वाराणसी: रमजान में बढ़ी ईरान-इराक के खजूर की मांग

रमजान का महीना चल रहा है। इस्लाम के पांच इबादतों में एक पाक महीना रमजान महीने को बताया जाता है। इस रमजान पाक महीने मे हर मुसलमान एक महीने का रोजा रखता है।

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अमल श्रीवावस्तव, कम्युनिटी जर्नलिस्ट

लखनऊ। रमजान का महीना चल रहा है। इस्लाम के पांच इबादतों में एक पाक महीना रमजान महीने को बताया जाता है। इस रमजान पाक महीने मे हर मुसलमान एक महीने का रोजा रखता है। ऐसे में कहा जाता है इस रोजे के दौरान अगर कोई रोजेदार अपना रोजा खजूर से खोलता है तो उसे सुन्नते रसूल कहा जाता है। रमजान का महीना आते ही बनारसी बाजारों में खजूर की मांग बढ़ गई है। रोजेदारों की मांग को देखते हुए बाजारों में कई किस्मों के खजूरों की खेप भी आ गई है।

रमजान महीने में खजूरों की बढ़ गई है कीमत

खजूरों की खपत इन दिनों काफी बढ़ गई है, जाहिर सी बात है कि रोजेदार ज्यादातर खजूर से इफ्तार और सेहर करते हैं। उलेमा भी बताते हैं कि खजूर से इफ्तार करना सुन्नत है। इस तरह के मान्यताओं की वजह से ही रोजेदार रमजान माह में जमकर खरीददारी करते हैं। बनारसी मंडियों में विभिन्न प्रकार की खजूरों की आवक को लेकर यहां के खजूर विक्रेता कहते हैं कि वैसे यहां पर कई देशों से खजूर आते हैं लेकिन ईरान, इराक और सउदी अरब के खजूर की बात ही कुछ अलग होती है।

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वहां के खजूर काफी सॉफ्ट होते हैं इसके साथ ही 100 से 2000 के कीमत के अंदर भी आ जाते हैं। ये लोगों की बजट में भी होता इसलिए इसे खरीदना भी लोग काफी पसंद करते हैं। वाराणसी शहर के दालमंडी, नई सड़क, सरैया, मदनपुरा, रेवड़ी तालाब सहित विभिन्न इलाको में खजूर की दुकाने सज रही हैं और दुकानों पर रोजेदार भी उमड़ रहे हैं।

इराक, ईरान की खजूरों की मांग ज्यादा

दालमंडी के बड़े विक्रेता मोहमम्द शहनावज भी यही बताते हैं कि खजूर की वैरायटी मार्केट में उपलब्ध हैं, लेकिन इराक और ईरान के खजूर को काफी पसंद किया जाता है। इराक और ईरान के खजूरों की खास बात ये है कि अन्य खजूरों के मुकाबले इनकी कीमत कम होती है और हर आदमी तक इनकी पहु्ंच भी है। वहीं सैफ नाम के दुकानदार बताते हैं कि सउदी अरब के खजूरों का टेस्ट अधिक अच्छा होता है, लेकिन वह इराक और ईरान के खजूरों के तुलना में काफी मंहगी होती हैं। सैफ कहते हैं कि इस बार लोगों की बजट में कमी आने के कारण बाजार में खरीददारों की संख्या में भी थोड़ी कमी आई है। लेकिन रमजान महीने में रोजेदारों का खजूर से रोजा खोलने की परंपरा है। इस बार इराक की खजूर की कीमत 80 रूपये किलो तो ईरान की खजूर 100 रूपये किलो बाजार में चल रही है, जो गरीबों के बजट के अंदर आते हैं।

स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है खजूर

खजूर खरीदने आई एक महिला रोजेदार ने बताया कि नर्म वाले खजूर को बच्चे और बूढ़े सभी पसंद करते हैं। वैरायटी तो हर साल देखने को मिलती है। लेकिन इस बार दाम में इजाफा हुआ है। एक अन्य रोजेदार मोहम्मद वसीम बताते हैं कि मार्केट में इराक और ईरान के साथ सउदी की खजूर सबसे अधिक देखने को मिल रही है जो रोजेदारों को भी पसंद है। इससे रोजेदारों को पूरी ताकत मिलती है। खजूर खाकर ही रोजा खोला जाता है। इससे प्यास भी नहीं लगती है और ये स्वास्थ्य के लिए भी काफी अच्छा है।

रमजान के इस महीने में एक खास बात देखने को मिली। यहां की बनारसी सेंवई विदेशों में अपने स्वाद का जायका फैला रही है, तो वही विदेशों से आए खजूर बनारसी रोजेदारों को आराम पहुंचा रहे हैं। धर्म और देश के नाम पर आपसी सौहार्द बिगाड़ने वालों के लिए एक सीख भी है ये। खजूर न सिर्फ रोजा खोलने में मददगार होते हैं लेकिन खजूर और सेंवई के आयात निर्यात से दो देशों के बीच आपसी सौहार्द भी बढ़ रहा है।

     

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