कन्नौज। सरकारी अस्पतालों में इलाज कराने के लिए लोग यूं ही नहीं कतराते हैं। लोगों का भरोसा उठता जा रहा है। जमीन के भगवान कहे जाने वाले डॉक्टरों का व्यवहार जब सौतेला हो जाए तो क्या हाल होगा। कभी-कभी मरीजों को इलाज के बाद लाश की तरह जमीन पर छोड़ दिया जाता है। इनका हाल लेने के लिए स्वास्थ्य विभाग का कोई भी कर्मी पास में मौजूद नहीं था।
जिला मुख्यालय कन्नौज से करीब 22 किमी दूर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र गुरसहायगंज में नसबंदी के बाद महिलाओं को जमीन पर लिटा दिया गया। यहां एक-दो महिलाएं नहीं बल्कि कई महिलाओं के साथ ऐसा किया गया। गाँव, कस्बों और गरीब ही सरकारी अस्पतालों में पहुंचते हैं उनकी सेवा करने के बजाय इस तरह से इलाज किया जाता है। इस समय जिले में नसबंदी कराने का अभियान चल रहा है, उसी के तहत महिलाओं की नसबंदी हुई। इस सर्दी में मरीजों को जमीन पर लिटाना बेहद शर्मनाक है और यह किसी के गले नहीं उतर रहा है। इन मरीजों के तीमारदार भी साथ आए है। वह भी ठंडी फर्श में लेटी महिला मरीजों के साथ ही बैठी रहीं। कुछ एक तो गोद में बच्चे लिए थीं।
आज लेप्रोस्कोपी का दिन था। जमीन पर कोई नहीं लेटा होगा। हम पता करते हैं… गुरसहायगंज में डॉ. केसी राय इसके नोडल हैं। हमारी डॉ.. वर्मा से बात हुई है। मरीज सभी घर चले गए। सीएचसी में बेड की व्यवस्था है। बाद में भले ही कोई लेट गया हो।’’
डॉ. के. स्वरूप, सीएमओ- कन्नौज
सीएमओ डॉ. के. स्वरूप बताते हैं, ‘‘कन्नौज में लोग बच्चे अधिक पैदा करते हैं। यहां जन्मदर अधिक है। पुरुष नसबंदी कराने पर अपने यहां तीन हजार रुपए मिलते हैं। दूसरे जनपदों में एक हजार कम मिलते हैं। महिला नसबंदी पर भी गैरजनपदों की अपेक्षा कन्नौज में 500 अधिक मिलते हैं।’’