Gaon Connection Logo

अग्निशमन विभाग से सौतेला व्यवहार क्यों?

India

लखनऊ। प्रदेश में अग्निशमन विभाग के साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है। न तो प्रदेश की आबादी के हिसाब से अग्निशमन केन्द्र हैं, न ही इनमें काम करने के लिए कर्मचारी और अफसर।

प्रदेश की करीब 21 करोड़ आबादी को आग और आपदा से बचाव के लिए महज 313 फायर स्टेशन हैं, वहीं प्रदेश में पांच हजार पुलिस थाने हैं। प्रदेश में तहसील स्तर पर न्यूनतम चार थाने हैं, लेकिन फायर स्टेशन एक भी नहीं। 

अग्निशमन विभाग में अफसर और कर्मचारियों की भी भारी कमी है। इससे आग से बचाव के इंतजामों को परखने, आग की घटनाओं को कम करने के उपायों और लोगों को जागरूक भी नहीं किया जा पा रहा है। लखनऊ में दमकल विभाग के ज्वाइंट डायरेक्टर, फायर जेके सिंह बताते हैं, “अगर लखनऊ के शहरी क्षेत्र और आबादी की बात करें तो आग से बचाव के लिए तत्काल राहत के पुख्ता इंतजाम नहीं हैं। तंग गलियों वाले अमीनाबाद, रकाबगंज में तत्काल राहत के लिए सिर्फ चौक फायर स्टेशन है। क्षेत्र अतिक्रमण की चपेट में है। एक किमी के दायरे में आग लगने पर दो मिनट की दूरी तय करने में 10 मिनट से अधिक समय लग जाता है।”

वहीं, फसलों और गाँव में आग से बचाव के लिए जो फायर स्टेशन बनाए भी गए हैं, वो संसाधन विहीन हैं। लालगंज, इलाहाबाद और आजमगढ़ जिले के दूर-दराज इलाकों में जो फायर स्टेशन हैं। 

गर्मी के मौसम में उत्तर प्रदेश के बहराइच, सीतापुर, बाराबंकी, बरेली, हरदोई और बलरामपुर में लगी आग के चलते सैकड़ों एकड़ फसलें राख हो गईं और भवनों में आग लगने से दर्जनों की जान चली गईं।

रिपोर्टर – जसवंत सोनकर

More Posts

छत्तीसगढ़: बदलने लगी नक्सली इलाकों की तस्वीर, खाली पड़े बीएसएफ कैंप में चलने लगे हैं हॉस्टल और स्कूल

कभी नक्सलवाद के लिए बदनाम छत्तीसगढ़ में इन दिनों आदिवासी बच्चों को बेहतर शिक्षा मिलने लगी है; क्योंकि अब उन्हें...

दुनिया भर में केले की खेती करने वाले 50% किसान करते हैं इस किस्म की खेती; खासियतें जानिए हैं

आज, ग्रैंड नैन को कई उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में उगाया जाता है, जिसमें लैटिन अमेरिका, दक्षिण पूर्व एशिया, भारत...