चीनी उत्पादन का बादशाह बना यूपी 

Ashwani NigamAshwani Nigam   14 April 2017 8:40 PM GMT

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चीनी उत्पादन का बादशाह बना यूपी पिछले साल उत्तर प्रदेश में 68.55 लाख टन चीनी का ही उत्पादन हुआ था

लखनऊ। देश के प्रमुख चीनी उत्पादक राज्यों महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्रप्रदेश और तेलंगाना में जहां इस साल गन्ने की कम पैदावार होने से चीनी का उत्पादन कम हो रहा है वहीं देश के सबसे बड़े चीनी उत्पादक राज्य महाराष्ट्र को पछाड़ते हुए उत्तर प्रदेश चीनी उत्पादन में देश का नंबर वन राज्य हो गया है।

उत्तर प्रदेश के गन्ना विकास और चीनी उद्योग विभाग के आंकड़े के अनुसार साल 2016-17 सीजन में उत्तर प्रदेश में 13 अप्रैल तक कुल 84 लाख टन चीनी का उत्पादन हो चुका है जबकि महराष्ट्र में 41.15 लाख टन चीनी का ही उत्पादन हुआ है। पिछले साल वहां पर 82 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था।

पिछले साल उत्तर प्रदेश में 68.55 लाख टन चीनी का ही उत्पादन हुआ था। इस बारे में जानकारी देते हुए आयुक्त गन्ना विकास एवं चीनी उद्योग विपिन कुमार दि्वेदी ने बताया, ‘प्रदेश में इस बार कुल 116 चीनी मिलों में गन्ना पेराई और चीनी उत्पादन का काम शुरू हुआ था जिसमें से 55 चीनी मिलों में चीनी उत्पादन का काम पूरा हो चुका है और 61 चीनी मिलों में अभी चीनी उत्पादन का काम जारी है। ऐसे में अप्रैल के अंत तक जो आंकड़े जारी होंगे उसमें प्रदेश में चीनी उत्पादन का आंकड़ा और भी बढ़ सकता है।’ उन्होंने बताया कि प्रदेश में इस बार चीनी का उत्पादन 85 से 86 लाख टन हो सकता है।

उत्तर प्रदेश में अधिक चीनी उत्पादन देश के चीनी उद्योग के लिए भी राहत की बात है। कुछ दिन पहले ही इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन यानि इस्मा ने इस साल-2016-17 में अक्टूबर से लेकर मार्च तक चीनी उत्पादन का जो संभावित आंकड़ा जारी किया था उसके मुताबिक देश में इस साल चीनी उत्पादन में 19 प्रतिशत की गिरावट आ सकती है।

इसके पीछे कारण बताया गया था कि महराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश तेलंगना में सूखे के कारण गन्ने की पैदावार कम हुई है। इस साल देश में लगभग 30 फीसदी कम चीनी मिलें भी काम कर रही हैं। ऐसे में देश में इस बार चीनी का उत्पादन 2.03 करोड़ टन होने का अनुमान है जबकि पिछले साल 2.51 करोड़ टन चीनी का उत्पादन हुआ था।

चीनी आयात के फैसले को निरस्त करे सरकार: भारतीय किसान यूनियन

भारत सरकार ने पांच लाख टन चीनी आयात करने का फैसला किया है। इस फैसले से प्रदेश के गन्ना किसानों और चीनी मिलों की चिंता बढ़ गई है। भारतीय किसान यूनियन ने प्रधानमंत्री नरेन्द मोदी का पत्र लिखकर चीनी आयात के फैसले को निरस्त करने की मांग की है। भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने बताया कि देश में चीनी उत्पादन में गिरावट बताकर केन्द्र सरकार बिना आयात शुल्क के पांच लाख टन चीनी आयात करने जा रही है।

उन्होंने कहा कि भारत दुनिया में चीनी का चौथा बड़ा उत्पादक और उपभोक्ता देश है। इस साल देश में 2.25 करोड़ टन चीनी उत्पाद का अनुमान है। चीनी उत्पादन इससे भी अधिक हो सकता है। ऐसे में सरकार का चीनी आयात करने का फैसला देश के चीनी उद्योग की कमर तोड़ देगा।

किसान नेता ने कहा कि पिछले वर्षों में सरकार ने बड़ी मात्रा में चीनी का आयात किया था जिससे चीनी के दाम घरेलू बाजार में निम्न स्तर पर आ गए थे। इस वजह से स्थिति यह हो गई थी कि चीनी मिलें किसानों का पैसा समय से भुगतान भी नहीं कर पा रही थीं। गन्ना किसान बर्बाद हो गए। उन्होंने बताया कि साल 2015-16 में देश में 2.51 करोड़ टन चीनी उत्पादन हुआ था। ऐसे में अगर सरकार इस साल चीनी का आयात करती है तो गन्ना किसानों के बुरे दिन फिर से चालू हो जाएंगे।

    

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