हिम्मत और जज़्बे से भरा क्षेत्र है डिज़ास्टर मैनेजमेंट

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हिम्मत और जज़्बे से भरा क्षेत्र है डिज़ास्टर मैनेजमेंटसाभार: इंटरनेट

लखनऊ। हाल ही में न्यूजीलैंड के क्राइस्टचर्च में भूकंप आया जिसमें काफी जान-माल का नुकसान हुआ। इससे पहले अप्रैल 2015 में नेपाल में आए भूकंप ने नेपाल सहित भारत में भी तबाही मचाई थी। इसी तरह 2013 में केदारनाथ में आई बाढ़ को कौन भूल सकता है जिसमें कई लोगों ने अपनी जान गंवाई थी। विकास जैसे-जैसे आगे बढ़ रहा है इसके कई दुष्परिणाम सामने आने लगे हैं। भूकंप, बाढ़, सुनामी और भूस्खलन जैसी कई प्राकृतिक आपदाओं की घटनाएं अब आए दिन सुनने को मिलती है। वैज्ञानिकों को मानना है कि इन आपदाओं की भविष्यवाणी या पूर्वानुमान लगाना मुश्किल है लेकिन इनसे निपटने के लिए कुछ इंतजाम किए जा सकते है जिससे नुकसान कम हो। इसे ही डिज़ास्टर मैनेजमेंट यानी आपदा प्रबंधन कहा जाता है। इस फील्ड में स्कोप इन दिनों तेजी से बढ़ रहा है। डिग्री के साथ डिप्लोमा लेवल पर भी कॉलेज और यूनिवर्सिटी में इसकी पढ़ाई कराई जा रही है। डिजास्टर मैनेजमेंट कोर्स की अहमियत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज जैसे संस्थान इस पर ध्यान दे रहे हैं। विशेषज्ञों की मानें तो आने वाले समय में इस क्षेत्र के कैंडिडेट्स को आसानी से नौकरी मिलेगी।

ऐसी कई यूनिवर्सिटी और कॉलेज हैं जो डिज़ास्टर मैनेजमेंट से जुड़े डिप्लोमा या डिग्री कोर्स उपलब्ध करा रहे हैं। आपदा प्रबंधन कोर्स शैक्षिक और कौशल आधारित शिक्षा का मेल मुहैया कराते हैं, ताकि छात्र प्रौद्योगिकीय आपदा और आपात प्रबंध में विशेषज्ञता हासिल कर सकें। इससे वे खुद को कई तरह की संस्थाओं में रोजगार पाने योग्य बना सकते हैं। जिला स्तर में कई डिज़ास्टर मैनेजमेंट संस्थाएं होती हैं जैसे आपातकालीन सेवाओं में, लॉ इन्फोर्समेंट, लोकल अथॉरिटीज, रिलीफ एजेंसी, वाटर एड, फ्लड कंट्रोल डिपार्टमेंट के अलावा गैरसरकारी संस्थाओं में भी डिज़ास्टर मैनेजमेंट प्रोफेशनल्स की जरूरत होती है। इसके अलावा वे अपनी डिजास्टर मैनेजमेंट कंसल्टेंसी भी स्थापित कर सकते हैं।
डॉ. वेंकटेश दत्ता, प्रोफेसर, पर्यावरण विज्ञान, बीबीएयू, लखनऊ

भारत सरकार की महत्वपूर्ण पहल

भारत सरकार ने इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण पहल की है। मानव संसाधन मंत्रालय ने दसवीं पंचवर्षीय परियोजना में डिजास्टर मैनेजमेंट (आपदा प्रबंधन)को स्कूल और प्रोफेशनल एजुकेशन में शामिल किया था। वर्ष 2003 में पहली बार केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने आठवीं कक्षा के सामाजिक विज्ञान विषय के पाठ्यक्रम में इसे जोड़ा। इसके बाद आगे की कक्षाओं में और सरकारी व गैर सरकारी उच्च शैक्षणिक संस्थाओं में भी डिजास्टर मैनेजमेंट की पढ़ाई होने लगी।

सर्टिफिकेट कोर्स के लिए 12वीं पास है, जबकि मास्टर या पीजी डिप्लोमा के लिए ग्रेजुएट होना जरूरी है लेकिन यह ध्यान रखें कि यह कोई हिम्मत और जज्बे से जुड़ी फील्ड है।

प्रमुख संस्थान

  • लखनऊ यूनिवर्सिटी http://www.lkouniv.ac.in
  • इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी, दिल्ली, http://www.ipu.ac.in
  • इंदिरा गांधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी, नई दिल्ली, www.ignou.org
  • टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस www.tiss.edu
  • देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी, इंदौर www.dauniv.ac.in
  • नेशनल सेंटर फॉर डिजास्टर मैनेजमेंट www.ncdm-india.org
  • सेंटर फॉर डिजास्टर मैनेजमेंट (सीडीएम) पुणे, महाराष्ट्र www.yashada.org/courses
  • नेशनल इंस्टीटय़ूट ऑफ डिजास्टर मैनेजमेंट (मिनिस्ट्री ऑफ होम अफेयर), नई दिल्ली, www.nidm.net
  • नालंदा ओपन यूनिवर्सिटी, पटना www.nalandaopenuniversity.com

कोर्स

ज्यादातर संस्थान कम अवधि के पोस्टग्रेजुएट सर्टिफिकेट या आपदा प्रबंधन में डिप्लोमा कोर्स ऑफर करते हैं। ये कोर्स छह महीने से लेकर एक साल तक की अवधि के हैं और कामकाजी पेशेवरों, गैरसरकारी संगठनों, सामाजिक संगठनों तथा समाज विज्ञान पढ़ने वाले छात्रों के लिए हैं। कुछ विश्वविद्यालय आपदा प्रबंध में पोस्ट ग्रेजुएट या एमबीए प्रोग्राम की भी पेश करते हैं। कुछ करियर विकल्प इस प्रकार हैं-

साभार-इंटरनेट

राहत और डेवलपमेंट मैनेजमेंट

राहत के काम में लगे प्रोजेक्ट मैनेजर समाज की जरूरतों के प्रति जिम्मेदार होते हैं। उदाहरण के लिए उन्हें आपात स्थिति में खाद्य पदार्थों, राहत, शरण लेने वाली जगह बनाने के लिए आने वाले सामान के वितरण कार्य करने होते हैं। यह सामान अन्य देश द्वारा दान में दिया गया हो सकता है या फिर किसी अन्य एजेंसी के राहत प्रयासों का हिस्सा हो सकता है। विकास प्रबंधक को शिक्षा आदि की व्यवस्था भी करनी हो सकती है।

राहत और डेवलपमेंट इंजीनियरिंग

आपदा के बाद सबसे ज्यादा नुकसान बिल्डिंग्स और इंफ्रास्ट्रक्चर को पहुंचता है, इसलिए आपदा के तुरंत बाद एक राहत व विकास इंजीनियर पानी की सप्लाई, साफ-सफाई और अस्थाई शरण-स्थलों के साथ-साथ बुनियादी संरचना को दुरुस्त करने का काम करता है।

विपदा आंकलन और स्वास्थ्य सुरक्षा

कई कंपनियों को अपने कर्मचारियों व आम जनता की सुरक्षा सुनिश्चित करने की जरूरत होती है। निर्माण, रसायन, तेल, जल, अपशिष्ट, यातायात और परमाणु उद्योगों के साथ-साथ सरकारी एजेंसियों को आपदा प्रबंधन के विशेषज्ञों की जरूरत होती है। डिजास्टर मैनेजमेंट ग्रेजुएट्स ऐसी कंपनियों या उद्योगों में सीधे जॉब प्राप्त कर सकते हैं या एक कंसलटेंट के रूप में भी इन जिम्मेदारियों को निभा सकते हैं।

स्वास्थ्य प्रबंधन

कुछ सरकारी, गैर सरकारी, मुनाफा न कमाने वाली संस्थाओं का फोकस प्राइमरी स्वास्थ्य पर ही होता है। इस क्षेत्र में प्रोजेक्ट मैनेजर से बहुत अधिक विशेषज्ञता की उम्मीद की जाती है। उसे विभिन्न तरह के कौशलों से लैस होना चाहिए, जैसे आम जनता के स्वास्थ्य व महामारी की जानकारी, लॉजिस्टिक का डिस्ट्रीब्यूशन, फाइनेंस और एकाउंटिंग, आपदा क्षेत्र में सुरक्षा संबंधी मुद्दे, राजनीति और कानून वगैरह।

डिज़ास्टर मैनेजमेंट प्रोफेशनल्स का काम लोगों की मदद करना

लखनऊ के जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के केमिकल रीजन के डायरेक्टर जयराज गुप्ता बताते हैं कि पिछले कुछ वर्षों में पूरे विश्व में प्राकृतिक आपदा की घटनाएं बढ़ी हैं। कोई भी ऐसी घटना जिसे आम लोगों द्वारा काबू में न लाया जा सके उसे डिज़ास्टर मैनेजमेंट कहते हैं। डिजास्टर मैनेजमेंट प्रोफेशनल्स का मुख्य काम आपदा के शिकार लोगों की जान बचाना और उन्हें मुख्य धारा में फिर से वापस लाना होता है।

इसके लिए केंद्र सरकार और राज्य सरकारें आवश्यक धन उपलब्ध कराती हैं। इन सबमें मुख्य सरकारी एजेंसी के रूप में गृह मंत्रालय बड़ी भूमिका निभाता है। वह आपदा के समय डिजास्टर मैनेजमेंट का कार्य संभालता है। कृषि एवं सहकारिता मंत्रालय सूखे और अकाल के वक्त अपनी जिम्मेदारियां निभाता है। ट्रेनिंग के दौरान स्टूडेंट्स को आपातकालीन स्थितियों में प्रबंधन के बारे में ट्रेंड किया जाता है।

This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).

       

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