यहां पुरुषों के साथ महिलाएं भी बनाती हैं कच्ची शराब

Swati ShuklaSwati Shukla   20 July 2016 5:30 AM GMT

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सूरतगंज (बाराबंकी)। एटा जिले में जहरीली शराब से 37 लोगों की मौत के बाद पूरे प्रदेश में कच्ची शराब के खिलाफ अभियान चलाया जा रहा है।

बाराबंकी जिले के भी कई गाँवों में कच्ची शराब की भट्टिआं धधक रही हैं। सूरतगंज ब्लॉक के दर्जनों गाँवों के बच्चों ने अपने इलाके में बनाई जा रही शराब और शराबियों के हुडदंग की शिकायत की है।

गाँव कनेक्शन के स्वयं प्रोजेक्ट के दौरान तहसील फतेहपुर के कई स्कूलों में उनके इलाके की प्रमुख समस्या पूछने पर छात्र-छात्राओं ने कच्ची शराब का नाम लिया। उन्होंने बताया, "हमारे गाँव के कई घरों में शराब बनाई जाती है, जिसे पीकर लोग अक्सर बीमार हो जाते हैं। कई बार पीने के बाद शराबी हंगामा करते हैं। पुलिस छापा भी मारती है लेकिन दूसरे दिन से फिर काम शुरू हो जाता है।"

तहसील फतेहपुर में एक छात्रा ने बताया, हम लोगों को भी इससे समस्या है लेकिन समझ में नहीं आता किससे शिकायत करें।" छात्र-छात्राएं एटा हादसे के बाद अनहोनी से डरे हुए हैं। इन छात्र- छात्राओं की शिकायत पर गाँव कनेक्शन ने जिले में पड़ताल की तो पता चला सूरतगंज ब्लॉक में घाघरा की तराई में बसे लालपुर करौता समेत धतुआपुर, खलिलनगर समेत कई गाँवों तो छेदा इलाके में सुमली और चौका नदियों के आसपास गाँवों में शराब बनाई जाती है।

वहीं रामनगर के भी कई गाँवों में शराब की भट्टियां धधकती हैं। पिछले वर्ष निंदूरा ब्लॉक में पुलिस और आबकारी विभाग की छापेमारी में कई महिलाएं शराब बनाती पकड़ी गईँ थी। पिछले हफ्ते में छेदा चौकी प्रभारी ने भी कुछ लोगों को कच्ची शराब के साथ गिरफ्तार किया था।

जिला आबकारी अधिकारी विपिन सहाय बताते हैं, "जिले में कच्ची शराब को लेकर लगातार छापेमारी की जा रही है। शराब बनाने में न केवल पुरुष बल्कि महिलाएं भी शामिल हैं। हम लोग इनके खिलाफ़ कार्रवाई करते हैं लेकिन ये एक दो दिन में जेल से छूट जाते हैं क्योंकि कच्ची शराब बनाने वालों पर कड़ा कानून नहीं हैं।"

इस बारे में बात करने पर कोतवाली मोहम्मदपुर खाला के निरीक्षक रिज़वान अब्बास बताते हैं," घाघरा के किनारे के गाँवों में शराब बनाये जाने की शिकायतें मिलती हैं, लेकिन कस्बों के आसपास ऐसा होने की जानकारी नहीं है। कई बार कार्रवाई में महिलाएं शराब बनाती भी मिली हैं, जिनके खिलाफ लगातार छापेमारी की जा रही हैं।"

वो आगे बताते हैं, "गाँव-गाँव में सरकारी शराब ठेके खुल गए हैं, लोग शराब पीकर हंगामा भी करते हैं। लेकिन पुलिस के लिए ये पता लगाना आसान नहीं होता कि शराबी ने कच्ची शराब पी है या दुकान वाली इसलिए हम लोग पूरी तरह से इन पर अंकुश नहीं लगा पाते।"

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

अतिरिक्त सहयोग- प्रियंका वर्मा

 

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