UP: सड़कों को गड्ढा मुक्त करने की डेडलाइन खत्म, 63 फीसदी सड़कें चमकाने का दावा 

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UP: सड़कों को गड्ढा मुक्त करने की डेडलाइन खत्म,  63 फीसदी सड़कें चमकाने का दावा गड्ढायुक् करने का वादा किया था।                                      फोटो- विनय गुप्ता

प्रदेश में सिर्फ 63% सड़कों के भरे गए गड्ढे

लखनऊ। प्रदेश में सत्ता में आने के बाद योगी सरकार ने 15 जून 2017 तक राज्य की सड़कों को गड्ढामुक्त करने का वादा किया था। लेकिन गुरुवार को दावा किया कि डेडलाइन बीतने तक 63 प्रतिशत सड़कें ही गड्ढा मुक्त हो पाईं। यानि कुल 85 हजार किलोमीटर सड़कों में 75 हजार किमी (63 फीसदी) सड़कें ही गड्ढामुक्त हो पाईं। यह बात खुद लोक निर्माण विभाग के मंत्री और उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा।

सरकार के इन दावों की हकीकत जानने के लिए गाँव कनेक्शन ने 10 जिलों में ग्रामीण क्षेत्रों में पड़ताल की। बाराबंकी जिला मुख्यालय को जोड़ने वाले औसानेश्वर मार्ग की हालत हैदरगढ़ मुख्यालय के पास बेहद खराब है। जिले के रनापुर के निवासी शुभम श्रीवास्तव (19 वर्ष) कहते हैं, “योगी जी ने जब घोषणा की कि 15 जून तक सभी सड़कों को दुरुस्त कर दिया जाएगा, तो एक उम्मीद बंधी थी, लेकिन आज भी यहां की सड़कें खराब हैं। आने-जाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।”

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वहीं, बहराइच मुख्यालय से दो किलोमीटर हुजूरपुर जाने वाला मार्ग जर्जर है, जबकि रानीपुर, सुखनदिया, चाकूजोत, भगगड़वा, हुजूरपुर आदि गाँवों के ग्रामीणों को जिला मुख्यालय इसी सड़क से होकर जाना पड़ता है।मरघट्टा निवासी और स्थानीय सभासद राजू (30 वर्ष) बताते हैं, ‘‘यह वार्ड अभी जल्द ही नगर में जोड़ा गया है। इसके लिए बजट नहीं आया है। इसलिए यह मुख्य सड़क जर्जर बनी हुई है।”

गाजियाबाद शहर की कई सड़कों में अभी भी गड्ढे हैं। नगर आयुक्त सीपी सिंह का कहना है, “निगम द्वारा कुल 290 गड्ढे चिह्नित किए गए थे। पहले सर्वे में जो गड्ढे पाए गए थे, उन्हें भरने के साथ ही रिपोर्ट भी शासन को भेजी जा चुकी है, इसके अलावा जो बचे हैं, उन पर तेजी से काम चल रहा है।” कौशांबी के अमित त्यागी (45 वर्ष) का कहना है, “जब शहर का यह हाल है तो गांव की सड़को का भगवान ही मालिक है।”

इलाहाबाद के मेजा ब्लाक में शम्भूचक से प्राणिपुर, अनन्तपुर से पानी टंकी जाने वाला मार्ग तो पूरी तरह से गड्ढों से पटा पड़ा है। शम्भू चक निवासी रिंकू (30) कहते हैं, “सरकार की तरफ से जब यह आदेश जारी हुआ तो बड़ी खुशी हुई कि सड़कें गड्ढा मुक्त हो जाएंगी, लेकिन ऐसा नहीं हो सका।”

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सड़कों को गड्ढामुक्त करने का जारी रहेगा अभियान

उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा सरकार ने तीन महीने के भीतर रिकॉर्ड 75 हजार किलोमीटर सड़कों को गड्ढामुक्त कर दिया है। इनमें से 85 हजार किलोमीटर सड़क गढ्ढों वाली थीं। इस तरह राज्य की 63 फीसदी सड़कें गड्ढा मुक्त हो गई हैं। इसके साथ ही सड़कों को गड्ढामुक्त करने का अभियान जारी रहेगा।

पूर्वांचल की सड़कों के सुधार में रोड़ा बनी बारिश

गोरखपुर। सड़कों के गड्ढा मुक्त होने में बारिश रोड़ा बन रही है। पूर्वांचल में रुक-रुक कर हो रही बारिश से लोक निर्माण विभाग को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। लोक निर्माण विभाग द्वारा गोरखपुर व बस्ती मंडल के सातों जिले की 75 फीसदी सड़कों को गड्ढा मुक्त करने का दावा किया जा रहा है।

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वहीं काली गिट्टी के अभाव में इस कार्य की रफ्तार धीमी पड़ गई थी। इस क्षेत्र पर सीएम की खास नजर होने के नाते अफसर भी काम को परवान चढ़ाने में जुटे हुए हैं, लेकिन बारिश के आगे किसी की नहीं चल रही हैं। पीडब्ल्यूडी को बारिश खुलने का इंतजार है। क्योंकि इसके चलते विभाग को काफी नुकसान भी उठाना पड़ रहा है। गोरखपुर व बस्ती मंडल में कुल सात जिले हैं, जिसमें गोरखपुर में देवरिया, कुशीनगर, महराजगंज वहीं बस्ती में संतकबीरनगर व सिद्धार्थनगर शामिल हैं। इन जिलों की 25 फीसदी सडक़ें गड्ढा मुक्त नहीं हो पाई हैं। इसके लिए विभाग को बारिश के खुलने का इंतजार है।

सड़कों के गड्ढा मुक्त होने में बारिश रोड़ा बन रही है।

लोक निर्माण विभाग के मुख्य अभियंता एसपी सक्सेना ने बताया कि शासन का आदेश आते ही गोरखपुर व बस्ती मंडल की सभी सड़कों को गड्ढा मुक्त करने के लिए तेज गति से काम शुरू किया गया, लेकिन बारिश के चलते काम की रफ्तार धीमी हो गई, इस दौरान विभाग को काफी नुकसान भी हो रहा है। हालांकि दोनों मंडल के सातों जिलों की औसतन 75 फीसदी सड़कें गड्ढा मुक्त हो चुकी हैं। महज 25 फीसदी काम शेष रह गया है। इसे पूरा करने के लिए बारिश के खुलने का इंतजार है।

गाँवों में अभी भी खतरे को दावत दे रहे गड्ढे

कन्नौज। मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी ने 15 जून तक सूबे की सभी सड़कें गड्ढा मुक्त करने का ऐलान किया था, लेकिन हकीकत में यह समय से पूरा नहीं हो पाया। ग्रामीण इलाकों में अब भी कई ऐसे मार्ग हैं, जिन पर काम होना अभी बाकी है।

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जिला मुख्यालय कन्नौज से 26 किमी दूर तिर्वा तहसील क्षेत्र के पकरियापुर गाँव निवासी सोनपाल (60 वर्ष) कहते हैं, ‘‘मुख्यमंत्री से उम्मीद थी कि 15 जून तक सड़कें गड्ढा मुक्त हो जाएंगी। मगर हमारे गाँव की सड़क आज भी वैसी ही पड़ी है। आने-जाने में बहुत समस्या है।’’ कन्नौज से 25 किमी दूर सिरसा गाँव निवासी (40 वर्ष) संजीव कुमार बताते हैं, ‘‘शहरों में सड़कें भले ही चमाचम हो गई हों, गाँव की सड़कों की हालत आज भी खराब है। हम लोगों को आने-जाने में दिक्कत होती थी। इसलिए मिट्टी डालकर गाँव वालों ने सड़क बराबर की है। अभी तक गाँव में कोई देखने नहीं आया।’’

खराब सड़क

निर्माण खंड के अधिशाषी अभियंता संजय श्रीवास्तव ने बताया कि 1008 किमी कन्नौज में सड़कें सही होनी थीं। 14 जून तक 927 किमी मार्ग गड्ढा मुक्त कर दिए गए। काम के लिए 29 करोड़ का बजट चाहिए। जब कि इसका 30 फीसदी बजट ही मिला है।

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जर्जर सड़कों पर रोज हो रहे हादसे

जौनपुर। मुख्यमंत्री के आदेश को उन्हीं के अधिकारियों ने तवज्जो नहीं दी, जिसके चलते सड़कों की हालत जस की तस बनी हुई है। अभी भी लोगों को उम्मीद है कि शायद इन गड्ढे युक्त सड़कों से उनको मुक्ति मिले।

जिले में हर ब्लॉक में मुख्य मार्ग से जुड़ने वाली सड़क हो या फिर मुख्य मार्ग हर जगह हजारों गड्ढे हैं। जो लोगों के लिए मुसीबत का सबब बन रहे हैं। इससे सिर्फ न दुर्घटनाएं हो रही हैं बल्कि यह सड़क लोगों को बीमार भी बना रही है। इतना ही नहीं एक घंटे का सफर इन सड़कों पर तीन से चार घंटे में तब्दील होता जा रहा है। जौनपुर-खुटहन मार्ग 35 किलोमीटर का ही है पर जौनपुर शहर से खुटहन जाने में करीब तीन से चार घंटे लग जाते हैं। समझलीजिए इतना वक्त तो ट्रेन लखनऊ पहुंचाने के लिए लेती है।

एक्सईएन पीडब्ल्यूडी डीसी गुप्ता ने बताया कि प्रशासन के निर्देश के अनुसार कई मार्ग पर पैचिंग कार्य किया गया है, जबकि कई जगह इसका काम अभी जारी है। जल्द ही जिले की रोड गड्ढा मुक्त हो जाएगी।

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गाँव तो दूर शहरों में भी नहीं भर पाए गड्ढे

इलाहाबाद। सरकार के निर्देश पर अमल करते हुए लोक निर्माण विभाग और ग्रामीण अभियंत्रण की तरफ से कुछ ही सड़कों को गड्ढ़ा मुक्त किया जा सका है। इसकी वजह कहीं बजट की कमी तो कहीं संसाधन की कमी है। गाँव तो गाँव शहर के अंदरूनी इलाकों में भी सड़कों को गड्ढ़ा मुक्त नहीं किया जा सका है।

शम्भू चक निवासी रिंकू (30 वर्ष) का कहना है, “सरकार की तरफ से जब यह आदेश जारी हुआ तो बड़ी खुशी हुई कि सड़कें गड्ढा मुक्त हो जाएंगी, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। वहीं अंकित तिवारी का कहना है, “चाहे जिस वजह से सड़कों को गड्ढ़ा मुक्त नहीं किया जा सका, लेकिन इस वजह से लोगों में निराशा का माहौल व्याप्त है।”

तय समय सीमा में नहीं भरे जा सके गड्ढे

गाजियाबाद। शहर की लगभग हर सड़क पर दो-चार नहीं बल्कि दर्जनों गड्ढे मिल ही जाते हैं। आला अधिकारी अगले 24 घंटे तक रात-दिन इन गड्ढों को भरने का दावा कर रहे हैं, लेकिन जो काम अभी तक नहीं किया जा सका वो एक रात में कैसे पूरा कर लिया जाएगा। इसकी संभावना बहुत कम ही नजर आ रही है।

टूटी हुई सड़क

निर्माण विभाग के चीफ इंजीनियर आरके मित्तल का कहना है, “शासन की ओर से मांगी गई रिपोर्ट में 78 किलोमीटर की सड़कों को गड्ढा मुक्त करने का प्रस्ताव भेजा गया था। उसके बाद एक और सर्वे कराया गया, जिसमें और 54 किलोमीटर सड़कों के भी गड्ढे भरने का प्रस्ताव रखा गया।” शासन को भेजी गई रिपोर्ट के मुताबिक, 78 किमी सड़क के गड्ढों को भरा जा चुका है।

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नगर निगम ने पहले चरण में 111 व दूसरे चरण में 179 गड्ढों को चिह्नित किया है। पहले चरण के सभी गड्ढे भरे जा चुके हैं, जबकि दावा किया जा रहा है कि 179 में से भी 100 से ज्यादा गड्ढे भरे जा चुके हैं। निगम अधिकारियों का कहना है कि अगले 24 घंटे में बचे हुई सभी गड्ढे भर दिए जाएंगे। नगर आयुक्त सीपी सिंह का कहना है, “निगम द्वारा कुल 290 गड्ढे चिन्हित किए गए थे।

पहले सर्वे में जो गड्ढे पाए गए थे, उन्हें भरने के साथ ही रिपोर्ट भी शासन को भेजी जा चुकी है, इसके अलावा जो बचे हैं उन पर तेजी से काम चल रहा है और 15 जून की रात तक सभी गड्ढे भर दिए जाएंगे। उसके बाद भी यदि कोई गड्ढा रह जाता है तो उसे भी भरा जाएगा।” स्थानी निवासी अमित त्यागी (45 वर्ष) का कहना है, “जब शहर का ये हाल है तो गाँव की सड़कों का भगवान ही मालिक है।” वहीं दूसरे स्थानीय निवासी वसुंधरा कामता प्रसाद (62 वर्ष)का कहना है, “यह सरकार सड़क और कानून-व्यवस्था पर पूरी तरह से फेल है। मुख्यमंत्री की कथनी करनी में अंतर साफ दिखाई दे रहा है।”

यहां की सड़कें अब भी बदहाल

उन्नाव। बिहार-मौरावां मार्ग का बरूआ तक का 11 किमी भाग प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना से करीब डेढ़ वर्ष पूर्व बनकर तैयार हुआ था, लेकिन घटिया निर्माण सामग्री के उपयोग के चलते बनने के साथ ही सड़क उखड़ गई थी।

घटिया निर्माण सामग्री के उपयोग के चलते बनने के साथ ही सड़क उखड़ गई थी।

स्थानीय लोगों द्वारा शिकायत किए जाने पर अनुरक्षण अवधि में होने के बावजूद भी आज तक सड़क की मरम्मत नहीं हो सकी। स्थानीय निवासी मुन्ना सिंह, बजरंग बहादुर, धर्मेंद्र सिंह, राकेश सिंह, रणवीर सिंह, पम्मू बाजपेई बताते हैं कि मुख्यमंत्री आदेश के बाद सड़कों के मरम्मत के आसार लग रहे थे, लेकिन प्रशासन इन सड़कों की सुध नहीं ले रहा है।

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मियाद पूरी होने के बाद भी नहीं बनी सड़क

कानपुर नगर। मियाद पूरी होने के बाद भी पूरे प्रदेश की सड़कें गड्ढा मुक्त नहीं हो पाई हैं। बाकी बची सड़कों को गड्ढा मुक्त होने में समय लगेगा। कानपुर नगर के भीतरगांव ब्लॉक के गाँव पासी खेड़ा के निवासी अनुभव मिश्रा (51 वर्ष) बताते हैं, “केवल मुख्यमंत्री के कह देने से ही कुछ नहीं होता अधिकारियों को वास्तविकता पर जमीन पर उतर कर देखना होगा कि सड़कों की असली स्थिति क्या है।

मियाद पूरी होने के बाद भी पूरे प्रदेश की सड़कें गड्ढा मुक्त नहीं हो पाई हैं।

मुख्यमंत्री ने तो वादा कर लिया कि हम 15 जून तक सड़कों को गड्ढा मुक्त कर देंगे, लेकिन शायद उन्हें यह भी नहीं पता है कि गाँव की सड़कों की स्थिति क्या है। कहीं-कहीं तो खड़ंजा तक नहीं बचा है, देखिए अब बरसात बाद का इंतजार करते हैं। हो सकता है कि तब सड़कें गड्ढा मुक्त हो जाएं।” यही हाल कानपुर नगर के पतारा ब्लॉक से भीतरगांव ब्लॉक को जोड़ने वाली धर्मपुर बंबा से होकर बेहटा बुजुर्ग की ओर जाने वाली नहर पट्टी किनारे वाली सड़क का भी है।

बेटा बुजुर्ग के निवासी रामकिशन (55 वर्ष) कहते हैं, “हम वर्षों से यह देखते आ रहे हैं। पता नहीं कितनी बार वादे किए गए, लेकिन कभी पूरे नहीं हुए। गाँव की सड़कें तो हमेशा से ही बदहाल रही हैं और रहेंगी। आप इस सड़क से चलकर आए होंगे। अगर रात के अंधेरे में कोई सड़क से चलकर आए वह नहर में ही गिर जाएगा क्योंकि कहीं-कहीं तो आधी से ज्यादा सड़क कट गई है, फिर भी अगर सड़कों को गड्ढा मुक्त करना है तो बड़े अधिकारियों को गाँव-गाँव जाकर देखना होगा क्योंकि ज्यादातर तो काम कागजों पर ही होता है।”

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ग्रामीण इलाकों में नहीं पूरा हुआ मुख्यमंत्री का वादा

बाराबंकी। बाराबंकी जिला मुख्यालय को सीधे हैदरगढ़ से जोड़ने वाले ओसानेशवर मार्ग की हालत हैदरगढ़ मुख्यालय के पास बेहद खराब है। योगी सरकार ने अधिकारियों को निर्देश दिए थे कि 15 जून तक सभी सड़कों को गड्ढा मुक्त किया जाए, लेकिन ग्रामीण इलाकों में निर्देश बेअसर दिखाई दे रहे हैं।

खराब सड़क

वही ओसानेशवर मार्ग से एचएच 56 को जोड़ने वाली सड़क की हालत भी बेहद खराब है। वहीं ग्राम रनापुर के निवासी शुभम श्रीवास्तव (19 वर्ष)का कहना है, “हमारे यहां की सड़क की हालत बेहद खराब है।”

जान को जोखिम में डालकर मार्ग पर वाहन चलाते हैं ग्रामीण

बहराइच। मुख्यालय से दो किलोमीटर हुजूरपुर जाने वाला मार्ग से प्रतिदिन हजारों ग्रामीण निकलते हैं। मुख्य मार्ग होने के बावजूद इसकी हालत खराब है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 15 जून तक प्रदेश की सभी सड़कों को गड्ढा मुक्त कराने का निर्देश दिया था। इसके बावजूद इस सड़क की स्थिति नहीं सुधरी। मरघट्टा सभासद राजू (30 वर्ष) ने बताया, ‘‘यह वार्ड जल्द ही नगर से जोड़ा गया, अभी इसका बजट न आने से मुख्य मार्ग की हालत खराब है।”

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अलीगढ़ में मुख्यमंत्री का आदेश बेअसर

अलीगढ़। जिला मुख्यालय को जोड़ने वाली सड़कों को गड्ढा मुक्त करने में पीडब्ल्यूडी व अन्य विभाग ने कोई रुचि नहीं दिखाई। जनपद में दर्जनों सड़कें ऐसी हैं जहां पता ही नहीं चलता यहां सड़क में गड्ढें हैं या गड्ढों में सड़क। जनता इन रास्तों से निकलने में बेहद ही परेशान है।

उत्तर प्रदेश के लौहपुरुष कहे जाने वाले पूर्व मुख्यमंत्री स्व. चन्द्रभान गुप्ता का पैतृक गाँव बिजौली है। भाजपा की सरकार बनने के बाद गाँव के लोगों को बड़ी उम्मीदें थीं कि अब योगी के आने से गाँव की सड़कों का विकास होगा, लेकिन लोगों के अरमानों पर पानी फिर गया। समय पूरा बीत जाने के बाद भी काम प्रारम्भ भी नहीं हो सका।

रामघाट रोड पर भी हरदुआगंज से तालानगरी होते हुए सड़कें बेहद खस्ता हैं। यहां योगी के दौरे के समय कराई गई सड़कों की मरम्मत दो दिनों में ही उखड़ने लगीं। मुख्यमंत्री के जाते ही मरम्मत का कार्य अधूरा छोड़ दिया गया। मुख्यमंत्री के आदेश के बाद एक बार फिर लोगों को उम्मीद जगी थी कि शायद अब यहां की सड़कों की स्थिति में सुधार हो पर जनता की उम्मीद पर पानी फेर दिया अफसरों ने।

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एटा की हर सड़क है अब भी गड्ढों से भरी

एटा। योगी सरकार के 15 जून तक गड्ढामुक्त सड़कों वाले वायदे पर जनपद में सिर्फ लीपापोती की जा रही है। जनपद की आठ ब्लॉकों में सैकड़ों सड़कें गड्ढायुक्त हैं, गाँव को जोड़ने वाली सड़के तो छोड़िए शहर की सड़कों का भी हाल बुरा है।

जनपद में 409 किलोमीटर सड़कों को गड्ढामुक्त करने का आदेश आया। प्रशासन का दावा है कि 309 किलोमीटर की सड़कों पर काम कारकर उन्हें गड्ढामुक्त कर दिया गया है, जबकि जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है। बात अगर एटा शहर की करी जाए तो यहा की मुख्य ठण्डी सड़क, रेलवे रोड, मेहता पार्क मार्ग, कटरा मौहल्ला मार्ग, कैलाश मन्दिर मार्ग के गड्ढे आपको परेशान करेंगे।

गाँव को जोड़ने वाली सड़के तो छोड़िए शहर की सड़कों का भी हाल बुरा है।

यही नहीं पटियाली गेट से अलीगंज जाने वाला मार्ग हो या फिर एटा-गंजडुंडवारा मार्ग यह सब छतिग्रस्त हुए पड़े हैं। इन मार्गों पर चलने वाले वाहन गहरे-गहरे गड्ढों से हिचकोले लेकर गुजरते हैं। यही नहीं ब्लॉक अलीगंज के अमरौली-रतनपुर मार्ग, बुराहार मार्ग सहित लगभग एक दर्जन से अधिक गाँवों के सम्पर्क मार्ग उखड़े हुए हैं। ब्लॉक जलेसर के एटा से निधौलीकलां जाने वाला मार्ग उखड़ा हुआ है। वहीं नूहखेड़ा मार्ग सहित दर्जनों गाँव के सम्पर्क मार्गों पर गड्ढे ही गड्ढे हैं।

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ब्लॉक जैथरा के गौसनपुर मार्ग, मगेसर मार्ग सहित कई गाँव उखड़े हुए मार्गों से दिक्कतें झेल रहे हैं। निधौलीकलां ब्लॉक के ओरनी, कंचनगढ़ी से बहटा मार्ग, मुहीउद्दीनपुर से बहटा मार्ग, पुठिया से गदुआ मार्ग, नगरिया मोड़ से निधौलीकलां मार्ग जर्जर और गढ्डों से भरे हुए पड़े हैं। मारहरा ब्लॉक की बात की जाए तो यहा के सरांय अहमद खां से मारहरा मार्ग, पिवारी मार्ग, नगला कोठी-मारहरा मार्ग सहित दर्जनों मार्ग गद्धायुक्त हैं।

लोक निर्माण विभाग के एक्सईएन पीपी सिंह ने बताया कि जनपद की लगभग 85 फीसदी सड़कों को गड्डामुक्त किया जा चुका है, जिन मार्गों का बजट नहीं है उनपर काम नहीं किया गया है। बजट आएगा तो यह मार्ग भी दुरुस्त किए जाएंगे।

रिपोर्टिंग टीम

लखनऊ-अश्वनी द्विवेदी, इलाहाबाद-ओपी सिंह मौर्य, कन्नौज-अजय मिश्र, उन्नाव-श्रीवत्स अवस्थी, कानपुर-राजीव शुक्ला, बहराइच-रोहित श्रीवास्तव, गाजियाबाद-पंकज सिंह, बाराबंकी-आकाश सिंह, एटा-मोहम्मद आमिल, जौनपुर-खादिम अब्बास, अलीगढ़ से ज्ञानेश शर्मा।

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