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कुशीनगर हादसा : मानव रहित क्रांसिग पर होती है 40 फीसदी मौतें, यूपी में सबसे ज्यादा ऐसी क्रॉसिंग 

Kushinagar

लखनऊ। स्कूल वैन का ड्राइवर कानों में हेडफोन लगाए हुए था, आठ सीटों वाली वैन में 20 बच्चे ठूसे गए थे। आती हुई ट्रेन पर ड्राइवर ने ध्यान नहीं दिया और एक भीषण हादसे में उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जिले में 13 बच्चों की तुंरत मौत हो गई। यह घटनाक्रम नई नहीं है और लगातार होती मौतों के बावजूद देश के अलग-अलग हिस्सों में बिना चौकीदार वाली रेलवे क्रांसिग पर लगातार होती है।

भारतीय रेलवे द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक 40 फीसदी मौतें मानव रहित क्रांसिग पर होती हैं। देश में कुल 4943 मानवरहित रेलवे क्रॉसिंग हैं और सबसे अधिक 904 मानवरहित रेलवे क्रॉसिंग उत्तर प्रदेश में हैं। गुजरात में 791,बिहार में 540, आंध्र प्रदेश में 272 और राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में भी एक मानवरहित रेलवे क्रॉसिंग है।

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पिछले दो साल पहले कुशीनगर जिले जैसा हादसा भदोही जिले में भी हुआ था। ड्राइवर छह गांवों के 18 बच्चों को वैन से स्कूल छोड़ने जा रहा था। ड्राइवर ने ईयरफोन लगाए था। इससे उसे ट्रेन और चौकीदार की आवाज सुनाई नहीं दी। उसने मानवरहित रेलवे क्रॉसिंग पार करने की कोशिश की। इसी दौरान वैन वाराणसी से इलाहाबाद जा रही पैसेंजर ट्रेन की चपेट में आ गई, जिसके बाद गुस्साई भीड़ ने वैन में आग लगा दी थी। इस हादसे में भी 13 बच्चों की मौत हो गई थी।

“नियम के अनुसार ड्राइवर को रूकना चाहिए था और देखना चाहिए था कि ट्रेन आ रही है कि नहीं। लेकिन जल्दबाजी के चक्कर में उसने ट्रैक क्रॉस करने की कोशिश की और हादसा हो गया। इसमें वैन ड्राइवर की गलती नजर आ रही है।” कुशीनगर हादसे पर सीपीआरओ पूर्वोत्तर रेलवे संजय यादव ने कहा।

रेल अधिनियम की धारा 161 के अनुसार “यदि किसी वाहन को चलाने वाला व्यक्ति किसी क्रासिंग को लापरवाही से पार करता हुआ पाया गया तो उसे दण्डस्वरूप एक वर्ष तक का कारावास हो सकता है।”

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ये हैं मानवरहित रेलवे क्रासिंग के नियम

मोटर वाहन अधिनियम की धारा 131 के अनुसार “प्रत्येक मोटर चालक किसी मानवरहित रेलवे क्रासिंग पर पहुंचने पर वाहन को रोकेगा और वहां उपस्थित कंडक्टवर, क्लीनर, सहायक या किसी अन्या व्यक्ति के द्वारा यह सुनिश्चित करेगा कि किसी भी दिशा से कोई गाड़ी या ट्राली तो नहीं आ रहीं है, और सुनिश्चित हो जाने के बाद ही वाहन को क्रासिंग से पार ले जाएगा तथा ऐसी स्थिति में जहां कंडक्टेर, क्लीकनर, सहायक या कोई अन्य व्यक्ति उपलब्ध नहीं हो वहां चालक स्वयं उतर कर यह सुनिश्चित करेगा कि किसी भी दिशा से कोई गाड़ी या ट्राली नहीं आ रही हो।”

देश भर में यूपी में पिछले कुछ सालों में सबसे ज्यादा ट्रेन हादसे हुए हैं। सैंकड़ों लोगों की जान गई। ज्यादातर हादसे ट्रेन के पटरी से उतरने और मानव रहित क्रॉसिंगों के कारण हुए है। वर्ष 2018-19 के बजट में सरकार ने मानव रहित क्रॉसिंग खत्‍म करने और ट्रेन तथा स्‍टेशनों पर आधुनिक सुविधाएं उपलब्‍ध कराने की घोषणा जरूर की है, लेकिन दुर्घटनाओं को कम करने के लिए कोई विशेष प्रावधान नहीं किए गए हैं।

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