बाॅयोफिजिक्स में करियर की संभावनाएं

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बाॅयोफिजिक्स में करियर की संभावनाएंफोटो: इंटरनेट 

बाॅयोफिजिक्स उभरता हुआ क्षेत्र है और इसमें जॉब की संभावनाएं भी काफी अच्छी हैं। कैसी मिल सकती है इस फील्ड में एंट्री और क्या है फ्यूचर प्रॉस्पेक्ट, आइए नजर डालते हैं। बाॅयोफिजिक्स, फिजिक्स और बाॅयोलॉजी के बीच का ब्रिज है, जिसमें जैविक प्रक्रिया में भौतिकी के उपयोग का अध्ययन किया जाता है।

इसके अंतर्गत मोल्यूक्यूलर बाॅयोफिजिक्स, फिजियोलॉजिकल बाॅयोफिजिक्स, मेडिकल फिजिक्स, न्यूक्लियर मेडिसिन, जीन- प्रोटीन इंजीनियरिंग, बायो इंफॉर्मेटिक्स आदि का अध्ययन किया जाता है, जिनके विकास से मेडिसिन और मेडिकल तकनीक के विकास को दिशा मिलती है। इसमें करियर के विषय के बारे में लखनऊ के आईटी कॉलेज के बायोफिजिक्स के प्रोफेसर डॉ रवि कुमार बता रहे हैं...

बीमारियों के इलाज में मिलती है मदद

बाॅयोफिजिक्स से जैविक स्तर पर कैंसर सहित विभिन्न बीमारियों के बढ़ने के संबंध में होने वाले अध्ययन में मदद मिलती है। मोल्यूक्यूलर बाॅयोफिजिक्स का दूसरा क्षेत्र है, जिसमें सैद्धांतिक और कम्प्यूटेशनल तकनीक के प्रयोग से अणु के व्यवहार का प्रतिरूप तैयार किया जाता है।

इसका इस्तेमाल बीमारियों के अध्ययन और उनके इलाज के काम आते हैं। बाॅयोफिजिक्स की मदद से संक्रामक बीमारियों की पावरफुल वैक्सीन तैयार की जाती है। इस फील्ड में जो प्रोफेशनल काम करते हैं, उसे ‘बायोफिजिसिस्ट’ कहते हैं।

बॉयोफिजिक्स के खास क्षेत्र

मोल्यूक्यूलर बायोफिजिक्स

इस फील्ड में मोल्यूक्यूल्स और पार्टिक्लस के संबंध मे स्टडी किया जाता है।

रेडिएशन बाॅयोफिजिक्स

इस फील्ड में ऑर्गनिज्म पर रेडिएशन जैसे- अल्फा, बीटा, गामा, एक्सरे और अल्ट्रा वायलेट लाइट का क्या असर होता है, इस पर अध्ययन किया जाता है।

साइकोलॉजिकल बाॅयोफिजिक्स

इसमें फिजिकल मेकेनिज्म द्वारा लिविंग ऑर्गनिज्म के व्यवहार और क्रिया के बारे में स्टडी किया जाता है।

मेडिकल बाॅयोफिजिक्स

इसके अंतर्गत मेडिकल ऐप्लिकेशन के क्षेत्र में बाॅयोलॉजिकल प्रोसेस के प्रभाव को जानने के लिए फिजिक्स का इस्तेमाल किया जाता है।

मैथमैटिकल और थ्योरोटिकल बाॅयोफिजिक्स

इसमें मैथमैटिकल और फिजिक्स के थ्योरी के आधार पर लिविंग ऑर्गनिज्म के व्यवहार के बारे में अध्ययन किया जाता है।

योग्यता

बायोफिजिक्स की स्डटी के लिए जरूरी है कि अंडरग्रेजुएट लेवल पर फिजिक्स, केमिस्ट्री और बायोलॉजी सब्जेक्ट हो। भारत में ऐसे कुछ ही यूनिवर्सिटीज हैं, जो बायोफिजिक्स के अंडर ग्रेजुएट लेवल कोर्स आॅफर करती हैं। वैसे, अधिकतर बायोफिजिसिस्ट अपने करियर की शुरुआत बायोफिजिक्स की डिग्री के बाद ही की है। इसके बाद मास्टर और पीएचडी कर सकते हैं। बायोफिजिक्स कोर्स के अंतर्गत मोल्यूक्यूलर बायोफिजिक्स, मेंमब्रेंस बायोफिजिक्स, न्यूरोबायोफिजिक्स, बायोफिजिक्ट तकनीक, बायोएनर्जेटिक्स, मेडिकल बायोफिजिक्स आदि आते हैं।

इंस्टीट्यूट वॉच

  • आल इंडिया इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साइंस, नई दिल्ली
  • महात्मा गांधी यूनिवर्सिटी, फैकल्टी आफ अप्लाइड साइंस, कोट्यम, केरला
  • यूनिवर्सिटी आफ कल्यानी, नाडिया, पश्चिम बंगाल
  • मणिपुर यूनिवर्सिटी, मणिपुर
  • पंजाब यूनिवर्सिटी, चंडीगढ़
  • यूनिवर्सिटी आफ मद्रास, चेन्नई
  • यूनिवर्सिटी आफ मुंबई, मुंबई

कार्यक्षमता

बाॅयोफिजिसिस्ट के लिए क्रिएटिव सोच होना बहुत जरूरी है। फिजिकल वर्ल्ड के प्रति जिज्ञासा होने के साथ-साथ अच्छी राइटिंग और कम्प्यूटर स्किल जरूरी है। फिजिक्स, बाॅयोलॉजी और मैथमैटिक्स विषय पर अच्छी पकड़ होने के साथ-साथ विज्ञान की दुनिया में हो रहे अद्भुत घटनाओं के प्रति दिलचस्पी रखना आवश्यक है। साथ धैर्य, दृढ़ता और काम के प्रति लगन करियर में बुलंदियों पर ले जा सकती है।

जॉब के अवसर

जो छात्र फिजिक्स और बाॅयोलॉजी में रूचि रखते हैं। वह बाॅयोफिजिक्स के क्षेत्र में करियर बना सकते हैं। इस फील्ड में ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट की तुलना में पीएचडी करने वाले छात्रों के लिए काफी संभावनाएं हैं। बाॅयोफिजिसिस्ट बाॅयोफिजिक्स रिसर्चर और साइंटिस्ट के रूप में गवर्नमेंट ऑर्गनाइजेशन में जॉब की तलाश कर सकते हैं। साथ ही, बाॅयोफिजिक्स से संबंधित कंपनियों में भी जॉब के खूब अवसर हैं। फॉर्मास्यूटिकल और हाईटेक बाॅयोलॉजिकल कंपनियां भी इनको हायर करती हैं। मेडिकल और डेंटल कॉलेज में भी लेक्चरर के रूप में जॉब की तलाश की जा सकती है। इसके अलावा, फॉरेंसिक लैब, केमिकल कंपनिज, फूड प्रोसेसिंग प्लांट्स, ड्रग मैन्यूफैक्चर्स, कॉस्मेटिक इंडस्ट्री, फर्टिलाइजर-पेस्टिसाइड कंपनियों में भी इनके लिए जॉब ऑप्शंस होते हैं।

सैलरी पैकेज

इस फील्ड में सैलरी अनुभव और ऑर्गनाइजेशन पर भी निर्भर करती है। हालांकि एंट्री लेवल पर भी अच्छी सैलरी की उम्मीद की जा सकती है। शुरुआती दौर में प्रतिमाह 15-20 हजार रुपए प्रतिमाह सैलरी मिल जाती है। अगर आपका परफॉर्मेंस अच्छा रहता है, तो सैलरी और भी अच्छी हो सकती है, लेकिन जो रिसर्च सेक्टर में काम करते हैं, उनकी सैलरी अच्छी होने से साथ-साथ कई तरह का अलाउंस भी मिलता है।

This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).

     

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