बीमारियों से बचने के लिए चलाया गया था सफाई अभियान, अधिकारियों ने अभियान पर ही लगा दी ‘झाड़ू’

Chandrakant MishraChandrakant Mishra   12 Sep 2017 8:04 PM GMT

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बीमारियों से बचने के लिए चलाया गया था सफाई अभियान, अधिकारियों ने अभियान पर ही लगा दी ‘झाड़ू’बीमारियों को दावत दे रही है गंदगी।

लखनऊ। प्रदेश में साफ-सफाई को लेकर नगर विकास मंत्रालय द्वारा विशेष सफाई अभियान बीते 17 अगस्त से 25 अगस्त तक चलाया गया। वहीं जापानी इंसेफ्लाइटिस से प्रभावित जिलों में यह विशेष अभियान 17 से 30 अगस्त तक चला, लेकिन धरातल पर देखें तो यह सफाई अभियान सिर्फ कागजी खानापूर्ति रहा। गाँव तो क्या, शहरों में भी गंदगी का अंबार आज भी है। ग्रामीण क्षेत्रों खासकर इंसेफ्लाइटिस प्रभावित इलाकों में गंदगी के चलते संक्रामक बीमारियों की आशंका कम नहीं हो रही है।

स्वच्छता अभियान केंद्र व प्रदेश सरकार की प्राथमिकता है। सरकार चाहती है की सफाई को लेकर देश की एक अलग तस्वीर सामने आए। इसके लिए विशेष सफाई अभियान चलाया गया था। नगर विकास मंत्री सुरेश खन्ना ने शुद्ध पेयजल के लिए क्लोरीन युक्त पानी सप्लाई के आदेश नगर निगमों और जल निगम को दिया था। सफाई अभियान की निगरानी के लिए मॉनिटरिंग सेल बनाया गया था, जिसमें 76 सम्बिधित विभागीय अधिकारियों को नामित किया गया था। इस अभियान की मंशा जापानी इंसेफलाइटिस प्रभावित जिलों में बीमारी से हो रही मौतों को रोकना था।

बरसात में फैलती है सबसे ज्यादा बीमारियां

वर्षा ऋतु में ग्राम पंचायतों में साफ-सफाई के अभाव में बीमारियां फैलने के कारण ग्रामीणों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। गाँव एवं शहर की अंदरकी गलियों में गन्दगी, गोबर, कूड़ा-करकट, मिट्टी बहकर नालियों में पहुंच जाने से नालियां बंद हो जाती हैं, जिससे कीचड़ और गन्दगी से मच्छर जनित रोगों के फैलने का खतरा रहता है।

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पूर्वांचल पर ज्यादा फोकस

वैसे तो यह विशेष सफाई अभियान प्रदेश के समस्त जनपदों में चलाया गया, लेकिन एक्यूट इंसेफलाइटिस सिन्ड्रोम और जापानी इंसेफलाइटिस से सबसे ज्यादा प्रभावित 13 जनपदों गोरखपुर, कुशीनगर, देवरिया, महराजगंज, बस्ती, सिद्धार्थनगर, संतकबीरनगर, गोण्डा, बहराइच, बलरामपुर, श्रावस्ती, सीतापुर एवं लखीमपुर खीरी में 17 अगस्त से 30 अगस्त तक चलाया गया।

स्वच्छ पेयजल की करनी थी व्यवस्था

अभियान के दौरान स्वच्छ पेयजल की व्यवस्था के लिए पीने वाले पानी के कुओं में ब्लीचिंग पाउडर डालना, हैण्डपम्पों के चारों और सफाई की व्यवस्था करनी थी, जिससे मच्छरों को बढ़नें व पैदा न होने से रोका जाए, लेकिन विभागीय कर्मचारियों की लापरवाही से अभी भी जगह-जगह गंदगी का अंबार लगा हुआ है। ग्राम सभाओं में स्वच्छता, पेयजल, शौचालय, मच्छरदानी का उपयोग करने हेतु लोगों को जागरूक किया जाना था। लेकिन यह सब सिर्फ कागजों में ही सिमट कर रह गया।

बरसात के सीजन में फैलने वाली बीमारियों को देखते हुए पूरे प्रदेश में विशेष सफाई अभियान चलाया गया था। अभियान पूरी तरह से सफल रहा। 15 सितंबर से 02 अक्टूबर तक एक बार फिर अभियान चलाया जाएगा।
मनोज कुमार सिंह, प्रमुख सचि‍व, नगर विकास विभाग, उत्तर प्रदेश ।

गोरखपुर के मोहल्ला रुस्तमपुर निवासी प्रमोद दूबे (40वर्ष) ने बताया, “ शहर में सफाई की स्थिति बदतर होती जा रही है। हमें पता ही नहीं चला कि, कब सफाई अभियान शुरू हुआ और कब खत्म हो गया। हमारे मोहल्ले में अभी भी जगह-जगह गंदगी फैली हुई है। ”

गोरखपुर के पिपराइच ब्लाक के रक्षवापार निवासी जय प्रकाश मिश्रा (60वर्ष) का कहना है, “ सफाइकर्मी गाँव में आता ही नहीं हैं। जब अधिकारियों से शिकायत की जाती है तो वह भी कोई कार्रवाई नहीं करते हैं। बरसात के सीजन में संक्रामक बीमारियों के फैलने का डर बना रहता है, बावजूद इसके सफाई पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। ”

हर मोहल्ले और वार्ड में विशेष सफाई अभियान चलाया गया था। सफाई अभियान में लोगों का भी सहयोग रहा। बावजूद इसके यदि किसी मोहल्ले में गंदगी रह गई है तो फिर से वहां सफाई अभियान चला दिया जाएगा।

डीके सिन्हा, प्रभारी नगर आयुक्त, गोरखपुर।

गोंडा के सिविल लाइन निवासी परमानंद गुप्ता (50वर्ष) का कहना है, “ गंदगी के मामले में हमारा गोंडा सबसे ऊपर है। हर गली-मोहल्ले में गंदगी का अंबार लगा हुआ है। विशेष सफाई अभियान के तहत बस खानापूर्ती की गई। ”

मेरठ के गाँव पूठा निवासी रोहन (34वर्ष) बताते हैं,“ पूरे गांव की नालियां गंदगी से अटी पड़ी है, षिकायत के बाद भी कोई सुनने को तैयार है। यहां के अभियान तो बस नाम के ही हैं।”

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