लखनऊ। रबी सीजन के तिलहनों की बुआई में इस साल अभी तक पिछले साल की तुलना में बुआई में तकरीबन 15 फीसदी से अधिक की कमी आयी है।
केन्द्रीय कृषि मंत्रालय द्वारा जारी किये गये ताजा आंकड़ों के मुताबिक बुआई सितम्बर से 19 नवम्बर तक तकरीबन 50 लाख हेक्टेयर से कुछ ही अधिक हो पायी है। जबकि समानावधि के दौरान साल 2014-15 में यह तकरीबन 60 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में हो चुकी थी। इस प्रकार से इसमें तुलनात्मक रूप से तकरीबन 10 लाख हेक्टेयर से कुछ अधिक की कमी आयी है।
जानकारों का कहना है कि इस साल मानसूनी सीजन के दौरान बारिश कमजोर रह जाने से रबी तिलहन उत्पादन करने वाले क्षेत्रों में खेतों में नमी का स्तर कमजोर हो गया जिससे उत्पादक इसकी बुआई को समय पर नही कर पाये हैं, जिसके कारण भी तिलहनों की बुआई अभी तक पिछडी हुई है। इसके अलावा कुछ क्षेत्रों में सूखे के हालात होने से भी बुआई पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है।
तिलहनों की बुआई में सबसे अधिक कमी सरसों की बुआई में आयी है। सरसों की बुआई चालू रबी सीजन के दौरान अब तक केवल 21.29 प्रतिशत के करीब ही हो पाई है। केन्द्रीय कृषि मंत्रालय द्वारा जारी आंकडों के मुताबिक 19 नवम्बर तक सरसों की बुआई 42.5 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है। जबकि पिछले साल इसी अवधि के दौरान यह तकरीबन 54 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में पूरी हो चुकी थी।
इसी प्रकार से मूंगफली, के रकबे में भी कमी आने की संभावना है। कृषि मंत्रालय द्वारा जारी आंकडों के मुताबिक देश में मूंगफली की बुआई भी 19000 हेक्टेयर कम होकर तकरीबन 178000 हेक्टेयर ही है, इसलिये इसके कारण आगे मूंगफली की कीमतों में तेजी का रूख बन सकता है।

















