लखनऊ। “मेरे घर फोन नहीं था, दूसरे घर में जाकर बात करनी होती थी। दोबारा फोन आया, वो तेज आवाज में कह रहे थे, मेरी आवाज सुनाई दे रही है। सुनो-सुनो क्या तुम मेरी अवाज सुन सकती हो, प्रतिभा मैं तुम्हारा भाई मनोज बोल रहा हूं। इस समय मैं बहुत ऊंचाई पर हूं। यहां ज्यादा देर बात नहीं कर सकते, यहां माहौल बहुत खराब है।” यह आखिरी फोन था जब कारगिल में शहीद कैप्टन मनोज पांडेय ने बहन से बात की थी।
आज से 17 साल पहले वर्ष 1999 में लखनऊ के रहने वाले कैप्टन मनोज पांडेय समेत 527 सेना के जवानों ने कारगिल में अपनी जान गंवा कर जंग जीती थी, जिसे पूरा देश ‘विजय दिवस’ के रूप में मनाता है।
भाई मनोज पांडेय ने बहन प्रतिभा से फोन पर कहा, ‘’तुम सबका ख्याल रखना, मां-पापा के साथ हमेशा साथ रहना। अपने बेटे को पढ़ाना। तुम लोग जल्दी-जल्दी पत्र लिखा करो, क्योंकि तुम्हे नहीं पता कि यहां पत्र पढ़ कर बहुत अच्छा लगता है।’’
“उसी शाम को मैंने एक पत्र लिखा लेकिन पत्र वहां से वापस आ गया, वहां पहुंचा ही नहीं,” प्रतिभा ने बताया, “मुझे आज भी मनोज की वो बातें याद हैं। मैंने भी देश के लिए उसके भांजे (अपने बेटे) को तैयार किया है। वह एयरफोर्स में जाने की तैयारी कर रहा है।”
मां को सपने में आई मनोज की शहादत
दो जून को मां मोहिनी पांडेय को सपने में दिखा कि मनोज को कुछ हो गया है। उन्होंने रात को फोन करके प्रतिभा को बुला लिया। “घर आते ही देखा, मां पापा की तबीयत खराब हो रही है। तभी सुबह घर की डोरबेल बजी, मां और मैंने सोचा कि मनोज की शादी वाले आए हैं। पीछे मुड़ कर देखा तो सात-आठ जवान आते हैं और कहते हैं, 11 सीआर से आये हैं, आप का बेटा शहीद हो गया है।”
प्रतिभा आगे बताती हैं, “घर की सारी जिम्मेदारी वह अपने ऊपर लेते थे। हमेशा यही कहते थे, पापा का पैसा खराब न होने पाए। दादा कम उम्र में बहुत कुछ कर गए।”
वहीं कैप्टन मनोज पांडेय की माँ मोहिनी पांडेय ने बताया, “वह कह के गया था, जुलाई के पहले हफ्ते में आऊंगा, अगर नहीं आ पाया तो दीवाली आपके साथ मनाऊंगा। 23 जून को आखिरी बार बात हुई थी, उस दिन पत्र भी आया था। जिसमें लिखा था, मैं यहां बिल्कुल ठीक हूं। उसके बाद मरने की खबर आई।”
मुझे आत्महत्या करने से रोका था भाई ने
एक बात जो प्रतिभा ने कभी किसी से नहीं साझा की वह थी, कि भाई ने बहन को आत्महत्या करने से रोका था। प्रतिभा बताती हैं, “मैं पढ़ने में अच्छी नहीं थी, मेरा हाईस्कूल का रिजल्ट बहुत खराब था। उस समय आत्महत्या करने के बारे में सोच रही थी, तभी मनोज भाई का पत्र आया। उसमें लिखा था मां ने मुझे बताया है कि तुम फेल हो गई हो, मेरी बात ध्यान से सुनो हर जगह पास होना जरूरी नहीं है, उसमे भाग लेना जरुरी है।” वह आगे बताती हैं, “पत्र में लिखा था, मदर टेरेसा पढ़ी नहीं थीं, लेकिन उन्होंने अपनी सेवा से देश का नाम रोशन किया, उस बात आज भी याद करके मैं आगे बढ़ रही हूं।”
“आज भी उनके जन्म दिन को हम सब मनाते हैं, क्योंकि वो मरे नहीं, शहीद हुए। हमारे पूरे परिवार को गर्व होता है, ऐसा जवान हमारे घर पैदा हुआ और मैं उसकी बहन हूं, मेरा बेटा एकलव्य एयरफोर्स में जाने की तैयारी कर रहा है। वो कहता है मामा की तरह देश का नाम रोशन करेंगे,” प्रतिभा ने कहा।