ख़ास ख़बर : यूपी फोरेंसिक विभाग ने अपराधों में डीएनए जांच के लिए खींचा नया खाका 

Abhishek PandeyAbhishek Pandey   10 Oct 2017 7:38 PM GMT

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ख़ास ख़बर : यूपी फोरेंसिक विभाग ने अपराधों में डीएनए जांच के लिए खींचा नया खाका यूपी पुलिस ने लिया अहम फैसला 

लखनऊ। किसी भी अपराध में हत्यारों का सुराग खोजने व उसे सलाखों के पीछे भेजने के लिए पुलिस अक्सर अंतिम में डीएनए जांच का सहारा लेती है, लेकिन मौजूदा कुछ समय से डीएनए जांच में पारदर्शिता न बरतने के चलते इस पर सवालियां निशान उठने लगे थे, जिसे देखते हुए विधि विज्ञान प्रयोगशाला ने उत्तर प्रदेश के सभी पुलिस अधिकारियों को जांच के लिए डीएनए भेजे जाने के संबंध में नई कोडिंग व्यवस्था का पालन सख्ती से करने का निर्देश दिया।

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डीजी टेक्निकल महेंद्र मोदी ने बताया कि, प्रदेश भर से विधि विज्ञान प्रयोगशाला में भेजे जाने वाला डीएनए सील्ड होते हैं, लेकिन उससे जुड़े अपराध संबंधित कागजात खुले होने के चलते इसकी कोडिंग में समस्या में आती है। साथ ही डीएनए का सील नमूना भी अलग से बंद लिफाफे में भेजा जाना आवश्यक है, जिस पर सील लगाने वाला क्षेत्राधिकारी लिफाफे को सुरक्षित करने के लिए हस्ताक्षर करें तथा लिफाफे व हस्ताक्षर पर पारदर्शी टेप लगाकर लिफाफा तथा अपने हस्ताक्षर सुरक्षित करके भेजें ताकि सील नमूना को भी रास्ते में कोई परिवर्तित न कर सके।

डीजी टेक्निकल महेंद्र मोदी

डीजी महेंद्र मोदी ने कहा कि, इस नियम को सख्ती से लागू करने के लिए जिलों के सभी पुलिस अधिकारियों को 8 सितम्बर 2017 को एक पत्र लिखकर निर्देशीत कर दिया गया है। इसके बावजूद अगर किसी भी जिले से डीएनए नमूना नियम के अनुरूप विधि विज्ञान प्रयोगशाला जांच के लिए भेजा जायेगा तो उसे दोबारा से जिलों में वापस करवा दिया जायेगा और इसकी पूरी जिम्मेदारी संबंधिति क्षेत्राधिकारी स्तर के अधिकारी की होगी। उन्होंने कहा कि, इस नए कोडिंग सिस्टम को लागू करने के पीछे मकसद केवल इतना है कि, किसी भी अपराध के अंतिम पहलू तक पहुंचने के लिए डीएनए जांच सबसे महत्वपूर्ण होता है, लेकिन कोडिंग सिस्टम न लागू होने के चलते कोई भी आरोपित इसे आसानी से डीएनए जांच रिपोर्ट को प्रभावित कर सकता था, लेकिन इस नई व्यवस्था के लागू होने पर अपराधी को क्या प्रयोगशाला में जांच करे रहे डॉक्टरों को भी नहीं मालूम चल सकेगा की वह किसी केस की डीएनए रिपोर्ट तैयार कर रहा है और पूरी रिपोर्ट आने के बाद उसे सीधे जिले के क्षेत्राधिकारी लेवल के अधिकारी को नए कोडिंग सिस्टम में सील्ड कर भेज दिया जायेगा। जिस आधार पर जिले की पुलिस को किसी भी अपराधिक मामले की जांच करने में आसानी होगी।

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किन मामलों में हो सकती है डीएनए जांच

  • 1. कोर्ट ने आदेश दिया कि धारा 376 के तहत दर्ज हर मामले में जांच होगी।
  • 2. गर्भवती होने के दरमियान भी अगर पीड़ित की मृत्यु होती है तो भी डीएनए जांच कराई जाएगी।
  • 3. अगर पीड़िता का गर्भपात कराया जाता है तो उसके गर्भ में टिशु के नमूनों का डीएनए होगा।
  • 4. रेप में गर्भवती होने के मामले में बच्चा पैदा होने की स्थिति में डीएनए कराया जाएगा।
  • 5. अगर एफएसएल (फॉरेंसिक साइंस लैब) में शुक्राणु मिलते हैं तो नमूना डीएनए के लिए भेजा जाएगा।
  • 6. एमएलसी (मेडिको लीगल केस) के दौरान पीड़िता के गुप्तांग और कपड़ों की स्लाइड बनाकर एफएसएल में भेजकर पता करें कि उसमें आरोपी के शुक्राणु हैं या नहीं।

क्या होता है डीएनए

डीएनए की खोज अंग्रेजी वैज्ञानिक जेम्स वॉटसन और फ्रान्सिस क्रिक के द्वारा वर्ष 1953 में की गई थी। इस खोज के लिए उन्हें वर्ष 1962 में नोबेल पुरस्कार सम्मानित किया गया। डीएनए, जीवित कोशिकाओं के गुणसूत्रों में पाए जाने वाले तंतुनुमा अणु को डी-ऑक्सीराइबोन्यूक्लिक अम्ल कहते हैं। इसमें अनुवांशिक कोड जुड़े (बंधा होना) रहते है। डीएनए अणु की संरचना घुमावदार सीढ़ी की तरह होती है। डीएनए की एक अणु चार अलग-अलग रासायनिक वस्तुओं (अडेनिन, ग्वानिन, थाइमिन और साइटोसिन) से बना है जिन्हें न्यूक्लियोटाइड कहते है, ये एक नाइट्रोजन युक्त वस्तु है। इन न्यूक्लियोटाइडोन से युक्त डिऑक्सीराइबोस नाम का एक शक्कर भी पाया जाता है। इन न्यूक्लियोटाइडोन को एक फॉस्फेट का अणु जोड़ता है। न्यूक्लियोटाइडोन के सम्बन्ध के अनुसार एक कोशिका के लिए जरूरी प्रोटीनों का निर्माण होता है। एक कोशिका में गुणसूत्रों के सेट अपने जीनोम (डीएनए में मौजूद जीन का अनुक्रम) का निर्माण करता है।

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मानव जीनोम 46 गुणसूत्रों की व्यवस्था में डीएनए के लगभग 3 अरब आधार जोड़े है। बता दें कि जीन आनुवांशिकता की मूलभूत शारीरिक इकाई है। जो एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में स्थातनांतरण होती रहती है। यानी इसी में हमारी आनुवांशिक विशेषताओं की जानकारी होती है जैसे हमारे बालों का रंग कैसा होगा, आंखों का रंग क्या होगा या हमें कौन सी बीमारियां हो सकती हैं। ये जानकारियां माता-पिता से उनके बच्चों में डीएनए के माध्यम से स्थानांतरित होते हैं। इसी वजह से ये भी कहा जाता है कि इंसान का डीएनए अमर होता है जो एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में स्थानांतरित होता रहता है। यह जानकारी, कोशिकाओं के केन्द्र में मौजूद जिस तत्व में रहती है उसे डीएनए कहते हैं। जब किसी जीन के डीएनए में कोई स्थाई परिवर्तन होता है तो उसे म्यूटेशन या उत्परिवर्तन कहा जाता है।

पुलिस के लिए डीएनए जांच रामबाण

आपराधिक मामलों में भी डीएनए की जांच होती है। डीएनए जांच के लिए व्यक्ति के खून, बाल, त्वचा और उल्ब तरल (एम्नियोटिक फ्लुइड) का सैंपल लिया जाता है। एम्नियोटिक फ्लुइड गर्भावस्था में भ्रूण के चारों ओर का तरल होता है। इसके अलावा व्यक्ति के गालों के अंदरूनी हिस्से से ब्रश या रूई के माध्यम से नमूना भी लिया जाता है। माउथवॉश के द्वारा भी मुंह के अंदर के सेल जमा किये जा सकते हैं। इनकी जांच देश की अलग-अलग मान्यॉता प्राप्तं प्रयोगशालाओं में निर्धारित फीस देकर कराई जा सकती है। सामान्य त: डीएनए की जांच रिपोर्ट आने में 15 दिन का समय लगता है।

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