नए साल की शुरुआत से बटने लगेगा कृषि बीमा क्लेम

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लखनऊ। जिन बीमित किसानों की फसलें इस वर्ष खरीफ में सूखे से प्रभावित हो गई हैं उन्हें बीमा का क्लेम बांटने की प्रक्रिया दिसम्बर खत्म होते-होते शुरू हो जाएगी। उत्तर प्रदेश के कृषि सांख्यकी एवं फसल बीमा विभाग के निदेशक वीके सिंह ने गाँव कनेक्शन से खास बातचीत में यह जानकारी दी।

“इस महीने के आखिर से बीमा के क्लेम बटने शुरू हो जाएंगे। जनवरी के पहले सप्ताह से हम जि़लावार एस्टीमेट भी फसलों के उत्पादन का दे देंगे। बीमा कंपनी से मैंने बात की थी तो उन्होंने कहा कि हमारे पास बैंकवार बीमा की जो भी जानकारी है हम उसकी मैपिंग शुरू कर चुके हैं, फसल के आंकड़े मिलते ही क्लेम बांटने लगेंगे,” सिंह ने बताया।

इस वर्ष उत्तर प्रदेश में खरीफ की फसल के दौरान मॉनसून बहुत कमज़ोर पड़ गया था। इसके चलते सरकार को प्रदेश के 50 जि़लों में सूखा घोषित करना पड़ा।

निदेशक फसल बीमा ने बताया कि इस बार फसलों में नुकसान फसल पकने के स्तर पर हुआ है, क्योंकि सितंबर-अक्टूबर ड्राई स्पेल गया, इस समय फसल पक रही होती है। इस बार किसान भी काफी देर तक इंतज़ार करता रहा कि अगर पानी गिर जाएगा तो फसल संभल जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। हमने बिना देर किए ही 22 नवंबर से बीमा कंपनियों को उत्पादन के आंकड़े देने शुरू कर दिए थे।

”हमें फसल बीमा के लिए ग्राम पंचायत स्तर से फसल उत्पादन का अनुमान निकालना पड़ता है, क्योंकि बीमा कंपनियों को पंचायत स्तर के आंकड़े चाहिए। बहुत दबाव है लेकिन हमने किसानों को जल्दी मदद मिले, इसलिए पूरे स्टाफ के साथ रात-दिन काम किया है और हम सारे आंकड़े तैयार कर चुके हैं। इसके बाद 10 जनवरी तक हम जि़लावार उपज के आंकड़े भी जारी कर देंगे”, वीके सिंह ने कहा।

अनुमान लगाया जा रहा है कि उत्तर प्रदेश की धान की उपज में इस वर्ष सूखे के चलते 10 से 12 प्रतिशत तक कमी आएगी। उत्तर प्रदेश में वर्ष 2014-15 में रबी और खरीफ फसलें भी विपरीत मौसमी परिस्थितियों की भेंट चढ़ गई थीं, जिसके बाद प्रदेश में बीमा कंपनियों ने 720 करोड़ रुपए का बीमा क्लेम बंटा था। उत्तर प्रदेश में कृषि बीमा के क्षेत्र में राष्ट्रीय कृषि बीमा कंपनी, आईसीआईसीआई लॉम्बार्ड, एचडीएफसी, इफ्को टोकियो और रिलायन्स जैसी कंपनियां काम कर रही हैं। वर्ष 2000 से प्रदेश में कृषि बीमा की शुरूआत हुई थी।

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