लखनऊ। हम बचपन से सुनते आए हैं कि ज्ञान बांटने से कम नहीं होता बल्कि बढ़ता है। इसी विचार पर काम कर रही है सारथी पाठशाला। गाँव में शिक्षा से दूर बच्चों को साक्षर करने जुटे हैं कुछ युवा। इन युवाओं का उददेश्य शिक्षा से दूर बच्चों को शिक्षित कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाना। सारथी पाठशाला के संयोजक मेरठ निवासी संजय शर्मा ने बताया, “सारथी पाठशाला बच्चों को शिक्षित करने का निशुल्क शिक्षण केन्द्र है, जहां गाँव के पहली से आठवीं तक के बच्चे गणित, विज्ञान, अंग्रेजी, सामाजिक विज्ञान, कम्प्यूटर, हिन्दी आदि की शिक्षा निशुल्क प्राप्त करते हैं। इसके साथ-साथ विभिन्न प्रतियोगिताओं का भी आयोजन किया जाता है, जिससे उनमें ज्ञान का संचार अच्छा हो सके।”
इस प्राथमिक विद्यालय के बच्चे बिना झिझके अंग्रेजी में सुनाते हैं कविता
संजय बताते हैं, ” हमारे समाज में शिक्षा के क्षेत्र में बहुत बड़ी असामनता है। निजी शिक्षा सिर्फ कुछ पैसेवालों के पास है। सरकारी स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं और शिक्षकों की बेहद कमी है। हम चाहते हैं कि कोई भी बच्चा शिक्षा से दूर न हो।” सारथी पाठशाला की मेरठ, गाजियाबाद समेत अन्य कई जिलों में केन्द्र संचालित हैं, जहां लगभग 700 से अधिक बच्चे निःशुल्क शिक्षा ग्रहण कर रहे इैं। इन केन्द्रों को चलाने वाले गांव के ही पढे- लिखे युवा हैं जो निशुल्क सहयोग कर रहे हैं। हम प्रदेश के सभी जिलों में एक-एक सारथी पाठशाला खोलना चाहते हैं, जिससे कोई बच्चा पढ़ाई से वंचित न रहे।”
सारथी पाठशाला के बच्चों को प्रोजेक्टर और कम्प्यूटर के माध्यम से भी पढ़ाया जाता है, जिससे वे बच्चे भी आधुनिक तकनीकों से भी रूबरू हो सकें। पश्चिमी यूपी के प्रभारी कपिल शर्मा बताते हैं, जब गाँव में इस तरह के केन्द्र खोलने की बात हमने ग्रमीणों से की तो लोगों ने हमारा उत्साहवर्धन किया। वहीं गाजियाबाद प्रभारी विशाखा शर्मा ने बताया, जो बच्चे पहले ए बी सी डी भी सही से नहीं जान पाते थे वो अब अच्छे से पढने लगे हैं।
सरकारी स्कूल हुआ चका-चक तो बढ़ गए बच्चे
गरीब बच्चों को अध्ययन की सामग्री भी देते हैं
संजय शर्मा प्रेरणा बुक बैंक नाम की एक निशुल्क लाइब्रेरी भी चलाते हैं। जो बच्चे किताबें न होने के कारण अपनी पढ़ाई ठीक ढंग से नहीं कर पाते ऐसे बच्चों को प्रेरणा बुक बैंक नि:शुल्क जरूरी किताबें व अध्ययन सामग्री प्रदान करके उनकी मदद करती है।
कभी जंगल में लकड़ियां बीनने वाले बच्चे अब हर दिन जाते हैं स्कूल