लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार ने दावा किया है कि चालू ख़रीद सीज़न में सरकार ने 10 लाख 65 हज़ार क्विंटल मक्का की फ़सल खरीदी है। सरकारी के आंकड़ों के मुताबिक इस फ़सल के ऐवज कुल 24,859 किसानों के खातों में सीधे 196.86 करोड़ रुपए का भुगतान किया गया है। गांव कनेक्शन ने सरकारी दावे की पड़ताल के लिए कुछ ऐसे किसानों से बात की जो मक्का उपजाते हैं।
कन्नौज जिले में जलालाबाद गांव के किसान अजय दुबे (42) के खेत में इस बार करीब 18 क्विंटल मक्का पैदा हुआ। अजय ने अपनी मक्का की फ़सल को 900 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से बाजार में बेचा। अजय दुबे गांव कनेक्शन को बताते हैं, “तब सरकारी ख़रीद नहीं हो रही थी, कोई फायदा नहीं हुआ, सिर्फ मज़दूरी निकली। अगर सरकार पहले ख़रीद शुरु करती तो हम जैसे किसानों को भी फायदा होता।” कन्नौज, यूपी के बड़े मक्का उत्पादक जिलों में एक है। आलू के बाद मक्का ही यहां की दूसरी प्रमुख फ़सल है।
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अजय दुबे जैसे मक्का उपजाने वाले तमाम किसानों की यही दास्तान है। सरकार ने देरी से ख़रीद शुरु की जिससे फ़सल ख़राब हो जाने के डर से बहुत से किसानों ने खुले बाज़ार में अपनी मक्का की फ़सल औेने-पौने दामों पर बेच दी। हालांकि सरकार दावा कर रही है कि राज्य में इस बार मक्का की फ़सल की रिकॉर्ड ख़रीद की गई है। लेकिन सरकारी आंकड़े ही बताते हैं कि उत्तर प्रदेश में मक्का की कुल ख़रीद अनुमानित उत्पादन की सिर्फ़ 5% ही हुई है। राज्य के कृषि विभाग के मुताबिक खरीफ विपणन सीज़न 2020-21 में प्रदेश में मक्का का अनुमानित उत्पादन लक्ष्य 20.36 लाख मीट्रिक टन था। ख़रीद के जो आंकड़े सरकार ने जारी किए उसके मुताबिक राज्य में कुल एक लाख मीट्रिक टन (5%) मक्का की ख़रीद की गई है।
कन्नौज जिले के कन्नौज ब्लॉक के रमजनापुर के किसान बलवीर पाल (43) ने भी अपना मक्का खुले बाजार में बेचा है। उन्होंने बताया, “करीब 50 क्विंटल मक्का हुआ था, पैसों की जरुरत थी और सरकारी खरीद उस वक्त शुरु नहीं हुई तो बाजार में 1,100 रुपए (प्रति क्विंटल) में बेच दिया।”
कन्नौज के जिला कृषि अधिकारी राम मिलन सिंह परिहार बताते हैं, “गर्मियों के सीज़न (जायद) में करीब 50 से 55 हजार हेक्टेयर में मक्का की खेती होती है। जबकि बरसात में मक्का का रकबा करीब 42 हजार हेक्टेयर होता है।
खाद्य एवं रसद विभाग के आंकड़ों के मुताबिक चालू ख़रीद सीज़न में कन्नौज से 0.79 लाख क्विंटल मक्का की ख़रीद की गई है। जिले के किसान अजय दुबे ने बताया कि सरकारी ख़रीद में उनके यहां ज्यादातर आढ़तियों ने किसानों के कागज़ (खेत के कागज़ात) लेकर पंजीकरण कराया और मक्का बेच दिया।
गेहूं और धान के बाद मक्का तीसरी सबसे ज्यादा उगाई जाने वाली फसल है। देश में मक्का की खेती खरीफ, रबी और जायद तीनों सीज़न में की जाती है। लेकिन सबसे ज्यादा मक्का खरीफ यानि बरसात के दौरान उगाया जाता है। यूपी में भी तीनों सीजन में मक्के की खेती की जाती है। जुलाई 2020 में लखनऊ में मक्का का उत्पादन बढ़ाने के लिए आयोजित एक कार्यशाला में बताया गया था कि प्रदेश में मक्का की उत्पादकता 24 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है।
उत्तर प्रदेश में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर ख़रीद के लिए नोडल एजेंसी खाद्य एवं रसद विभाग है। जिन किसानों को अपनी उपज धान, गेहूं, मक्का आदि बेचनी होती है वो ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराते हैं, जिसके बाद निर्धारित सरकारी एजेसियां एमएमसपी पर उपज की ख़रीद करती हैं।
खाद्य एवं रसद विभाग के मुताबिक प्रदेश सरकार ने इस बार 10 लाख क्विंटल मक्का ख़रीदने का लक्ष्य निर्धारित किया था, जिसकी तुलना में 106 फीसदी ख़रीद की गई है। खाद्य आयुक्त मनीष चौहान ने बताया कि योगी आदित्यनाथ सरकार ने खरीफ विपणन वर्ष 2020-21 में मोटे अनाजों के अंतर्गत मक्का ख़रीदने का निर्णय लिया गया, जिसके तहत खाद्य एवं रसद विभाग ने मक्का उत्पादन की दृष्टि से महत्वपूर्ण 23 ज़िलों में 1,850 रुपए प्रति क्विंटल की दर से ख़रीद की गई। सबसे ज्यादा ख़रीद कानपुर संभाग में 3.03 लाख क्विंटल जबकि सबसे कम ख़रीद 0.74 क्विंटल बहराइच जिले में हुई है।
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यूपी के इन जिलों में हुई ख़रीद
अलीगढ़, एटा, कासगंज, फिरोज़ाबाद, मैनपुरी, बदायूँ, बहराइच, श्रावस्ती, गोण्डा, फर्रूखाबाद, इटावा, कन्नौज, कानपुर नगर, कानपुर देहात, उन्नाव, हरदोई, बुलंदशहर, हापुड़, ललितपुर, बलिया, देवरिया, जौनपुर एवं सोनभद्र में हुई ख़रीद
मक्का के रेट को लेकर परेशान रहे कई राज्यों के किसान
मक्का के रेट के लेकर मध्य प्रदेश, बिहार, पंजाब, हरियाणा, यूपी समेत कई राज्यों के किसान परेशान रहे हैं। सरकार ने मक्का का रेट 1,850 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया था लेकिन ज्यादातर राज्यों में खुले मार्केट में मक्का 900 से लेकर 1,200 रुपए क्विंटल पर बिका। मई-जून 2020 में मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ समेत कई राज्यों के किसानों ने ऑनलाइन मक्का सत्याग्रह भी किया था।
इनपुट- अजय मिश्रा, कन्नौज, कम्युनिटी जर्नलिस्ट