:08 PM GMT

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यूपी :  70 लाख नौकरी देने का था वादा, मगर 70 दिन में 25 हजार भर्ती पर लगाई रोकलखनऊ में प्रदर्शन करते परीक्षार्थी।

लखनऊ। राज्य सरकार ने पांच साल सत्तर लाख बेरोजगारों को नौकरी देने का वादा किया था, मगर पहले 70 दिन में इस वादे के पूरे होने का कोई संकेत नहीं दिखाई दे रहा है। प्रदेश में करीब 25 हजार भर्तियों पर रोक लगा दी गई है। इस वजह से इन भर्तियों से जुड़े 10 लाख युवा असमंजस में हैं। सरकार नए चयन बोर्ड गठित करने की बात कह रही है, मगर जमीन पर ये साकार होते नजर नहीं आ रहे हैं। अब तक सभी चयन आयोग भंग हैं मगर नये का गठन नहीं किया गया है।

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सरकार का गठन होने के बाद सबसे पहले यूपी लोकसेवा आयोग की सभी भर्तियों पर रोक लगा दी गई थी। इसके बाद में सरकार ने अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की करीब 15 हजार भर्ती पर रोक लगा दी। कुल भर्तियों की संख्या करीब 25000 हैं, जिन पर रोक लगाई गई है। जिनमें यूपीएसई की भर्ती भी शामिल हैं।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ।

हर साल देने हैं 14 लाख रोजगार

सरकार को हर साल 14 लाख यानी प्रत्येक माह करीब सवा लाख रोजगार देने हैं। इस हिसाब से योगी आदित्यनाथ की सरकार को अब तक ढाई लाख रोजगार दे देने थे। इसके विपरीत सरकार ने 25 हजार भर्तियों पर रोक लगाई हुई है। इन भर्तियों से जुड़े हुए बेरोजगार में अधिकांश दो स्तर को पार कर चुके हैं। र्क्लक ग्रेड पर वे लिखित और टाइपिंग की परीक्षा दे चुके हैं। उनको बस साक्षात्कार होने का इंतजार था। मगर वह भी अब तक नहीं हो सका है।

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“सरकार रोजगार देने के लिए कोई प्रयास नहीं कर रही”

मेरठ जनपद के किठौर क्षेत्र के निवासी कुलदीप शर्मा का कहना है कि पढ़ाई पूरी करने के बाद बच्चों को कोई रोजगार नहीं मिलता। सरकारी भर्तियों पर भी रोक लग जाती है। जिसमे अधिकारियो की साठगांठ कर के सरकारी नाैकरी पा जाते हैं और जो बच्चा मेहनत करके पढ़ाई करता है और सरकारी नाैकरी की तैयारी मे जुटा होता है उसका नंबर कहीं नहीं आता। भ्रष्टाचार खत्म होना चाहिए और युवाओं पर सरकार ध्यान दे। एमबीए कर होटल चला रहे दीपक चौधरी (26) का कहना है कि सबसे अधिक दिक्कत सामान्य वर्ग के नाैजवानों को है। योग्य होने के बाद भी आरक्षण की वजह से नौकरी से दूर हो जा रहे हैं।

अलीगढ़

चुनावी समय में वादे किए गए पढ़े-लिखे बेरोजगार युवाओं को रोजगार देने के, राज्य की योगी सरकार के 70 दिन हो चुके हैं, लेकिन रोजगार का चुनावी वादा धरातल पर दिखता नजर नही आ रहा। रोजगार को लेकर जब युवाओं से बात की गइ तो उनकी राय में रोजगार को लेकर मायूसी नजर आयी।

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“पूर्व सरकार के समय में हुई भर्ती में जम कर गड़बड़ियां की गई थीं। अयोग्य लोक चयन बोर्ड में बैठे हुए थे। वे निर्धारित अहर्ता पूरी नहीं करते थे। इसलिए फिलहाल भर्ती प्रक्रियाएं रुकी हुई हैं। मगर जल्द ही पारदर्शी तरीके से प्रक्रिया को दोबारा शुरू किया जाएगा।”
शलभमणि त्रिपाठी, प्रवक्ता, उप्र भाजपा

मुईउद्दीनपुर गांव निवासी 31 वर्षीय सूर्यप्रकाश कहते हैं कि "बीएड करे 4 वर्ष हो गए, सरकारी नौकरी के लिए प्रयास जारी है, भर्तियां निकलतीं हैं तो उन पर रोक लग जाती है, मैं अभी प्राइवेट स्कूल में नौकरी कर रहा हूँ, पिछली अखिलेश सरकार ने प्राइवेट शिक्षिको को मानदेय देने का वादा किया था, मैंने भी मानदेय के लिए रजिस्ट्रेशन किया लेकिन आज तक मानदेय नही मिला, इस सरकार में अभी तक तो नौकरी के लिए कोई गुंजाइश नजर नही आ रही है।"

भाजपा के चुनाव प्रचार में प्रमुख मुद्दा था रोजगार।

27 वर्षीय कुलदीप कुमार ग्रेजुएट हैं साथ ही वकालात कर रहे हैं उनका कहना है कि "मैंने पिछले वर्ष आबकारी पुलिस की परीक्षा दी थी, आज तक उसका रिजल्ट नहीं आया, अब तो सरकार भी बदल गई उस रिजल्ट की उम्मीद करना बेकार है।

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शेखूपुर निवासी 24 वर्षीय विशाल ठाकुर का कहना है कि "बीबीए कर लिया है, इन्तजार है कि किसी भी सरकारी विभाग में कम्प्यूटर से सम्बंधित नौकरी निकले। एटा के गांव ओरनी निवासी 25 वर्षीय विकास कुमार का कहना है कि "आज के दौर में सरकारी नौकरी एक सपना बनकर रह गयी है, ग्रेजुएशन पूरा हो चुका है, घर वालो का दबाव है कि कुछ करो, नौकरी निकल नहीं रहीं, निकलतीं हैं तो उनपर रोक लग जाती है। हर सरकार बस वादा करती है।

इलाहाबाद

चुनाव के दरम्यान युवाओं से बेरोजगारी दूर करने मुद्दे पर युवाओं की सामूहिक राय है कि सरकार रोजगार देने के लिए कोई प्रयास नहीं कर रही है। अल्लापुर निवासी रत्नेश त्रिपाठी का कहना है कि पढ़ाई पूरी करने के बाद रोजगार नहीं मिल रहा है। सरकारी भर्तियों पर भी रोक लग जाती है। जिसमें रोक नहीं उनमें भ्रष्टाचार व्याप्त होता है।

सरकारी नौकरी के मुद्दे पर करेली निवासी शहज़ाद (31) का कहना है कि सरकारी नौकरी तो खुदा के समान हो गई है इस वजह से अधिकांश युवा निजी क्षेत्रों में ही कॅरियर बना रहें हैं। अमित सिंह (28) का कहना है कि सबसे अधिक दिक्कत सामान्य वर्ग के युवाओं को है जो की योग्य होने के बाद भी आरक्षण की वजह से नौकरी से दूर हो जा रहे हैं। सरकार को इस मुद्दे पर भी विचार करना चाहिए।

         

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