बिहार, झारखंड सहित कई राज्यों में उत्तर प्रदेश के लाल आलू की धूम

Karan Pal SinghKaran Pal Singh   24 Nov 2017 7:05 PM GMT

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बिहार, झारखंड सहित कई राज्यों में उत्तर प्रदेश के लाल आलू की धूमलाल आलू

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में लगातार आलू किसानों को हो रहे नुकसान को देखते हुए कई जिलों में लाल आलू की कई किस्मों को लगाना शुरू कर दिया है। इन आलू की किस्मों की मांग उत्तर प्रदेश से ज्यादा दूसरे राज्यों में होती है और रेट भी दोगुना मिलता है। किसान अपने उत्पादन का 70 फीसदी से अधिक फसल दूसरे राज्य में भेजकर मुनाफा कमा रहे हैं। किसान लाल आलू का बीज हल्द्वानी, पंजाब के सिरसागंज से लाते हैं। बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, नागपुर में आलू की मांग सर्वाधिक होती है।

सलोन ब्लॉक के राधा नगर गाँव के रहने वाले आलू के बड़े किसान शेखर पटेल (56 वर्ष) बताते हैं, "कई वर्षों से हमारे जिले में कोई भी ठीक-ठाक उपज नहीं हो रही थी। हम किसानों को नुकसान उठाना पड़ रहा था। रायबरेली जिले के ज्यादातर किसानों ने पिछले कई वर्ष से जिले में लाल आलू लगाने की शुरुआत की जो सफल रही।"

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शेखर पटेल आगे बताते हैं, "मैं कई वर्ष से लाल आलू लगा रहा हूं और मुनाफा कमा रहा हूं। इस बार मैंने छह एकड़ में लाल आलू की बुवाई की है। लाल आलू पैदावार में भी अच्छी होती है। प्रति एकड़ लाल आलू की परती लगभग 200 बोरी (एक बोरी 50 किलो की) होती है।"

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शेखर बताते हैं, "उत्तर प्रदेश में प्रति कुंतल लाल आलू का रेट 250 से 300 रुपए होता है जिस वजह से हम अपना आलू प्रदेश में नहीं बेंचते है। हमारे यहां के आलू की मांग बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, नागपुर में ज्यादा होती है वहां प्रति कुंतल 500 से लेकर 550 रुपए होती है। इसलिए हमारे जिले का 90 फीसदी आलू दूसरे राज्यों में जाता है। जिससे किसानों को मुनाफा होता है।

रायबरेली के सलोन ब्लॉक के रहने वाले आलू किसान जगजीवन गुप्ता (54 वर्ष) बताते हैं, "मैंने इस बार अपने पांच बीघे खेत में लाल आलू लगाई थी। पैदावार अच्छी रही। लाल आलू की खासबात ये है कि इस आलू को ज्यादा दिनों तक रखा जा सकता है। आलू को बेचने में भी परेशानी नहीं होती है। आढ़त पर फोन करके लाल आलू का रेट ले लेता हूं। मार्च में आलू कोल्ड स्टोरेज में रखवा देता हूं फिर मई-जून में जिस भी प्रदेश से ज्यादा मांग आती है वहां भेज देता हूं।" जगजीवन आगे बताते हैं, "हमारे जिले का लाल आलू की मांग कई प्रदेशों में रहती है। लाल आलू की सर्वाधिक मांग बिहार में रहती है। ज्यादातर हम आलू किसानों का माल बिहार जाता है और रेट भी अच्छा मिलता है।"

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रायबरेली के कार्यवाहक जिला उद्यान अधिकारी राजश्री बताते हैं, "लाल आलू सलोन की सबसे अहम फसल है। पूरे रायबरेली में सलोन में ही यह आलू पैदा होता है। यहां के किसान सारा उत्पादन बिहार भेजते हैं। लाल आलू की अधिक पैदावार के लिए किसानों को उन्नत बीज उपलब्ध कराए जाते हैं।"

रायबरेली जिले में सात हजार हेक्टेयर लाल आलू का होता है उत्पादन

जिले में आलू का उत्पादन करीब 6 से 7 हजार हेक्टेयर है तथा इसमें लाल आलू का क्षेत्रफल 2.5 से 3 हजार हेक्टेयर का है। इस आलू की सलोन में ही उपज होती है। कम पानी तथा कम संसाधन के बीच इस आलू की पैदावार हो जाती है। इस कारण सलोन का किसान इसी आलू की खेती करना पसंद करता है। लाल आलू जिले में कम बिकता है। कारण सारा उत्पादन बिहार जाता है। किसान लोकल मंडी में इस आलू को नहीं बेचते हैं। उनके लिए यह आलू उपज का बोनस सरीखा होता है।

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सलोन ब्लॉक में सबसे अधिक कोल्ड स्टोरेज

लाल आलू की ही महिमा है कि रायबरेली जिले में सलोन एक ऐसा क्षेत्र है, जहां पर सबसे अधिक 18 कोल्ड स्टोरेज हैं। किसान लाल आलू को कोल्ड स्टोरेज में रखते हैं तथा ठाठ से व्यापार करते हैं।

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ये हैं लाल आलू की किस्में

सिंदूरी सी- 40, कुंदन, हॉलैंड रेड

लाल आलू की खासियत

  • खुले में आलू सड़ता नहीं है
  • पूरी तरह से शुगर फ्री
  • कम जगह में कम लागत में पैदावार
  • बिहार के बाजारों में बहुत अच्छी कीमत
  • काबरेहाईड्रेट शुगर में नहीं बदलता जिसे आलू मीठी नहीं होती

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50 से 60 साल पुराना है इसका इतिहास

सलोन में लाल आलू की खेती का इतिहास 50 से 60 साल पुराना है। पानी की कमी के कारण यहां के किसानों ने मिट्टी की प्रकृति का पूरा लाभ उठाया तथा शुरुआत में लाल आलू की खेती की। इसे रायबरेली में पसंद किया गया। किसी तरह इस आलू का स्वाद बिहार पहुंच गया। उसके बाद तो यह आलू बिहार का पसंदीदा बन गया। जब मांग अधिक बढ़ने लगी तो किसानों ने लाल आलू की नई किस्म के बीजों की मांग की। इस पर नए बीज दिए गए तो लाल आलू पूरे क्षेत्र में छा गया।

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