1000 करोड़ से यूपी में पर्यटन स्थलों का होगा कायाकल्प, देखिए तस्वीरें

Abhishek PandeyAbhishek Pandey   21 Dec 2017 4:05 PM GMT

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1000 करोड़ से यूपी में पर्यटन स्थलों का होगा कायाकल्प, देखिए तस्वीरें

आगरा का ताजमहल। (सभी फोटो- अभिषेक वर्मा)

लखनऊ। उत्तर प्रदेश पर्यटन की दृष्टि से अत्यन्त समृद्ध राज्य है, परन्तु लंबे सयम से इसकी अनदेखी के चलते इसका विकास नहीं हो पाया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्नाथ ने सूबे को पर्यटन क्षेत्र में देश का प्रथम राज्य बनाने का संकल्प योजना को पूरा करने के लिए 6 दिसंबर को मुख्य सचिव की अगुवाई में तमाम पर्यटन अधिकारियों के साथ एक बैठक की, जिसमें पर्यटन उद्योग को बढ़ावा देने के लिए कार्ययोजना तैयार की गई है।

मुख्य सचिव राजीव कुमार की अगुवाई में बैठक में शामिल प्रदेश के समस्त विभाग के अधिकारियों ने बिंदुवार पर्यटन विस्तार के लिए योजना और सुझाव दिए। इस बैठक में वर्तमान राज्य सरकार को पर्यटन के क्षेत्र में देश में प्रथम स्थान दिलाने के लिए कार्य तैयार किया गया। जिसे भविष्य में यह राज्य हासिल कर युवाओं के लिए रोजगार का अवसर प्रदान करेगा।

सूबे में आधारभूत सुविधाओं और अर्थव्यवस्था के विकास से पर्यटन की गतिविधियां बहुत तेजी से बढ़ाने के लिए मुख्य सचिव राजीव कुमार ने पर्यटन को एक उद्योग के रूप में घोषित किया जाने की बात कही। साथ ही 100 करोड़ से अधिक के निवेश वाली इकाइयों के लिए औद्योगिक नीति के अन्तर्गत प्रदान किये जाने वाले प्रोत्साहनों को पर्यटन नीति में शामिल किया जाए।

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नीति के अन्तर्गत प्रदान किये जाने वाले वित्तीय प्रोत्साहन के लिए 3 वर्ष में 1000 करोड़ (राज्य बजट के लिये) की सकल सीमा रखी जानी चाहिए और नीति के अन्तर्गत प्रोत्साहन अब तीन मुख्य भागों में बाँटे जाने की योजना तैयार है, जिसमें राज्य सरकार को मिली विरासत की सम्पत्ति के विकास के लिए 100 करोड़, पर्यावरण-पर्यटन क्षेत्र के लिए 100 करोड़, बुंदेलखण्ड, मिर्जापुर एवं सोनभद्रा जैसे इलाकों में पर्यटन को बढ़ावा के लिए 200 करोड़, जबकि उत्तर प्रदेश के बचे शेष भाग के लिए 600 करोड़ के बजट की मांग रखी है।

पर्यटन को प्रोत्साहित करने के उद्दश्य से एक ऐसी सीमा लागू करनी चाहिए जिससे पूँजी निवेश के 30% से अधिक न हो। साथ ही विरासत पर्यटन पर विशेष ध्यान दिया जाने की बात कही गई है। यूपी में करीब 20 हवेलियों को विरासत पर्यटन की परिधि में सम्मिलित करने की योजना तैयार कर ली गई है।

बैठक में शामिल प्रमुख सचिव आलोक सिन्हा औद्योगिक एवं अवस्थापना विभाग ने पर्यटन प्रोत्साहन के लक्ष्य में कृषि-पर्यटन एवं खादी को प्रोत्साहन भी शामिल किया जाने के साथ-साथ पर्यटन स्थलों को विकसित करने के लिये एक सम्पूर्ण एकीकृत दृष्टिकोण अंगीकृत किया जाने की बात कही। यानी सड़कें, जलनिकास प्रणाली, स्वच्छता, होटल, गाइड आदि की सुविधा मुहैया कराने की ओर जोर था। पर्यटन स्थल के चारों ओर 1.0 से 1.5 किमी के क्षेत्र को अन्तर्राष्ट्रीय मानक के अनुरूप विकसित किया जाना चाहिए।

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वहीं अवनीश कुमार अवस्थी, प्रमुख सचिव पर्यटन ने कुशीनगर, कपिलवस्तु, सारनाथ, श्रावस्ती, आगरा, फ़तेहपुर सिकरी, बरसाना, गोकुल, नन्दगाँव, वृंदावन, गोवर्धन, अयोध्या, काशी, नैमिषारण्य, चित्रकूट, विन्ध्याचल, देवीपाठन, तुलसीपुर और राज्य में अन्य अविकसित पर्यटन संभाव्य स्थलों के नवीनीकरण एवं विकास के लिये शीर्ष वास्तुविदों को काम पर रख बढ़ावा देने की बात कही।

इस मौके पर योजना वास्तुकला एवं योजना विद्यालय जैसे लखनऊ वास्तुकला विद्यालय, सी.ई.पी.टी. विश्वविद्यालय एवं वास्तुकला एवं योजना विद्यालय से छात्रों को उनके ग्रीष्मकालीन अवकाश/इंटर्नशिप अवधि में स्टाइपेंड (वेतन) के बदले शहरों के लिये एकीकृत पर्यटन विकास योजना तैयार करने के लिए आमंत्रित किया जाना चाहिये। इस सन्दर्भ में इन संस्थानों के निदेशकों को पत्र भेजा जाने की योजना तैयार की गई।

पर्यटन पर्यटन स्थलों को उनके प्रचलित ऐतिहासिक कहानियों से मेल कराते हुए सुसज्जित किया जाने के तहत हर स्थान या शहर में एक स्मारक स्थापित होने के साथ उनकी कहानियों को चित्रित या उनका प्रतिनिधित्व कर सके। उदाहरण के लिए, बर्नावा एवं लाक्षाग्रह महाभारत की कहानी के अनुरूप नहीं हैं क्योंकि वहाँ कोई अवशेष/निर्माण नहीं है, जिसे महाभारत के महाकाव्य को चित्रित करने के लिए विशिष्ट रूप से दर्शाया जा सके।

क्षेत्र के वास्तविक महाकाव्य को विशिष्ट रूप से दर्शाने के लिये पर्चे और पुस्तकें जैसे कि गीता प्रेस, गोरखपुर द्वारा कल्याण का उपयोग किया जाना चाहिए। रूपेश कुमार (विशेष सचिव, पर्यावरण) ने पर्यावरण-पर्यटन को अत्याधिक प्रोत्साहित करने के क्रम में, अगले पाँच वर्षों में पर्यटक आगमन को पाँच गुणा करने का लक्ष्य रखा जाने का सुझाव दिया। साथ ही अगले पाँच वर्षों में प्रशिक्षित सेवा प्रदाताओं की संख्या 2,000 से बढाकर 10,000 की करे जाने की योजना तैयार की गई है। सूबे में पर्यटन स्थलों को चरणबध्द तरीके से विकसित करने के तहत परियोजनाओं को सम्मिलित किया गया है।

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मुख्य पर्यटन स्थलों के आस-पास होटल के कमरों हेतु आपूर्ति की कमी को समझने के लिए अध्ययन किया जाना की बात कही गई है। दूसरी ओर पर्यटन के लिये भूमि बैंक विकसित करने और विभिन्न सरकारी विभागों मेंउपलब्ध भूमि, जो उपयोग में नहीं है, को इस उद्देश्य के लिये उपयोग में लायी जा सके। इसे भूमि अधिग्रहण के लिये आधारभूत दर डीएम सर्किल रेट तय करें।

भूमि की पट्टा/बिक्री की सम्पूर्ण प्रक्रिया के लिये ई-निविदा प्रक्रिया का उपयोग किया जाए, जिससे किसी की जमीन अधिग्रहण करने में विवाद उत्पन्न न हो। स्मारकों के विषय में सही जानकारी प्रसारित करने के लिये समुचित ढंग से प्रशिक्षित ऑडियो गाइडों के साथ पर्यटक गाइडों पर विचार किया जाने की योजना बात कही गई है। अतिरिक्त लक्ष्य के रूप में पर्यटकों के लिये Wi-Fi व्यवस्था पर भी विचार किया जा रहा है, जिसे पूरा करने के लिए मोबाइल कंपनियों से बातचीत की जायेगी।

पर्यटकों को राज्य में आकर्षित करने के लिये उत्तर प्रदेश के विभिन्न भागों से स्थानीय लोक/शास्त्रीय गीतों पर 30 से 60 सेकण्ड के लघु चलचित्र का विज्ञापन करने की भी इस बैठक में योजना तैयार की गई है। कुछ अन्तर्राष्ट्रीय स्थलों के स्तर पर जैसे कि, रॉस द्वीप, सेंटोसा आदि के तर्ज पर पर्यटन स्थलों को विकसित करना। ध्वनि एवं प्रकाश के शीर्षस्थ प्रदर्शन के लिये कुछ शहरों को चयनित किया जाना चाहिए)। प्रस्तावित शहर- हस्तिनापुर, कपिलवस्तु, कुशीनगर, श्रावस्ती, वाराणसी घाट, इलाहाबाद, लखनऊ, आगरा, फ़ैजाबाद, अयोध्या, सारनाथ, मथुरा, कौशाम्बी, चित्रकूट, नैमिषरण्य, कम्पिल/संकिसा आदि।

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बैठक में शामिल पन्ना लाल (अवर सचिव, सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम विभाग) ने लघु स्तरीय उद्यमियों को राज्य में निवेश के लिये आकर्षित करने के लिए रात्रि निवास और सुबह के नाश्ते की परिकल्पना करते हुए oyo जैसी सुविधा देने वाली एजेंसियों को प्रोत्साहित करने का सुझाव दिया है, जिससे उन स्थानों पर जैसे गोवर्धन एवं मथुरा में आने वाले पर्यटक को बढ़ावा मिलेगा।

बैठक में पर्यटन के तहत सब्सिडी इन योजनाओं में मिलेगी

  • नवीन पर्यटन इकाई को पूँजी सब्सिडी के तहत 50 करोड़ तक की परियोजना (भूमि लागत को छोड़कर) 15% सब्सिडी 7.5 करोड़ की अधिकतम सीमा के साथ की गई है। 50 करोड़ से अधिक की परियोजना में (भूमि लागत को छोड़कर) 15% सब्सिडी के तहत 10 करोड़ की अधिकतम सीमा के साथ योजना तैयार की गई है। परियोजना में 25% निवेश की स्थिति में .
  • 40% सब्सिडी अवमुक्त की जायेगी और परियोजना का समापन – 60% सब्सिडी 60 दिनों के अन्दर अवमुक्त की जायेगी। साथ ही तंबू आवास (0.20 करोड़ के न्यूनतम निवेश के साथ)– 20% सब्सिडी 0.15 करोड़ की अधिकतम सीमा के साथ (परियोजना 3 वर्ष के लिए चलेगी।
  • नवीन पर्यटन इकाई को ब्याज में सब्सिडी के तहत 5% पहले 3 वर्षों के लिये और 2 करोड़ तक के बैंक ऋण के लिए योजना है। साथ ही 3% पहले 3 वर्षों के लिये 2 करोड़ से अधिक एवं 5 करोड़ से कम के बैंक ऋण के लिये तैयार की गई है।
  • नवीन पर्यटन इकाईयों को पंजीकरण एवं स्टाम्प शुल्क में छूट के तहत विरासत होटल द्वारा संचालन प्रारम्भ करने के बाद भूमि हस्तांतरण शुल्क के लिए पर्यटन विभाग द्वारा 100% स्टाम्प शुल्क की प्रतिपूर्ति की जायेगी। विरासत होटल के अलावा अन्य पर्यटन इकाईयों के संचालन प्रारम्भ करने के बाद भूमि हस्तांतरण शुल्क के लिए पर्यटन विभाग द्वारा 100% स्टाम्प शुल्क प्रतिपूर्ति की जाएगी।

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  • नवीन पर्यटन इकाइयों को बिजली शुल्क में छूट के तहत नवीन पर्यटन इकाईयों को व्यावसायिक संचालन की तिथि से 5 वर्षों तक की अवधि के लिये छूट दी जायेगी।

  • नवीन पर्यटन इकाइयों का रूपांतरण एवं भूमि कर योजना के तहत रूपांतरण शुल्क की 100% प्रतिपूर्ति होगी और यह प्रतिपूर्ति परियोजना के व्यावसायिक संचालन के बाद की जाएगी।
  • ऊर्जा की लागत का 75% तक मान्यता प्राप्त लेखा परीक्षण संस्थानों द्वारा/ सलाहकार/ जल संचयन/ संरक्षण एवं पर्यावरण के अनुकूल अभ्यास प्रति इकाई अधिकतम 50,000 तक की जाएगी।
  • नवीन पर्यटन इकाइयों को नवीन खोज के प्रोत्साहन के लिए पुरस्कार के तहत परियोजनाओं को जो किसी भी मानदंड को पूरा करना और तकनीकी रूप से राज्य में पहली प्रस्तुतीकरण (ख) सार्थक रूप से सूचना तकनीक का लाभ उठाने पर (ग) नगण्य कार्बन पदचिन्ह का होना है। साथ ही 10-50 करोड़ के बीच निवेश के लिए, जहाँ 50 लोग प्रत्यक्ष रूप से कार्यरत हैं, उन्हें 10 लाख का प्रोत्साहन। 10 करोड़ का निवेश, जहाँ 30 लोग प्रत्य्क्ष रूप से कार्यरत हैं, भारतीय रुपया 5 लाख का प्रोत्साहन है।
  • विदेशी पर्यटन कार्यक्रमों में सहभागिता के संबंध में भुगतान किये गये जगह के किराये का 50% एवं यात्रा खर्च राज्य के पर्यटन सेवा प्रदाता द्वारा वहन की जायेगी प्रत्येक कार्यक्रम के लिये अधिकतम 75,000/- तक राशि खर्च की जायेगी। उपर्युक्त प्रोत्साहन किसी भी एजेंसी के लिये एक वित्तीय वर्ष में मात्र दो कार्यक्रमों के लिए है। साथ ही यात्रा खर्चे की अतिरिक्त प्रतिपूर्ति 4 अन्य अतिरिक्त कार्यक्रमों के लिए दी जा सकती है और यात्रा खर्च की स्वीकार्यता की अधिकतम सीमा ₹2.5 लाख प्रति वर्ष होगी।

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  • एक पक्ष या अधिक की अवधि के पाठ्यक्रम शुल्क की 100% प्रतिपूर्ति 10,000 तक प्रति व्यक्ति प्रति पाठ्यक्रम को बढ़ावा देने के लिए योजना तैयार की गई है। पर्यटन विभाग द्वारा पंजीकृत स्थानीय क्षेत्र से पर्यटन गाइड को 5,000 के वेतन के साथ प्रशिक्षण की भी योजना तैयार की गई है।
  • राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलनों की सरल एवं सहायता के लिए पर्यटन क्षेत्र में आई.सी.टी. का समर्थन करने वाले उत्तर प्रदेश के कार्यक्रमों में 5 लाख प्रति कार्यक्रम की वित्तीय सहायता पर्यटन विभाग द्वारा स्वीकृति अनुसार किया जायेगा। साथ ही आडियो एवं विडीयो गाइड सेवा प्रदान करने वाले पर्यटन सेवा प्रदाता को उपकरणों की खरीद के लागत का 25% तक/ सामग्री निर्माण या 25 लाख, जो भी कम हो की एक-मुश्त सहायता दी जायेगी संचालक द्वारा मात्र एक बार उपयोग की जा सकेगी।
  • -मान्यता प्राप्त होटल संघ/ व्यापार कक्ष को इस क्षेत्र में बाजार शोध का कार्य करने के लिये ₹5 लाख तक वित्तीय सहायता प्रदान की जायेगी। पर्यटन विभाग की उपयुक्तता एवं आवश्यकता के अनुरूप विषय वस्तु पर निर्णय लिया जायेगा। पर्यटन विभाग की पूर्व अनुमति एवं अनुमोदन के बाद ही इसे प्रदान किया जायेगा।
  • -ईपीफ व्यय की 75% प्रतिपूर्ति (पुरूष कार्यकर्ताओं के लिये) एवं 100% प्रतिपूर्ति (महिला कार्यकर्ताओं के लिये) 3 वर्षों की अवधि के लिये उन कार्यकर्ताओं के लिये जो राज्य के निवासी हैं। साथ ही दिव्यांग श्रमिकों को नियोजित करने वाली इकाईयों को भारतीय रुपया 500 प्रति माह प्रति कार्यकर्ता के वेतन भुगतान सहायता दिया जायेगा।

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  • करोड़ की सीमा तक 5% अतिरिक्त छूट देने के साथ-साथ बुन्देलखण्ड परिक्षेत्र, रामायण एवं बौध्द क्षेत्र में नवीन पर्यटन इकाई विभाग द्वारा अनुसंशा किए जाने वाले महत्वपूर्ण धार्मिक स्थलों जैसे वाराणसी, इलाहाबाद, मथुरा, विन्ध्यवासिनी, नैमिषरण्य, नंगला चन्द्रभान अन्य स्थान आदि में नवीन होटल (न्यूनतम 10 वातानुकूलित कक्ष) बनाने की योजना तैयार है। पर्यावरण और पर्यटन केन्द्रों जैसे कि दुधवा, किशनपुर, पिलीभीत, कतरनियाघाट आदि में नवीन पर्यटन इकाई बनाई जायेगी।
  • उपचार संयंत्र की स्थापना के लिये पूँजी लागत की 20% की प्रतिपूर्ति भारतीय रुपया अधिकतम 20 लाख तक देने के साथ-साथ भारत के पर्यावरण और पर्यटन सोसाइटी से प्रमाणीकरण एवं मानक प्राप्त करने पर 100% प्रतिपूर्ति 1 लाख की राशि तक की जायेगी
  • ईपीफ व्यय का 75% प्रतिपूर्ति (पुरूष कार्यकर्ताओं के लिये) एवं 100% प्रतिपूर्ति (महिला कार्यकर्ताओं के लिये) 3 वर्ष की अवधि के लिये की जायेगी। मानदंड को दर्शाने के लिए: कला, संगीत या कोई नृत्य जो समाप्त हो गया होऔर राज्य में पुनः प्रारम्भ किया गया होगा।

यूपी सरकार और केंद्र सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त एक पर्यटन योजना इन बिंदुओं पर करेगी शामिल

►रात्रि निवास एवं सुबह का नाश्ता योजना को एक पर्यटन इकाई के रूप में माना जायेगा।

►होटल, जिसमें न्यूनतम किराए पर देने योग्य 50कमरे और ₹10 करोड़ का न्यूनतम निवेश हो। ► एक हेरिटेज होटल के तहत कोई किला, महल, हवेली, शिकार लॉज या विरासत सुविधाओं के साथ वे घर जो 1.1.1950 से पहले निर्मित हों और पर्यटन मंत्रालय, भारत सरकार या उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा अनुमोदित हों।

►बजट होटल या एक मोटल जिसमें किराए पर देने योग्य न्यूनतम 20 कमरे और ₹2 करोड़ का न्यूनतम निवेश हो, जो सस्ती और किफायती दर पर बुनियादी सुविधाएं प्रदान करे।

►रिज़ॉर्ट, जिसमें न्यूनतम 30 कमरे हों और न्यूनतम ₹10 करोड़ का निवेश हो तथा न्यूनतम क्षेत्रफल 2 एकड़ के साथ, खेल / मनोरंजन सुविधाएं प्रदान करता हो, घुड़सवारी, तैराकी या छुट्टी के लिए कॉटेज / कमरे की आवास व्यवस्था सहित सामाजिक सुविधाएं प्रदान करता हो।

►खेल रिज़ॉर्ट जैसे गोल्फ कोर्स, गोल्फ़ अकादमी या साहसिक संबंधित खेल या मनोरंजन और आवास सुविधाओं के साथ या बिना किसी अन्य खेल गतिविधि के, बशर्ते कि गोल्फ कोर्स के संबंध में, कोर्स के लिए पानी का स्रोत करने का सुचारू इंतजाम होगा।

►स्वास्थ्य रिज़ॉर्ट स्पा मालिश सेवाओं, मालिश, अंतर्ध्यान और शरीर के पुनरुत्थान के लिए अन्य संबंधित उपचार जैसी स्पा सेवाएं प्रदान करने के उद्देश्य से एक अल्पकालिक आवासीय / आवास सुविधा हो।

►पर्यटन स्थल, जहां तंबू, आवास, भोजन, बाथरूम / शौचालय सुविधाओं के साथ कम से कम 10 तंबू वाला हो।

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►मनोरंजन पार्क जो विभिन्न प्रकार की सवारी, खेल और मनोरंजन गतिविधियां प्रदान करे।

►वन विभाग की अनुमति से विकसित एक पशु सफारी पार्क।

►छत से ढका खम्बा-रहित, वातानुकूलित हॉल, जिसमें न्यूनतम कालीन क्षेत्रफ़ल 5000 वर्ग फ़ीट स्थान होना चाहिए, जो बैठक के लिये स्थान, सम्मेलन/परामर्श कक्ष एवं प्रदर्शनी की सुविधा प्रदान करता है, और एक समय में कम से कम 500 लोगों को समायोजित कर सकता है।

►मनोरंजन पार्क में कम से कम 10 मनोरंजक सवारी होनी चाहिए। मनोरंजन सवारी/सहायता में न्यूनतम ₹2 करोड़ का निवेश होना चाहिए। यह मात्र उपकरणों की लागत है। यह न्यूनतम 5 एकड़ क्षेत्र में होना चाहिए।

►प्रचलित अधिनियम और नियमों के तहत स्थापित एक रोपवे होगा तैयार।

► किसी भी राज्य परिवहन विभाग द्वारा पंजीकृत, एक विशेष रूप से निर्मित, कम से कम 4 विस्तर क्षमता वाला वाहन जो समूह उन्मुख अवकाश यात्रा के उद्देश्य के लिये उपयोग किया जाता है।

► न्यूनतम 4 लोगों के बैठने की क्षमता के साथ कोई नाव/नौका, जिसे परिवहन विभाग, उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा लाइसेंस प्राप्त हो और राज्य के झीलों/नदियों में भुगतान-और-उपयोग सुविधा के लिये संचालित होने की क्षमता रखता हो। होटल द्वारा अपने अतिथियों के यातायात या मनोरंजन के लिये प्रयुक्त नाव/नौका और/या माल/कच्चे माल इस परिभाषा में कवर नहीं कि जायेंगे।

► योगकेन्द्र, आयुर्वेद केन्द्र, गंतव्य स्पा, कल्याण केन्द्र विकसित करने में जुटी ₹5 करोड़ के निवेश एवं 1 एकड़ के क्षेत्रफ़ल की इकाई है।

►फिल्म निर्माण के लिए उपकरणों की स्थापना और बुनियादी सुविधाओं का विकास। एक फिल्म सिटी जो ₹100 करोड़ के न्यूनतम निवेश और 100 एकड़ के न्यूनतम क्षेत्र के साथ विकसित की जाएगी।

► एक करोड़ की लागत केउपकरण लागत के साथ लेज़र शो में होगा निवेश।

► पर्यटन मंत्रालय, भारत सरकार के दिशा निर्देशों के अन्तर्गत वर्गीकृत होटल एवं अन्य पर्यटन इकाई को भी, कमरों की संख्या की परवाह किए बिना, इस नीति के अन्तर्गत छूट और प्रोत्साहन प्राप्त करने के योग्य माना जायेगा।

► पर्यटन से सम्बन्धित अन्य गतिविधियाँ जैसा कि समय समय पर केन्द्रीय/राज्य सरकार के पर्यटन विभाग द्वारा अधिसूचित किया जाता है।

सीएम ने सेमिनार में पर्यटन को बढ़ावा देने की बताई थी योजना

पर्यटन विकास पर आयोजित एक सेमिनार में सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि, प्राचीनकाल से ही भारतवर्ष में तीथार्टन पर्यटन का अभिन्न अंग रहा है। अयोध्या, काशी, मथुरा, विंध्याचल, चित्रकूट, नैमिषारण्य इत्यादि धार्मिक स्थलों पर लोग तीथार्टन के लिए निरन्तर आते-जाते रहते हैं। धर्म में आस्था रखने वाले तमाम लोग चित्रकूट की यात्रा करते हैं। स्पष्ट है कि धार्मिक पर्यटन इस क्षेत्र की एक महत्वपूर्ण गतिविधि है, जिसे और प्रोत्साहन दिए जाने की आवश्यकता है। योगी ने कहा कि, उड़ान योजना के तहत जेवर में स्थापित किए जा रहे हवाई अडडे से पर्यटकों को बहुत सुविधा होगी और पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।

इसके अलावा कुशीनगर हवाई अडडे को भी अपग्रेड किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पर्यटकों की सुविधा के लिए प्रदेश के प्रमुख शहरों को हवाई सेवाओं से जोड़ने की दिशा में भी कार्य चल रहा है। इसके अलावा हेलीकॉप्टर सेवा शुरू करने के भी प्रयास हो रहे हैं। केन्द्र सरकार तथा राज्य सरकार द्वारा यह प्रयास किया जा रहा है कि वर्ष 2019 में प्रयाग में होने वाले अर्दधकुम्भ से पहले हुगली से प्रयाग तक पानी के जहाज से आवागमन की सुविधा उपलब्ध कराई जाए।

पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए भूमि बैंक होगा निर्माण

पर्यटन को मजबूत करने के उद्देश्य से भूमि बैंक को मजबूत करने के लिये समुचित स्थान का पहचान करते हुए भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया नियमित रूप से चलती रहेगी। विभिन्न सरकारी विभागों मेंउपलब्ध भूमि जो उपयोग में नहीं है का भी इस उद्देश्य के लिये उपयोग किया जायेगा। पर्यटन विभाग विकासकर्ता के साथ एक एस.पी.वी. गठित करेगी, जिसमें अपने उपलब्ध भूमि बैंक के रूप में शेयर (इक्विटी) प्रदान करेगी। इस प्रकार के भूमि बैंक के निर्माण के लिये मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक संचालन समिति गठित की जायेगी।

पर्यटन सलाहकार बोर्ड का होगा निर्माण

उत्तर प्रदेश को सर्वाधिक पसंदीदा पर्यटन स्थल बनाने के लिये आवश्यक कदम उठाने के लिये सहायतार्थ सरकार ने मुख्य विभागों के शीर्ष अधिकारियों और निजी क्षेत्र से प्रमुख नामों को सदस्य के रूप में रखते हुए "पर्यटन सलाहकार बोर्ड" के गठन को प्रस्तावित किया है। राज्य में पर्यटन के विकास में जुटी सभी समितियाँ भी सलाहकार बोर्ड का हिस्सा होनी चाहिए। बोर्ड एक ‘प्रबुध्द मंडल’ के रूप में कार्य करेगी और सरकार को राज्य में पर्यटन विकास से सम्बन्धित नीति के सन्दर्भ में सलाह देगी। बोर्ड राज्य को विश्व-स्तरीय सुविधाओं से सम्पन्न एक मनोरंजक पर्यटन केंद्र बनाने के लिये अभिनव और सीमित दायरे से बाहर के विचारों पर विचारविमर्श कर सकती है।

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इन योजनाओं के तहत होगा पर्यटन का विकास

उत्तर प्रदेश में पर्यटन को बढ़ावा देने के मकसद से विभाग 3 वर्षों में ₹100 करोड़ का विनिवेश करेगी। विनिवेश से उपार्जित राजस्व से, विभाग आगे भी भूमि पार्सल खरीदेगी। कम से कम 31 सम्पत्तियों को ई-निविदा प्रक्रिया के माध्यम से विनिवेश के लिए रखा जायेगा। मुख्य सचिव राजीव कुमार ने कहा कि, पर्यटन विभाग शहरों के एकीकृत पर्यटन विकास के लिए प्रसिद्ध योजना एवं वास्तुकला महाविद्यालय जैसे कि, लखनऊ कॉलेज ऑफ़ आर्किटेक्ट, सीपीईटी विश्वविद्यालय, योजना एवं वास्तुकला विद्यालय को आमंत्रित कर योजना बनायेगी। पर्यटन विभाग उत्तर प्रदेश में पौराणिक रूप से महत्वपूर्ण साइटों की व्यवहार्यता का अध्ययन करेगी और सके पहचान चिन्ह के रूप में स्थायी संरचना बनायेगी।

महत्वपूर्ण पर्यटन स्थलों पर निःशुल्क वाई-फ़ाई उपलब्ध होगी। पर्यटन विभाग प्रत्येक वर्ष वाई-फ़ाई सक्षम किये जाने के लिये 10 पर्यटन स्थलों की पहचान करेगा। प्रत्येक स्थल पर 6-8 प्रवेश बिन्दुओं के साथ 20 से 40 (एमबीपीएस) की गति सीमा का ऑप्टिकल फ़ाइबर केबल लाइन प्रदान किया जायेगा। साथ ही तेज स्पीड का इंटरनेट का उपयोग प्रति उपयोगकर्ता एक निश्चित अवधि के लिये सीमित किया जायेगा। पर्यटन विभाग कृषि बाजार के स्थानीय खिलाड़ियों और पर्यटन संचालक की सहायता से कृषि पर्यटन को प्रोत्साहित करने के लिए विशेष टूर पैकेज विकसित करेगी। ग्रामीण एवं कृषि इकाईयों को विशेष प्रोत्साहन दिये जायेंगे, जिसपर पर्यटन विभाग द्वारा निर्णय लिया जायेगा। पर्यटन विभाग कृषि टूर संचालक की जरूरतों को पूरा करने के लिये एक सरकारी अंतराफ़लक का विन्यास करेगी।

वहीं पर्यटक गाइड को स्मारक और पर्यटन स्थल के सही ज्ञान के साथ समुचित व्यवहारिक कौशल प्रशिक्षण प्रदान किया जायेगा। जहाँ जरूरत हो उन पर्यटन स्थलों पर बहु भाषी ऑडियो गाइड उपकरण प्रदान करेगी। कुशीनगर, कपिलवस्तु, सारनाथ, श्रावस्ती, सारनाथ, आगरा, फ़तेहपुर सिकरी, बरसाना, गोकुल, नंदगाँव, वृंदावन, गोवर्धन, अयोध्या, काशी, नैमिषरण्य, चित्रकूट, विन्ध्याचल, देवीपठान, तुलसीपुर और राज्य में अन्य विकासाधीन क्षमतायुक्त पर्यटन स्थलों के पुनर्नवीकरण परियोजना का उत्तरदायित्व लेने के लिये पर्यटन विभाग वास्तुकारों और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के साथ कार्य करेगी।

बैठक में शामिल सदस्यों ने कई बिंदुओं पर दिए सुझाव

  1. लखनऊ के सीडीआरआई भवन को भी व्यावसायिक विरासत सम्पत्ति के रूप में परिवर्तित किया जा सकता है।
  2. 12.5 एकड़ से अधिक भूमि चाहने वाली पर्यटन इकाइयों की भी पहचान करनी चाहिए।
  3. एक उत्कृष्ट विपणन अभियान का विकास किया जाना चाहिए।
  4. पर्यटन स्थलों को जोड़ने वाले अच्छे मार्ग सुनिश्चित करने पर दिया गया सुझाव।
  5. प्रत्येक शहर के लिए पर्यटकों के लिये स्मृति चिन्ह के रूप में देना चाहिए, जिससे उन्हें वहां दोबारा आने के लिए प्रोत्साहना मिले।
  6. मनोरंजक परियोजना के लिए नवीन मार्ग जैसे कि डिजनी लैण्ड की तरह एकीकृत सैरगाह आदि भी देखे जाने चाहिए, जिससे पर्यटकों को सर्वोत्कृष्ट अनुभव प्रदान किया जा सके।
  7. पीपीपी विधि के माध्यम से ग्रामीण पर्यटन को प्रोत्साहित करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
  8. राज्य के पश्चिमी भाग में स्थित पर्यटन स्थलों को विकसित किया जा सकता है ताकि दिल्ली से आनेवाले पर्यटक राज्य में सप्ताहान्त सैर के लिये आने के कारण पा सकें। दिल्ली से पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए नदी के समीप स्वच्छ एवं हरे सुखद ठहराव की परिकल्पना या प्रकृति के नजदीक पर्यटन स्थल को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
  9. होटल में राजस्व व्यय प्रोत्साहित करने के क्रम में, रेस्टोरेंट एवं होटल के लिये ऑनलाइन नि:शुल्क बार लाइसेंस की व्यवस्था पर विचार किया जाना पर दिया सुझाव।
  10. विभाग के वेबसाइट को अद्यतन और उन्नत किए जाने की जरूरत है, क्योंकि ये राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय पर्यटकों के ध्यान को आकृष्ट करते हैं। गुणवत्तापूर्ण रख-रखाव सुनिश्चित करने के लिए सामयिक लेखा परीक्षा किया जाना चाहिए।

               

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