वर्मी कम्पोस्ट बनाकर मुनाफा कमा रही महिला किसान

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वर्मी कम्पोस्ट बनाकर मुनाफा कमा रही महिला किसान

सीतापुर। जहां एक तरफ महिला किसानों को किसान का हक नहीं मिलता वहीं एक महिला किसान ने पट्टे पर जमीन लेकर वर्मी कम्पोस्ट बनाकर बेचना शुरू किया और गाँव की दूसरी महिलाओं के लिए प्रेरणा बनीं।

सीतापुर जिले के विसवां ब्लॉक के पुरैनी गाँव की सावित्री देवी (45 वर्ष ) के पास जमीन नहीं थी, दूसरी महिलाओं की तरह ही वो दूसरों के खेत में मजदूरी करती थीं, लेकिन आज सावित्री वर्मी बनाकर न सिर्फ अपने खेत को उपजाऊ बना रही हैं, बल्कि दूसरे किसानों को भी बेच रही हैं। सावित्री की मदद की अटरिया कृषि विज्ञान केन्द्र की वैज्ञानिक डॉ सौरभ ने।

सावित्री देवी बताती हैं, "हमारे पास खेत तो है नहीं कृषि विज्ञान केन्द्र की मैडम से खाद बनाने के बारे में पता चला, पहले मैं एक बीघा जमीन पट्टे पर लेकर सब्जियों की खेती करती थी, अब केवीके से जानकारी लेकर शुरु में कम्पोस्ट बनाकर अपने ही फसल में डालती थी अब बनाकर दूसरे किसानों को बेचती भी हूं।" सावित्री देवी लक्ष्मी स्वयं सहायता समूह चलाती हैं, जिसमें उनके साथ 15 महिलाएं और भी जुड़ी हैं। महिलाएं वर्मी कम्पोस्ट के साथ ही हैंड क्राफ्ट का सामान भी बनाती हैं।

सावित्री आगे कहती हैं, "मेरे समूह से 15 और भी महिलाएं जुड़ी हैं, जो वर्मी कम्पोस्ट बनाने में मेरी मदद करती हैं। इससे उन्हें भी घर बैठे ही आमदनी हो जाती है। " अटरिया कृषि विज्ञान केन्द्र की वैज्ञानिक डॉ. सौरभ बताती हैं, "सावित्री केन्द्र से 2014 से ही जुड़ी है, शुरू में तो हैंडी क्राफ्ट का काम ही सिखाया गया था। उसके बाद उसे वर्मी कम्पोस्ट बनाने का प्रशिक्षण दिया गया। इससे उसकी फसल तो अच्छी हो ही रही है, कम्पोस्ट को दूसरे किसानों को भी बेच कर मुनाफा कमा रही हैं। सावित्री के पास ज्यादा पशु हैं नहीं तो वो और उनकी समूह की महिलाएं गोबर खरीदकर वर्मी कम्पोस्ट बनाकर बेचती हैं। शुरू में तो इन्हें दिक्कत होती थी अब किसान खुद उनके खेत में जाकर खाद खरीदते हैं।

वर्मी कम्पोस्ट से लाभ

वर्मी कम्पोस्ट, सामान्य कम्पोस्टिंग विधि से एक तिहाई समय (दो से तीन महीने) में ही तैयार हो जाता है। वर्मी कम्पोस्ट में गोबर की खाद की अपेक्षा नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश तथा अन्य सूक्ष्म तत्व अधिक मात्रा में पाए जाते हैं। केंचुआ द्वारा निर्मित खाद को मिट्टी में मिलाने से मिट्टी की उपजाऊ एवं उर्वरा शक्ति बढ़ती है, जिसका प्रत्यक्ष प्रभाव पौधों की वृद्धि पर पड़ता है। वर्मी कम्पोस्ट वाली मिट्टी में भू-क्षरण कम होता है तथा मिट्टी की जलधारण क्षमता में सुधार होता है। खेतों में केंचुओं द्वारा निर्मित खाद के उपयोग से खरपतवार व कीड़ो का प्रकोप कम होता है तथा पौधों की रोग रोधक क्षमता भी बढ़ती है।

राज्यपाल ने भी किया सम्मानित

सावित्री देवी को लखनऊ में भारतीय गन्ना अनुसधांन संस्थान में आयोजित उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड के कृषि विज्ञान केन्द्रों की 23वी वार्षिक क्षेत्रीय कार्यशाला में वर्मी कम्पोस्टिंग को बढ़ावा देने के लिए राज्यपाल रामनाइक द्वारा प्रमाणपत्र तथा स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।

 

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