विदेशी चंदे के लिए भाजपा-कांग्रेस साथ

मनीष मिश्रामनीष मिश्रा   10 April 2016 5:30 AM GMT

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विदेशी चंदे के लिए भाजपा-कांग्रेस साथgaonconnection

लखनऊ। संसद में चाहे कितनी ही भाजपा और कांग्रेस के नेताओं में तनातनी दिखती हो, पर जब दोनों पार्टियों के स्वार्थ एक दिखा तो गलबहियां डाले नजर आईं।

विदेशी कंपनियों से चंदा लेने के आरोप में जिस कानून के तहत भाजपा और कांग्रेस को दिल्ली हाइकोर्ट ने दोषी बताया, केन्द्र की मोदी सरकार उसी को बदलने के लिए विधेयक ले आई है।

मोदी सरकार वित्त विधेयक के साथ ही विदेशी अंशदान विनियमन कानून (एफसीआरए) में संशोधन के लिए संसद में बिल चुपके से पेश कर दिया है। इसके बाद पार्टियों को विदेशी कंपनियों से चंदा लेना आसान हो जाएगा।

“अभी तक कानून में था कि जो कंपनी विदेश में रजिस्टर्ड हो, उससे चंदा लेना मना था। यहां तक कि अगर कोई कंपनी भारत में रजिस्टर्ड है और उसके शेयर विदेशी कंपनी में हैं, तो विदेशी माना जाता था।” सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ताओं की ओर से लड़ रहे वकील प्रशांत भूषण ने गाँव कनेक्शन को बताया, “लेकिन संशोधन के बाद कोई भी कंपनी जो हिन्दुस्तान में रजिस्टर्ड है, चाहे वह विदेशी कंपनी की सहयोगी क्यों न हो। उसका एफडीआई मान्य होगा। उसका पैसा विदेशी पैसा नहीं माना जाएगा।”

इसके बाद कोई भी विदेशी कंपनी हिन्दुस्तान में सहायक कंपनी खोल कर इन राजनैतिक पार्टियों को चंदा दे सकेंगी।

कांग्रेस और बीजेपी ने पिछले कुछ सालों में उद्योगपति अनिल अग्रवाल की लंदन स्थित कंपनी वेदांता की सहायक कंपनियों से चुनावी चंदा लिया। चुनाव के लिए विदेशी चंदा लेने का यह खुलासा सबसे पहले चुनाव सुधार के लिये काम कर रही संस्था 'एसोसिएशन फॉर डिमोक्रेटिक रिफॉर्म' की पड़ताल से हुआ। "जब अपने स्वार्थ की बात आती है तमाम राजनीतिक पार्टियां एकजुट हो जाती हैं। चाहे वह राष्ट्रीय पार्टियों को सूचना का अधिकार कानून में लाने का हो या विदेशी चंदा लेना। पार्टियों को लगता है कि उनकी जवाबदेही नहीं है किसी के प्रति, वो बस जवाबदेही ले सकते हैं।" इस मामले की अदालती लड़ाई लड़ने वाली संस्था 'एसोसिएशन फार डेमोक्रेटिक रिफार्म्स के राष्ट्रीय अध्यक्ष मेजर जनरल अनिल वर्मा (रिटायर्ड) ने कहा।

दिल्ली हाईकोर्ट ने 28 मार्च्, 2014 से को सुनाए अपने फैसले में दोनों पार्टियों को एफसीआरए कानून का उल्लंघन करने का दोषी मानते हुए गृह मंत्रालय से कार्रवाई करने के आदेश दिए थे। लेकिन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने चुपके से विदेशी स्रोत को परिभाषित करने कानून में बदलाव 2010 से लागू करने का प्रस्ताव दिया है। इससे भाजपा और कांग्रेस पर कोई कानूनी कार्रवाई नहीं हो पाएगी।

अनिल वर्मा आगे कहते हैं, “विदेशी अंशदान विनियमन कानून से संबंधित मामले किसी अन्य ट्रिब्यूनल या एजेंसी को देखने के लिए हमने दूसरी जनहित याचिका दायर की है। सीधे सरकार के अधीन होने पर राजनीतिक पार्टियां अपने खिलाफ नहीं जाएंगी।”

केन्द्र सरकार जहां स्वयं सेवी संगठनों के विदेशी पैसा लेने पर रोक लगा रही है, तो वही राजनैतिक पार्टियों को विदेशी चंदे लेने में दिक्कत न हो, इसका पूरा जुगाड़ भी कर रही है।

 

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