उत्तर प्रदेश की चीनी मिलों में पेराई शुरू, प्रदेश में बढ़ा गन्ने का रकबा

प्रदेश की कई चीनी मिलों में पेराई का कार्य शुरू हो गया है। इस बार कई जिलों में गन्ने का रकबा बढ़ा है, जिससे चीनी के बंपर उत्पाद की उम्मीद जताई जा रही है। चीनी मिलों में गन्ने की खरीद शुरू हो चुकी है।

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उत्तर प्रदेश की चीनी मिलों में पेराई शुरू, प्रदेश में बढ़ा गन्ने का रकबा

लखनऊ। इस बार गन्ने की अच्छी फसल हुई है। प्रदेश की कई चीनी मिलों में पेराई का कार्य शुरू हो गया है। इस बार कई जिलों में गन्ने का रकबा बढ़ा है, जिससे चीनी के बंपर उत्पाद की उम्मीद जताई जा रही है।

चीनी मिलों में गन्ने की खरीद शुरू हो चुकी है। वहीं कई चीनी मिल में पेराई सत्र चालू करने की तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। मिल के क्षेत्र में बने क्रय केंद्रों और मिल द्वार के क्रय केंद्रों पर गन्ने की आवक होने लगी है। चीनी मिल को सरकार की ओर से 2 करोड़ 96 लाख क्विंटल गन्ना पेराई के लिए दिया गया है। जबकि मिल ने पिछली बार एक करोड़ 59 लाख क्विंटल गन्ना पेरा था। अबकी बार गन्ने का रकबा और मात्रा दोनों अधिक हैं। इसलिए पेराई सत्र लंबा खिंचने के आसार हैं।

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प्रदेश में 113 चीनी मिलें हैं। कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू सीजन में राज्य में गन्ने की बुवाई बढ़कर 23.90 लाख हैक्टेयर में हुई है जबकि पिछले साल राज्य में 22.99 लाख हैक्टेयर में ही गन्ने की बुवाई हुई थी। गन्ने के बुवाई क्षेत्रफल में बढ़ोतरी को देखते हुए राज्य में चीनी का उत्पादन बढ़कर चालू पेराई सीजन में 124 से 125 लाख टन होने का अनुमान है।

गन्ना एवं चीनी आयुक्त संजय आर भूसरेड्डी ने बताया, " प्रदेश में गन्ना पेराई सत्र 2018-19 का शुभारंभ हो गया है। सबसे पहले 27 अक्तूबर को मेरठ मंडल की मोदीनगर चीनी मिल प्रारंभ हुई। हापुड़ की सिंभावली मिल 31 अक्टूबर और किनौनी में एक नवंबर से पेराई कार्य प्रारंभ कर दिया है। इसी प्रकार सहारनपुर मंडल की 03 चीनी मिलों, भैंसाना, मोरना व थानाभवन और मुरादाबाद मंडल की बिलाई व रजपुरा ने एक नवंबर को पेराई कार्य शुरू कर दिया।"

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प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अक्टूबर माह में कहा था कि सरकार की मंशा है कि चीनी मिलों को पूरी तरह आत्मनिर्भर बना दिया जाए। इसके लिए उसकी हर संभव नीतिगत मदद की जा रही है। गन्ना किसानों के भुगतान के लिए नगदी संकट वाली मिलों को रियायती दर पर ऋण मुहैया कराया है। गन्ने की अगैती और पेड़ी वाली फसल पक कर तैयार हो चुकी है। मिलों में समय से पेराई शुरु नहीं हुई तो रबी की फसलों के लिए खेत खाली नहीं हो पाएंगे, जिससे उनका नुकसान होगा।

इनपुट एजेंसी

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