सीतापुर (उत्तर प्रदेश)। भारत में हर गाँव की अपनी एक अलग विशेषता नजर आती है। अपनी इसी विशेषता को समेटे एक गाँव ऐसा भी है जहाँ हर ओर मंदिर ही मंदिर नजर आते हैं।
उत्तर प्रदेश की राजधानी से लगभग 110 किलोमीटर दूर सीतापुर जिले में बसे इस गाँव का नाम है ब्रम्हावली। इस गाँव में 35 स्थापित मंदिर हैं। यही वजह है कि आस-पास के गाँव के लोग भी इस गाँव को मंदिरों वाला गाँव कहते हैं।
गाँव में इतने मंदिर होने की वजह से सुबह-शाम घंटों की आवाज गूंजती रहती है। इतना ही नहीं, इस गाँव में किसी न किसी मंदिर का जीर्णोद्धार और रंगाई-पुताई का काम भी जारी रहता है।
ब्रम्हावली गाँव में ही आचार्य रंगनाथ पाण्डेय (60 वर्ष) गाँव कनेक्शन से बताते हैं, “ब्रम्हावली वह गाँव है जिसका डंका सभ्यता, शिक्षा और धर्म आस्था के लिए दूर-दूर तक है। इस गाँव में लोग ईश्वर के प्रति कितना श्रद्धावान हैं इस बात का अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि यहाँ हर तरफ मंदिर ही मंदिर हैं।”
इस गाँव में अभी 35 स्थापित मंदिर हैं। इनमें 27 शिव मंदिर हैं। इसके अतिरिक्त गायत्री मंदिर, दुर्गा मंदिर, राम जानकी मंदिर, हनुमान मंदिर, राधाकृष्ण के मंदिर भी स्थापित हैं।
गाँव में इतने मंदिर कैसे बने? के सवाल पर आचार्य रंगनाथ गाँव में बने मंदिरों के इतिहास को लेकर प्राचीन हस्तलेख दिखाते हैं जिस पर गाँव के और मंदिरों के बारे में उल्लेख मिलता है।
आचार्य रंगनाथ बताते है, “गाँव में मंदिरों के इतिहास की बड़ी रोचक मान्यता है। जब यह गाँव बसा था तभी से यहाँ मंदिरों की स्थापना शुरू हो गई थी और आज भी यहां मंदिर बनने का यह क्रम जारी है। गाँव में कुछ नए मंदिर निर्माणाधीन हैं, जबकि पुराने मंदिरों का जीर्णोद्धार और रंगाई-पुताई भी कहीं ना कहीं गाँव में जारी रहती है।”
मात्र 200 घरों के इस छोटे से गाँव के बृजकांत बाजपेई (63 वर्ष) बताते हैं, “ब्रम्हावली यानी ब्राह्मणों का गाँव, यहाँ के लोग हमेशा से ईश्वर की पूजा-पाठ करना अपना कर्तव्य मानते हैं। हमारे पुराने लोग तो बताते थे कि इस गाँव में बड़े-बड़े विद्वान हुए। यही वजह है कि इस गाँव के लोगों ने न सिर्फ ब्रम्हावली गाँव में, बल्कि दूसरे राज्यों में दूर-दूर तक कई मंदिर बनवाए।”
बृजकांत के अनुसार, गाँव के बहुत से लोग अपनी कमाई का दसवां अंश मंदिरों के लिए निकालते हैं। बहुत से लोग ऐसे हैं जो अनेकानेक धार्मिक कार्यों में जैसे कन्या आदि के विवाह में गुप्त दान भी करते हैं।
आचार्य रंगनाथ बताते हैं, “हमारे गाँव में मंदिरों में लोग भजन कीर्तन करते रहते हैं लेकिन कभी इसके लिए कोई धन आदि इकट्ठा नहीं किया जाता है। सारा कार्य लोगों की श्रद्धा पर निर्भर करता है। लोगों की कामना पूरी होने पर उन्होंने मंदिरों की स्थापना में अपना योगदान दिया। यही वजह है कि आज यह गाँव मंदिरों का गाँव बन गया।”
ब्रम्हावली गाँव में बने मंदिर
♦ ठाकुर द्वारा में राधाकृष्ण दरबार
♦ ठाकुर द्वारा में ही बना हनुमान मंदिर
♦ ठाकुर द्वारा में स्थापित दुर्गा माता मंदिर
♦ ठाकुर द्वारा शिवालय
♦ भवानी शंकर मंदिर
♦ अष्टकोणीय शिव मंदिर (आठ कोने वाला शिव मंदिर)
♦ बूढ़े महादेव मंदिर
♦ श्री अवधेश्वर महादेव मंदिर
♦ लालेश्वर महादेव मंदिर
♦ सिद्धि नाथ मंदिर
♦ बस्ती नाथ मंदिर
♦ नमो नारायण शिव मंदिर
♦ गरीब नाथ मंदिर
♦ श्री सिद्धेश्वर नाथ मंदिर
♦ श्री क्लेश हरण बाबा मंदिर
♦ श्री नवदुर्गा मंदिर
♦ तुरंत नाथ मंदिर
♦ दुर्गा देवी मंदिर
♦ गायत्री मंदिर
♦ कलिकार्जुन महादेव
♦ सर्वेश्वर धाम
♦ अखिलेश्वर बाबा
♦ मृत्युंजय महादेव
♦ भवानी शंकर सीता राम मंदिर
♦ श्री रामेश्वर धाम
♦ उपकारी हनुमान धाम
♦ श्री गोरे महादेव मंदिर
♦ हरदेव महाराज मंदिर
♦ मुक्तेश्वर धाम
♦ ठाकुर बाबा
♦ मनकामेश्वर महादेव मंदिर
♦ नर्मदेश्वर महादेव मंदिर
♦ क्लेश हरण धाम मंदिर
♦ हनुमान धाम
♦ राम जानकी मंदिर
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