ये झाड़ नहीं, यूपी के रेशम फार्म हैं

Swati ShuklaSwati Shukla   5 Jan 2016 5:30 AM GMT

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ये झाड़ नहीं, यूपी के रेशम फार्म हैं

बाराबंकी। एक ओर सरकार रेशम उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए हर साल करोड़ों रुपए का बजट जारी करती है, वहीं दूसरी तरफ ज़मीनी हकीकत इससे परे है। इसका जीता-जागता उदाहरण हैं रेशम कीटपालन को बढ़ावा देने के लिए जि़लों में बनवाए गए रेशम कीट पालन फार्म।

गाँव कनेक्शन के रिपोर्टर ने जब बाराबंकी जि़ले मे रेशम कीट पालन के लिए बनाए गए फार्मों की स्थिति जाननी चाही तो धरातल पर योजना घुटने टेकती नज़र आई।

बाराबंकी जिला मुख्यालय से 56 कि मी की दूरी पर जहांगीराबाद के मौथरी और निंगरी फार्म 9.46 एकड़  के क्षेत्र में बने हैं। फार्म की हालत को देख कर आप सोच में पड़ जाएंगे कि यह फार्म है या कोई जंगल, जहां झाड़ उगे हैं। फार्म में उगी झाडिय़ां और सूखे शहतूत के पेड़ योजना की नाकामी साफ दिखाते हैं। 

''यहां अभी तक कोई पैसा नहीं आया है। किसान आते हैं और वापस लौट जाते हैं, साथ ही फार्म की देख-रेख का भी कोई पैसा नहीं दिया गया है। हमारा वेतन भी पन्द्रह माह से रुका पड़ा है" फार्म में मौजूद चौकीदार अमर सिंह ने बताया।

रेशम कीटपालन के लिए सरकार ने वर्ष 2015-16 की अपनी कार्ययोजना में प्रदेश स्तर पर 75 करोड़ 07 लाख की धनराशि की मदद से रेशम कीटपालन फार्म बनवाने का बजट पारित किया था। इसमें कुल 35 करोड़ 05 लाख रुपए जिलों में फार्म बनवाने पर व्यय किए जा चुके हैं।

प्रदेश में रेशम कीट पालन पर खर्च की जा रही सहायता राशि का ब्योरा देते हुए रेशम निदेशालय, उत्तर प्रदेश के उप निदेशक अरविंद कुमार ने गाँव कनेक्शन को बताया, ''फार्म की स्थिति इस वजह से खराब है, क्योंकि जितने रूपयों की मांग की गई थी वो अभी तक नहीं दिए गए हैं। पिछले तीन साल से फार्म के रख-रखाव के लिए एक भी पैसा नहीं आया है। हमारी मांग का एक तिहाई हिस्सा भी रख रखाव के लिए नहीं आता, इस वजह से फार्म बेकार पड़ा है।"

रेशम की खेती तीन प्रकार से होती है- मलबेरी खेती, टसर खेती व एरी खेती। प्रदेश में मलबेरी के  लिए 158 फार्म ,टसर के 56 फार्म व एरी के तीन फार्म हैं, जिनमें 57 जिलों में रेशम का उत्पादन किया जा रहा है। प्रदेश में कुल 25 हजार रेशम कीट पालक  हैं। इस पूरी योजना के लिए रेशम विभाग ने 18 करोड़ 28 लाख रूपए की मांग की थी।

''योजना के तहत इस वर्ष 99 लाख धनराशि का अनुदान मिला था जो व्यय कर दिया गया है। पिछले साल 250 मीट्रिक टन उत्पादन का लक्ष्य था, जिसमे से 237 मीट्रिक टन पूरा किया जा चुका है।"

उत्तर प्रदेश में रेशम उत्पादन के क्षेत्र में कई बदलाव भी हुए हैं। राज्य सरकार ने शहतूत की खेती को मनरेगा से जोडऩे के लिए केंद्र से मांग की थी, जिस पर केंद्र सरकार की ओर से मंजूरी मिल गई हैं। कैटेलिटिक डेवलपमेन्ट प्रोग्राम योजना को मंजूरी मिल गई है। इसके तहत पचास प्रतिशत केन्द्र सरकार और पचास प्रतिशत राज्य सरकार रेशम विभाग को अनुदान देता है। प्रत्येक जिले के राजकीय फ़ार्म की नर्सरी तैयार करना भी योजना के तहत आता है। 

बाराबंकी में नई नर्सरी तैयार करने के लिए जिले में शासन नेे छह लाख 89 हजार रुपये की मंजूरी भी दे दी हैं, जिसमें चार लाख 14 हजार रेशम विभाग को अवमुक्त भी हो चुका है।

 

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