विकास की असलियत बयां कर रहे जर्जर मार्ग

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विकास की असलियत बयां कर रहे जर्जर मार्गगाँव कनेक्शन

विशुनपुर (बाराबंकी)। विकास के दावे के बीच कई ग्रामीण सड़कें वर्षों से उपेक्षा का शिकार हैं। गड्ढों में तब्दील हो चुकी यह सड़कें ग्रामीणों के आवागमन में बाधक बनी हैं। वर्षों से इन सड़कों की कोई सुध नहीं ली गयी है। हालात यह हैं कि इन सड़कों पर राहगीरों का वाहनों से तो दूर पैदल भी चलना दुश्वार है।

विशुनपुर से मोहनपुर तक जाने वाला मार्ग काफी जर्जर हो गया है। मार्ग में बड़े-बड़े गड्ढे दिखाई दे रहे हैं। इस मार्ग पर सिसवारा, सफीपुर, कितरौली, मवैया, धर्मपुर, सरसवा सहित दो दर्जन गाँव पड़ते हैं। इसी रास्ते पर प्रतिदिन सैकड़ों छात्र विशुनपुर में स्थित विभिन्न स्कूलों में पढ़ने जाते हैं जो आये दिन खराब रास्ते के चलते चोटिल हो जाते हैं। सिसवारा के आकाश मिश्र बताते है, “मैं अपने साथियों के साथ स्कूल जाता हूं। स्कूल जाने वाला रास्ता काफी खराब है। आए दिन हम लोग खराब सड़क होने के कारण गिर जाते हैं और चोट लग जाती है।”

विकासखंड देवा के कासिमगंज से कोटवाकला को जोड़ने वाला दो किलोमीटर लंबा संपर्क मार्ग वर्तमान में काफी जर्जर हो चुका है। इस मार्ग पर पड़ने वाले दफेदारपुरवा और कोटवाकला के ग्रामीणों को इस मार्ग पर सफर करने के लिए काफी जहमत उठानी पड़ रही है। देवा से कासिमगंज तो सड़क की मरम्मत तो पूर्व में कराई गयी थी परन्तु शेष मार्ग आज तक उपेक्षित पड़ा है।

दफेदारपुरवा से अंड़ौरा तक जाने वाले करीब दो किलोमीटर सड़क पर वर्तमान में केवल सड़क के अवशेष ही बचे हैं। सड़क में सिर्फ  गड्ढे ही गड्ढे हैं। मार्ग की दशकों से मरम्मत नहीं हुई है। ग्रामीणों की सड़क मरम्मत की मांग जिम्मेदारों के कान तक नहीं पहुंच सकी है। नारायनभारी के मजरा छोटी छेरिया से कोटवाकला तक करीब दो किलोमीटर मार्ग भी लोगों को चोटिल कर रहा है। इस मार्ग पर प्रतिदिन काफी आवागमन रहता है, लेकिन मार्ग की दशा इतनी जर्जर है कि जरा सी चूक राहगीरों को चोटिल कर रही है।

रिपोर्टर - अरुण मिश्रा 

 

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