उत्तर प्रदेश में किसान सहायकों को जल्द मिलेंगी नियुक्तियां

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लखनऊ। नियुक्ति के लिए दर-दर भटक रहे प्राविधिक सहायक पद के अभ्यर्थियों को नियुक्ति जल्द ही मिल सकती है। लगातार आपदाओं के चलते कमज़ोर पड़ रही खेती को दोबारा ढर्रे पर लाने में ये तकनीकी सहायकों की ये फौज अहम भूमिका निभा सकती है।

इन नियुक्तियों के लिए उच्च न्यायायलय ने सरकार को एक माह का समय दिया था, जिसके खत्म हो जाने पर नियुक्ति न मिलने को लेकर सैकड़ों चयनित अभ्यर्थियों ने सोमवार 18 जनवरी को कृषि निदेशालय का घेराव किया। ”अधिकारियों द्वारा जानबूझ कर की जा रही आनाकानी” को देरी की वजह बता रहे अभ्यर्थियों ने ऐलान किया था कि यदि दिन खत्म होने तक नियुक्ति का आदेश न आया तो आदेश आने तक आमरण अनशन पर बैठेंगे। इस संघर्ष के बाद नवनियुक्त कृषि निदेशक मुकेश कुमार श्रीवास्तव ने सहायकों को जल्द ही नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू कराने का भरोसा दिलाया।

”निदेशक श्रीवास्तव जी ने हमसे कहा कि वो इन नियुक्तियों को प्राथमिकता से शुरू करा देंगे,” धरना दे रहे अभ्यर्थियों में से एक प्रवेश कुमार ने कहा।

दरअसल प्राविधिक सहायक ग्रुप-सी के 6,668 पदों के लिए अंतिम परिणाम मई 2015 में जारी हो गए थे। इसके बाद अगले छह-सात माह तक भी जब सरकार ने नियुक्ति नहीं दी तो अभ्यर्थियों ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय का दरवाज़ा खटखटाया। हाईकोर्ट ने 15 दिसम्बर को इस मामले में उत्तर प्रदेश सरकार को अगले एक माह में नियुक्तियां करने का आदेश दिया था। लेकिन फिर भी अभी तक नियुक्तियां नहीं हुईं, जिसका कोई ठोस कारण भी प्रदेश सरकार ने नहीं दिया। इन सहायकों का काम न्याय पंचायत स्तर पर किसानों व सरकारी योजनाओं के बीच पुल बनना है, तथा उन्नत तकनीकों से किसान को अवगत कराना भी।

”जब माननीय उच्च न्यायालय के आदेश के बाद हम नियुक्ति मांगने आए थे तो उस समय के निदेशक ए.के. बिश्नोई ने वादा किया था कि आदेश लाकर दिखा दो तो एक हफ्ते में नियुक्ति कर देंगे, लेकिन वो भी टालते रहे और फिर रिटायर हो गए,” प्रवेश ने कहा, जो कि हाईकोर्ट में मामला दायर करने वाले अभ्यर्थियों में से एक है।

कृषि प्राविधिक सहायकों के पदों की जिम्मेदारी ये थी कि वे ब्लॉक स्तर व न्यायपंचायत स्तर पर तैनात होकर किसान से सीधे संपर्क स्थापित करेंगे। उन्हें नई तकनीकों, सरकारी योजनाओं, सहायताओं की जानकारी, बीमा व राहत जैसी योजनाओं की जानकारी देंगे। इन पदों पर भर्ती के लिए लोक सेवा आयोग द्वारा अक्टूबर 2013 को विज्ञापन निकाला गया था। मार्च 2014 में प्रारम्भिक परीक्षा हुई और अक्टूबर 2014 से साक्षात्कार शुरू हुए थे। इस पूरी प्रक्रिया के बाद अंतिम परिणाम 21 मई 2015 को घोषित कर दिए गए थे, जिसके बाद से अभी तक नियुक्तियां नहीं की गईं।

प्रवेश आगे कहते हैं, ”इस समय जिसने भी प्रभार संभाला है वो नियुक्तियां कर सकता है लेकिन जानबूझकर आनाकानी कर रहे हैं। कोई अधिकारी हमारी बात सुनने को भी तैयार नहीं है, मिलता ही नहीं। हाईकोर्ट के आदेश तक की तो अनदेखी कर रहे हैं।”

इन पदों पर भर्तियों को लेकर शुरुआती दौर में भी विरोध हुआ था क्योंकि तब प्रस्तावित छह हज़ार से ज्यादा पदों में से ओबीसी के 544 पदों को बढ़ाकर 2200 कर दिया गया था और सामान्य वर्ग में लगभग 800 अभ्यर्थियों का ही चयन किया गया था। इस मामले पर भी फेल किए गए अभ्यर्थियों की ओर से हाईकोर्ट में छह याचिकाएं लंबित हैं, जिन पर सुनवाई होनी है।

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