लखनऊ(भाषा)। उत्तर प्रदेश सरकार ने 10 जिलों के रामलीला मैदानों की चारदीवारी बनवाने और उसमें प्रवेश द्वार लगवाने का ऐलान किया है। विपक्षी दलों ने इसे आगामी लोकसभा चुनाव से पहले हिन्दू मतों के ध्रुवीकरण की कोशिश करार देते हुए इसकी आलोचना की है।
संस्कृति विभाग के विशेष सचिव शिशिर ने इस सिलसिले में जारी एक आदेश में कहा कि राजस्व रिकॉर्ड, रामलीला समितियों के स्तर और स्थानीय मान्यताओं के आधार पर रामलीला मैदानों का चयन किया जाए और उन्हें छह से आठ फुट ऊंची दीवारों से घेरा जाए। दीवारों पर रामायण से जुड़े चित्रों को उकेरकर उसे एक कलात्मक परिसर में तब्दील किया जाए।
हाल ही में जारी यह आदेश गोरखपुर, लखनऊ, बरेली, वाराणसी, चित्रकूट, अयोध्या, इलाहाबाद, फिरोजाबाद और सहारनपुर के जिलाधिकारियों को भेजा गया है।
रामलीला मैदान को चारदीवारी से घेरने के आदेश के तहत सम्बन्धित जिलाधिकारी की अध्यक्षता में एक समिति गठित की जाएगी, जो चारदीवारी के निर्माण के सिलसिले में आये प्रस्तावों का आकलन करेगी। चारदीवारी के अंदर पेयजल तथा बिजली उपलब्ध होगी। इसे निर्मित और विकसित करने के बाद उसे रामलीला कमेटी को सौंप दिया जाएगा। परिसर में केवल सांस्कृतिक कार्यक्रम और रामलीला का आयोजन ही हो सकेगा।
इलाहाबाद और फैजाबाद का नाम बदलकर क्रमश: प्रयागराज और अयोध्या किये जाने और अयोध्या में भगवान राम की 221 मीटर ऊंची प्रतिमा स्थापित करने के ऐलान के बाद राज्य सरकार के इस कदम को विपक्ष वर्ष 2019 से पहले खेले गये एक और हिन्दुत्व कार्ड के तौर पर देख रहा है। विपक्षी दलों ने इसकी कड़ी आलोचना की है।
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सपा के विधान परिषद सदस्य राजपाल कश्यप ने कहा कि भाजपा चुनाव में किये गये वादे पूरे करने में पूरी तरह नाकाम रही है। अब चूंकि वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं, लिहाजा रामलीला मैदानों की चारदीवारी खड़ी करने का ऐलान सिर्फ मतदाताओं को हिन्दुत्व के एजेंडे पर ध्रुवीकृत करने के लिए है।
उन्होंने कहा कि सपा विकास में वश्विास करती है। राज्य की पूर्ववर्ती अखिलेश यादव सरकार ने विकास की अनेक योजनाएं शुरू करके देश के सामने उदाहरण पेश किया था। कांग्रेस नेता मुकेश सिंह चौहान ने भी राज्य सरकार के इस कदम को सियासी हथकंडा करार देते हुए कहा कि भाजपा को अगले लोकसभा चुनाव में फायदा लेने के मद्देनजर की गयी इस नौटंकी से कोई लाभ नहीं मिलेगा।